सिंधी समाज की महिलाओं ने शहीद संत कंवर राम साहेब को याद किया

नम आंखो से भजन गाकर मनाई जयंती

गोलियों से छलनी हुये थे संत कंवर।   

शहीद संत कंवर राम साहेब की 138 वीं जयंती हर वर्ष की तरह तेरह अप्रैल को सच्चोसतराम महिला मंडल की अध्यक्षा पूर्व पार्षद कविता ग्वालानी के निवास में बहुत ही गाजे बाजे के साथ नम आंखो से मनाई गयी।
ईस अवसर पर महिलाओं ने संत कंवर राम साहेब जैसे वस्त्र चोला पहन कर न्रत्य करते हुये भजन गाये।
संत कंवर अविभाजित हिंदुस्तान के सिंध प्रांत में भजन गायकी में महारत रखते थे, वे जब गीत भजन गाते थे तो कहा जाता है की हजारों की भीड़ भक्ति मय हो जाती थी।
संत कंवर ने अनेक भजन गाये और कलम बद्ध भी किये थे। आजादी के बाद संत कंवर के भजनों को कयी प्रसिद्ध गायक और गायिकाओं ने स्वर बद्ध किया है। लता मंगेशकर, भगवती नवाणी, रफी साहेब आदि प्रमुख हैं। आज कविता ग्वालानी और राजी निर्मल खेत पाल ने संत कंवर की वेशभूषा धारण करके उनके”” कोसा कुहंर खणी हलयो””भजन गाकर और ईस भजन में निर्त्य करके प्रभु भक्ति का समा बांध दिया और उपस्थित महिलाऐं झूम उठी।  

पूर्व पार्षद और सच्चोसतराम महिला मंडल की अध्यक्षा कविता ग्वालानी ने बताया की जनश्रुति है की ऐक बार ऐक संत्सग में ऐक महिला ने अपने पुत्र को लोरी सुनाने के लिए संत की गोद में दे दिया था जो की म्रत हो गया था
जैसे ही संत की गोदी में बालक आया संत को आभास हो गया था की बालक की सांसे नहीं चल रही है ं। तब संत ने बालक को लेकर प्रभु से फरियाद करते हुये लोरी गाई, ऐसी लोरी गाई की वो बालक जीवित हो उठा।
संत की प्रसिद्धि बहुत हो चली थी। संत को हिंदू मुस्लिम सभी लोग मानने लगे थे। संत की प्रसिद्धि कुछ मुस्लिम जमींदारों को खटकने लगी थी। अंततः आतताइयों ने सिंध प्रांत के दादू जिले के रुक रेलवे स्टेशन में ट्रेन में गोलियों से संत को शहीद कर दिया। 
कविता ने कहा की संत का जन्मदिन नम आंखो से सभी महिलाऐं मना रही हैं और उनके बताये अमन चैन भाईचारे के संदेश को फैलाने का संकल्प ले रही हैं।
आज संत के जन्मदिन पर गरीबों में से साफ, चांवल, और सामग्री बांटी जाती है। मानव सेवा करने का संकल्प लिया जाता है।

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