संविद सरकार के गठन में छग की भूमिका…..और चैक से रिश्वत…..

{किश्त 5}

संविद सरकार के गठन में जनसंघ, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, निर्दलीय और कांग्रेस के दलबदलू विधायक एकजुट हुए थे। इस सरकार के गठन में छत्तीसगढ़ के बृजलाल वर्मा,शारदाचरण तिवारी आदि की प्रमुख भूमिका रही थी तभी तो गोविंद नारायण सिंह की संविद सरकार में छत्तीसगढ़ को मंत्रिमंडल में पर्याप्त स्थान दिया गया था। गोविंद नारायण सिंह मंत्रिमंडल में कांग्रेस के रामचरण राय (बिलासपुर)कांग्रेस के बृजलाल वर्मा (बलौदा बाजार)कांग्रेस के रामेश्वर प्रसाद शर्मा (जांजगीर) कांग्रेस के वीरेन्द्र बहादुर सिंह (खैरागढ़)कांग्रेस के धर्म पाल गुप्ता(भिलाई) जनसंघ के भानुप्रताप सिंह (लैलूंगा)कांग्रेस के गणेश रामअनंत(मुंगेली)निर्दलीय शारदाचरण तिवारी (रायपुर)निर्दलीय बद्रीनाथ बघेल (नारायणपुर) निर्दलीय दृगपाल शाह शाह(बीजापुर)जनसंघ के मनहरण लाल पांडे (तखतपुर)जनसंघ के लरंगसाय(सामरी) आदि को स्थान मिला था। इस तरह यह मान लें कि कांग्रेस की डीपी मिश्र सरकार के पतन,संयुक्त विधायक दल (संविद सरकार) के गठन के पीछे राजमाता सिंधिया द्वारा विधायकों को पुरानी दिल्ली के मेडल्स होटल में ठहराने तथा कुछ प्रलोभन देना भी चर्चा में रहा….?

चेक से रिश्वत,फिर भी प्रस्ताव स्वीकृत….

अविभाजित म.प्र. में सिद्धांतों की राजनीति का उदाहरण 1967 में जब संविद सरकार बनी थी तब सामने आया था। राजमाता विजयाराजे सिंधिया के प्रयासों से बनी संविद सरकार करीब 19 महीने चली और सीएम थे गोविंद नारायण सिंह तथा सिंचाई मंत्री थे छत्तीसगढ़ के बृजलाल वर्मा…।मप्र के दबंग नौकरशाह स्वर्गीय एम.एन. बुच की पुस्तक ‘व्हेन द हार्वेस्ट मून इज ब्लू ‘ के अनुसार तत्कालीन सिंचाई मंत्री बृजलाल वर्मा ने लिफ्ट एरिगेशन के लिए पम्प सेट खरीदने का प्रस्ताव रखा था। उसके लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन जरूरी था।ऐसा इसलिये था क्योंकि खरीदीप्रक्रिया में स्थापित मापदण्डों को बायपास किया गया था।तब के मुख्य सचिव आर.सी.पी.वी. नरोन्हा और सिंचाई सचिव एस.बी.लाल ने इसका पुरजोर विरोध किया था। जब सीएम गोविंद नारायण सिंह के पास यह फाईल पहुंची तो उन्होंने नोटशीट में लिखा था मैं अपने मुख्य सचिव और सिंचाई सचिव की बात से सहमत हूं क्योंकि यह प्रस्ताव अनैतिक है इसे मंजूर नहीं किया जा सकता है लेकिन मैं अपने सिंचाई मंत्री की मजबूरी समझ सकता हूं।चूंकि इस मामले में उन्होंने 20 हजार रुपये की मूर्खतापूर्ण रिश्वत चेक द्वारा ली है इसलिये इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जाता है…। बहरहाल संविद सरकार के पतन के पीछे ही भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा रहा तो बाद में राजमाता, गोविंद नारायण सिंह सहित कुछ जनसंघ के नेताओं के बीच बढ़ते मतभेद ही माना जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *