पश्चिम बंगाल : बुद्धा परिहार, उम्र 50 साल, पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में हरिश्चंद्रपुर में घर। परिवार में पत्नी और दो बच्चे। मगर रोजी रोटी की तलाश में वह 20 साल पहले राजस्थान आ गए। अपने रिश्तेदार सरजू दास के साथ राजस्थान के बीकानेर में एक होटल में भी नौकरी करने लगे।
मगर लॉकडाउन की मार में रोजगार छीन गया। घर लौटने की बहुत कोशिशें कीं। मगर सब बेकार। 29 मई को आखिरकार मेहनत रंग लाई और बीकानेर से सुबह घर जाने की ट्रेन पकड़ ली। अगले दिन वह मालदा पहुंचा, लेकिन जिंदा नहीं एक लाश के तौर पर।
उत्तर प्रदेश के मुगल सराय के पास ट्रेन में ही शनिवार रात करीब 10 बजे परिहार की मौत हो गई। साथी यात्रियों को कोरोना के खौफ में परिहार की लाश के साथ ही रात गुजारनी पड़ी। करीब आठ घंटे के सफर के बाद अगले दिन सुबह 6.40 बजे ट्रेन मालदा पहुंची तो डॉक्टरों की टीम पहुंची। तब जाकर परिहार के शव को जीआरपी को सौंपा गया।
अचानक से ट्रेन में हुई मौत की वजह से साथी यात्रियों में घबराहट फैल गई। उन्हें लगा कि कहीं यह मौत कोरोना वायरस से तो नहीं हुई। रेलवे के बयान के मुताबिक परिहार को टीबी थी और रास्ते में तबीयत बिगड़ने पर दवा दी गई थी।
मगर उनकी जान नहीं बच पाई। इसके बाद इस मामले को स्थानीय इंग्लिशबाजार पुलिस स्टेशन को सौंप दिया गया और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। उनके रिश्तेदार दास ने बताया, ‘हम होटल में काम किया करते थे, लेकिन लॉकडाउन में नौकरी चली गई। पैसा खत्म हो चुका था। घर लौटने की काफी कोशिशें कीं। इसी दौरान वह बीमार पड़ गए। ट्रेन में अचानक उनकी मौत हो गई।’ मालदा के डीएम राजश्री मित्रा ने भी इस बात की पुष्टि की है कि परिहार को टीबी था। हालांकि कोरोना वायरस की भी जांच की जाएगी।