मतलबी दुनिया के लोग खड़े हैं हाथों में पत्थर लेकर….. मैं कहाँ तक भागूं शीशे का मुक़द्दर लेकर…..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )  

लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज हैं,हालांकि अब तक भारत निर्वाचन आयोग ने आधिकारिक जानकारी नहीं दी है,लेकिन संभावनाएं जताई जा रही हैं कि18वीं लोकसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव हो सकते हैं।चुनाव आयोग के फरवरी के अंतिम या मार्च के पहले सप्ताह में इलेक्शन की तारीखों का ऐलान करने की उम्मीद है।मौजूदा लोस का कार्यकाल 16 जून 24 को समाप्त होने वाला है।पिछला लोस चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुआ था।तब भाजपा ने 303 सीटों पर जीतहासिल की थी,जबकि राष्ट्रीय जन तांत्रिक गठबंधन ने 353 सीटें जीती थीं और मोदी दूसरी बार पीएम बने थे।चुनाव आयोग ने अब तक चुनाव की तारीखों कोलेकर न तो कोई जानकारी दी, लेकिन माना जा रहा है कि 2024 में चुनाव 7 चरणों में हो सकता है।2019 में भी चुनाव 7 चरणों में पूरा हुआ था।संभावना जताई जा रही है कि पिछली बार की तरह ही इस बार भी अप्रैल में मतदान,मई में नतीजे आ सकते हैँ,2019 से 2024 के बीच विपक्ष का रूप बदल चुका है।इस दौरान एनडीए में शामिल कुछ दल इस बार एनडीएके खिलाफ खड़े नजर आएंगे इसके अलावा 2019 में अलग चुनाव लड़ने वाले दल भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं।इंडिया गठबंधन में कांग्रेस,तृणमूल कांग्रेस,समाजवादी पार्टी, आमआदमी पार्टी,द्रविड़ मुन्नेत्र कझगम,शिवसेना (उद्धव गुट) शामिल हैं।हालांकि,इन दलों के बीच सीट बंटवारे से पहले ही फूट की खबरें सामने आ रही हैं।विपक्षी एकता के सूत्रधार माने जा रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार पहले ही एनडीए में चले गए हैं।वहीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है,जबकि आम आदमी पार्टी भी पंजाब में सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है।

किसानों का फिर
आंदोलन शुरू…   

सडकों पर सीमेंट ब्लाक्स,कंटीले तारों की बाड़,कीलें,ड्रोन,टीयर गैस,लाठी- डंडों और आधुनिक असलहों से लैस पुलिस…क्या किसी दूसरे मुल्क की सेना ने आक्रमण किया है…?मोदी सरकार के 10 सालों में किसानों ने कई बार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया,लेकिन इस दूसरे कार्यकाल में तीन साल के भीतर दूसरी बार किसान सड़कों पर हैं,तो निश्चित ही सरकार की कृषि अर्थ व्यवस्था को लेकर समझ और किसानों के लिए संवेदनशीलता में कमी है।इस कमी को तभी दूर किया जा सकता है जब किसानों से खुलकर चर्चा करे।लेकिन इस बार भी आंदोलन से पहले किसान प्रतिनिधियों,केंद्र सरकार के नुमाइंदों के बीच बातचीत असफल रही है।एमएसपी की कानूनी गारंटी,कर्ज़ माफ़ी,भूमिअधिग्रहण कानून 2013 में संशोधन, आंदोलन में मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा, लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने वालों को सजा और प्रभावित किसानों को न्याय,ऐसी महत्वपूर्ण मांगें सरकार के सामने किसानों ने रखी हैं।लेकिन न जाने किन कारणों से किसान हितैषी होने का दावा करने वाली मोदी सरकार इन मांगों को पूरा नहीं करना चाहती।सरकार की कथनी करनी का इससे बेहतरीन उदाहरण दूसरा नहीं हो सकता।एक ओर चौधरी चरण सिंहऔर एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न….,दूसरी ओर किसानों पर अत्याचार करके उनके विचारों का अपमान। पहले किसान आंदोलन के बाद भाजपा ने उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों के चुनाव जीत लिये,लेकिन क्या आम चुनावों से पहले खड़ा हुआ यह दूसरा आंदोलन भाजपा के प्रदर्शन को प्रभावित कर पाएगा…!

क्यों होते हैं लोग लापता…..?  

छत्तीसगढ़ से 33 माह में 48,675 लोग लापता हुए हैं।हालांकि,पुलिस ने इसमें से 37,813 को बरामद कर लिया है,10,862 लोग अब तक लापता हैं। यहां कहां और किस हालत में हैं, इसकी जानकारी न तो पुलिस को है और न ही स्वजन को।लोगों के लापता होने का सबसे बड़ा कारण घरवालों से नाराजगी होती है,ऐसे ज्यादातर मामलों में व्यक्ति कुछ दिन बाद घर लौट आते हैं।मानव तस्करी की भी आशंका बनी रहती है।नाबालिगों के गायब होने के मामलों में प्रेम-प्रसंग की संभावना रहती है।घरवालों के विरोध के डर से घर नाबालिग छोड़कर चले जाते हैं।महिला या किसी अन्य के लापता होने पर पुलिस गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर हर तरीके सेउनकी तलाश करती है।

डिप्टी सीएम की नियुक्ति
असँवैधानिक नहीं….

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़,जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार में पार्टियों के गठ बंधन या वरिष्ठ नेताओं को अधिक महत्व देने के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि,डिप्टी सीएम की नियुक्ति को असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।डिप्टी सीएम राज्य सरकार में पहला,सबसे अहम मंत्री होता है।देश के 14 राज्यों में 26 डिप्टी सीएम हैं।अकेले आंध्र प्रदेश में 5 हैं।तो छ्ग में भी दो डिप्टी सीएम बनाए गये हैं।याचिकाकर्ता ने कहा था डिप्टी सीएम की नियुक्ति से जनता का कोई लेना-देना नहीं है और न ही इससे राज्य की जनता को कोई अतिरिक्त फायदा होता है।

और अब बस….

0 छ्ग में आईपीएस अफसरों की नियुक्ति में किसकी चली.. सरकार की या अफसरों की…?
0छग की एक राज्यसभा सीट के लिए भाजपा ने राजा देवेंद्र प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वे लैलूंगा से जिला पंचायत सदस्य हैं।

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