नेहरू, इंदिरा और राजीव के काफ़ी करीबी था खैरागढ़ का राजपरिवार..

{किश्त 32}

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले की राजनीति में लंबे समय तक अपना दबदबा कायम रखने वाले और यहां से सांसद और विधायक रह रह चुके खैरागढ़ राज परिवार ने खैरागढ़ में कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। उस दौर में इस विश्वविद्यालय का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी (बाद में देश की प्रधानमंत्री बनीं) ने किया था। विवि के उद्घाटन के लिए इंदिरा गांधी खैरागढ़ पहुंची थीं, दो दिन यहां रूकी थीं।खैरागढ़ राजपरिवार से जुड़े लोगों के अनुसार उस समय मप्र राज्य का निर्माण नहीं हुआ था।छ्ग,सीपीएंड बरार के दायरे में आता था और नागपुर राजधानी होती थी। खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने अपनी दिवंगत पुत्री इंदिरा सिंह की याद में संगीत विवि की स्थापना की थी और इसका उद्घाटन वे प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कराना चाहते थे लेकिन समयाभाव के चलते नेहरू ने अपनी पुत्री इंदिरा गांधी को इसके लिए भेजा था। खैरागढ़ की रानी पद्मावती देवी सिंह प्रतापगढ़ (उप्र)राजपरिवार की बेटी थी, इलाहाबाद में पढ़ी-बढ़ी इंदिरा गांधी से उनकी मित्रता थी। इस मित्रता के चलते इंदिरा गांधी संगीत विश्वविद्यालय के उद्घाटन के लिए 14 अक्टूबर 1956 को खैरागढ़ पहुंची और दो दिन तक कमल विलास पैलेस में रूकीं थीँ। उस समय खैरागढ़ के राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह वहाँ के विधायक थे।

राजा-रानी दोनों
रहे सांसद….

इस समय तक राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का पृथक अस्तित्व नहीं था। यह इलाका दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में आता था और यहां से डब्ल्यूएस किरोलीकर सांसद हुआ करते थे। सन 1962 में चौकी,डोंडी लोहारा,बालोद,राजनांदगांव,डोंगरगांव,लालबहादुर नगर,डोंगरगढ़ और खैरागढ़ को मिलाकर राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र बना और यहां से पहले सांसद राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह बने। बाद में 1967 में बालोद, डोंडीलोहारा,खुज्जी, राजनांदगांव,डोंगरगढ़, डोंगरगांव,खैरागढ़ व वीरेन्द्रनगर को मिलाकर बने राजनांदगांव लोकसभा सीट से उनकी पत्नी और खैरागढ़ रियासत की रानी पद्मावती देवी सिंह सांसद बनीं। मौजूदा समय में राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र का जो स्वरूप है वह 1971 में अस्तित्व में आया।अविभाजित राजनांदगांव जिले की आठ विधानसभा क्षेत्र चौकी (अब मोहला-मानपुर), खुज्जी, डोंगरगांव, राजनांदगांव, डोंगरगढ़, खैरागढ़, वीरेन्द्रनगर (अब पंडरिया)और कवर्धा में कांग्रेस दो धड़े में बंट गया।खैरागढ़ राजपरिवार की दूसरी पीढ़ी से राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह के पुत्र शिवेन्द्र बहादुर सिंह (राजीव गाँधी के सहपाठी)राजनांदगांव से तीन बार सांसद रहे 1998 में कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दी। जनता दल की टिकट से उन्होंने चुनाव लड़ा पर इस चुनाव में कांग्रेस के मोतीलाल वोरा की जीत हुई। खैरागढ़ राजपरिवार के दूसरे बेटे रविन्द्र बहादुर सिंह की पत्नी रानी रश्मिदेवी सिंह खैरागढ़ से 1995 से लेकर 1993 में हुए चुनाव में जीतकर चार बार विधायक रहीं।उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र देवव्रत सिंह विधायक बने। वे भी सांसद रहे, 2018 के विस चुनाव में जोगी कॉंग्रेस से विधायक भी बने पर कार्यकाल के बीच में ही उनका निधन हो गया था।

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