तेरे हुनर पे शक नहीं है बस सवाल है यह तू मुकम्मल है तो हम लोग अधूरे क्यों हैं?

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )      

किसान कानून को लेकर केंद्र सरकार अब कुछ कदम पीछे हटाने की तैयारी में है। केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को तथाकथित किसान कानून को डेढ़ से दो साल तक स्थगित करने की पहल शुरू की है पर किसान तीनों कानून को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं… सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार उत्तरप्रदेश सहित कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव तक इसे टालना चाहती है क्योंकि किसान कानून का असर पंजाब, हरियाणा के साथ उत्तरप्रदेश में भी पड़ेगा ऐसा लगता है।
दरअसल किसान कानून जब बना तो न तो राज्यों से, न कृषि अर्थ विशेषज्ञों से, न किसान संगठनों से न ही अपनी ही पार्टी के कृषि के जानकारों से कोई चर्चा की गई, अब वार्ताकार, मंत्रीगण किसान संगठनों से कह रहे हैं कि कानून वापस तो नहीं होगा… संशोधन हो सकता है…. डेढ़-दो साल के लिए स्थगित हो सकता है…। सवाल तो किसान उठा रहे हैं कि इन तीन किसान कानून बनाने पर केंद्र सरकार की नियत पर ही संदेह है, कानून जिनके नाम पर बनाया गया है उनके हित की बात तो दूर, उन्हें बरबाद करने की नियत से ही यह कानून लाये गये हैं। 11 से अधिक दौर की बात केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच हो चुकी है, अब तो देश की सर्वोच्च अदालत तक को यह टिप्पणी करनी पड़ी कि यह तीनों कृषि कानून बनाते समय, सभी संबंधित पक्षों से पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं किया गया।

नोटबंदी, जीएसटी, कोरोना और चीन का कब्जा…     

वैसे भाजपा की केंद्र सरकार के कुछ नीतिगत निर्णयों पर भी अब सवाल उठाये जा रहे हैं, 2014में ‘ छोटी सरकार, अधिकतम दक्ष सरकार’ का नारा लेकर केंद्र में सत्तासीन नरेन्द्र मोदी की सरकार कुछ मोर्चों में लगातार विवादित रही है। मोदी सरकार की विमुद्रीकरण यानि नोटबंदी, गुड्स एंड सर्विस टेक्स यानि जीएसटी, कोरोना संक्रमण से बचने के लिये लॉकडाउन जिसे सामान्य तौर पर ‘देशबंदी’ कहते हैं में सवालों के घेरे में है। नोटबंदी, जीएसटी का प्रत्यक्ष प्रभाव देश की अर्थ व्यवस्था पर पड़ा है जबकि कोरोना आपदा ने, एक स्वास्थ्य खतरा होने के कारण, देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह तोड़ दिया है। देश में 31 मार्च 2019 (कोरोना के पहले) साल 2016 में जीडीपी 8.26 प्रतिशत, सन 2017 में 7.04 प्रतिशत, सन 2018 में 6.12 प्रतिशत, सन 2019 में 5.2 प्रतिशत, 2020 की शुरुवात में 3.1 प्रतिशत और नवीनतम आंकड़ा तो माईनस 23.9 प्रतिशत है। जीडीपी का माईनस में आने का कारण कोरोना आपदा मुख्य कारण हो सकता है पर अर्थव्यवस्था में ठहराव तो 2016 में नोटबंदी से ही शुरु माना जा सकता है। सरकार ने तो 2016 से बेरोजगारी के आंकड़े ही देना बंद कर दिया है क्यों…। बैंक आज एनपीए से त्रस्त है, सरकार उन्हें सम्हाल पाने की बात तो दूर अपने खर्च के लिए रिजर्व बैंक का रिजर्व फंड भी उठा चुकी है यह इस बात का प्रमाण है कि सरकार आर्थिक मोर्चे में विफल तो है ही साथ ही दिशाहीन है, जीएसटी की हालात यह है कि राज्य सरकारों को उनके हिस्से की राशि देने की जगह उन्हें कर्ज लेकर राज्य का काम चलाने की सलाह केंद्र द्वारा दी जा रही है…।
नोटबंदी का निर्णय कब, क्यों हुआ इस पर कोई विचार केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हुआ था या नहीं यह आज तक देश को पता नहीं…। 150 लोग बैंकों की लाईन में खड़े-खड़े या अवसाद या जीवनभर की बचत लुट जाने के गम में मर गये, 1000-500 के बड़े नोटबंद करके 2000 के बड़े नोट लाये गये क्यों…. इस का जवाब किसी के पास नहीं है…। क्या इससे कालेधन पर अंकुश लगा, आतंकी फंडिग थमी…। एक देश… एक कर, जीएसटी, आधी रात आयी आजादी, संसद के केंद्रीय सभागार में इसे लागू किया गया, इसके लिए राज्य सरकारें, व्यापारी सहित चार्टड एकाउंटेड भी अभी तक परेशान है, इसे लागू करने के पहले भी राज्य सरकारों तथा व्यापारियों सहित अर्थ विशेषज्ञों से न तो बातचीत की गई न विचार-विमर्श…। कोरोना की दस्तक शुरू होते ही अचानक ही देशबंदी लाकडाऊन के रूप में कर दी गई, कुछ समय बाद अप्रवासी मजदूर दूसरे प्रदेशों से सड़कों पर उतर आये, कुछ मर-खप भी गये, महापलायन सड़कों पर शुरू हो गया, तब केंद्र सरकार के सालिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दे दिया कि सड़कों पर कोई भी मजदूर नहीं है सभी अपने घरों में महफूज है, अदालत भी उसे मानने मजबूर रही…। कश्मीर से धारा 370 हटाने या समान नागरिक संहिता के मामले में भी प्रभावित लोगों से चर्चा की जरूरत नहीं समझी गई क्यों? अब अरूणांचल में चीन की घुसपैठ कर गांव बसाने की बात करें… इस पर शोर मचा तो सरकार समर्थक अपने चिरअंदाज पर नेहरू के विरोध में उतर गये और कहने लगे कि अरूणांचल की जमीन पंडित जवाहर लाल नेहरू ने चीन को दे दी थी, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा कि कांग्रेस ने पैसा लेकर जमीन को चीन को बेच दिया था, अब यदि कांग्रेस ने ऐसा किया था तो उन्हें पकड़े और जेल भेजने में क्या दिक्कत है? देश को भी तो पता चले कि कांग्रेस का कौन सा नेता था जो पैसा लेकर देश की जमीन को विदेश में बेच देता है…। एक बड़ी बात यह है कि मोदी सरकार देश की वर्तमान तथा पुरातन समस्याओं के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार भी मानती है वही कांग्रेस के घोषणा पत्र में किये गये वादों की बात करके उसे पूरी भी करने तर्क भी देती है…।

अमित विधायक, अभिषेक सांसद नहीं….?    .  

सीपीएण्ड बरार, अविभाजित म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ में पंडित रविशंकर शुक्ल, पं. श्यामाचरण शुक्ल, मोतीलाल वोरा, अजीत जोगी तथा डॉ. रमन सिंह मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पंडित रविशंकर शुक्ल के पोते, श्यामाचरण के पुत्र अमितेष शुक्ल जोगी मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं अभी भी विधायक हैं पर मंत्री नहीं बनाए गये हैं, मोतीलाल वोरा के सुपुत्र अरूण वोरा भी वर्तमान में विधायक हैं तथा निगम के अध्यक्ष है वे जोगी के कार्यकाल में भी निगम अध्यक्ष रह चुके हैं पर उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिला है। डॉ. रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह सांसद रह चुके हैं पर उन्हें इस कार्यकाल में टिकट ही नहीं दी गई और वे किसी पद पे नहीं है। इधर अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी भी फिलहाल विधायक नहीं है वे अजीत जोगी की परंपरागत सीट मरवाही से विधानसभा चुनाव लड़ते थे अजीत जोगी के निधन के पश्चात हुए उपचुनाव में जातिगत प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके और फिलहाल वे विधायक भी नहीं है हालांकि अमित को भी कभी भी निगम अध्यक्ष या मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला है। वहीं उनकी मां डॉ. श्रीमती रेणु जोगी वर्तमान में विधायक हैं तथा छग विधानसभा में सबसे वरिष्ठ महिला विधायक हैं पर इन्हें भी कभी मंत्री या निगम अध्यक्ष बनने का अवसर नहीं मिला। जब पहले विधायक बनीं तो भाजपा की प्रदेश में सरकार थी और अभी वे जोगी कांग्रेस की विधायक हैं और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है।

और अब बस….

0 किसानों को राज्य सरकार द्वारा धान खरीदी के पाद पैसा नहीं देने के भाजपा के आरोप पर सरकार ने डॉ. रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, विष्णुदेव साय, नंद कुमार साय आदि बड़े नेताओं को धान खरीदी कर दिये गये पैसों की सूची वायरल कर नहले पर दहला मारा है।
0 छत्तीसगढ़ में पिछले 20 सालों में 80 लाख टीन से अधिक धान खरीदी कर भूपेश सरकार ने एक रिकार्ड बना लिया है।
0 भारतीय सेना ने बालाकोट एयर स्टाइक 26 फरवरी 19 को किया और 23 फरवरी को अर्नब गोस्वामी ने वाट्सअप में उसका उल्लेख किया है भाजपा के बयानवीर नेता खामोश क्यों है कि आखिर अर्नब को केंद्र की सरकार की योजना का पता कैसे चल गया था।
0 भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा है, भूपेश बघेल ने नड्डा कौन है के सवाल पर कहा कि हम तो उस नडड को जानते हैं जो पांच पैसे में 2 मिलता था…।

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