ट्रेक्टर में चारा लाने वाला, मूल छत्तीसगढ़िया सीएम ..

{किश्त 23}

छत्तीसगढ़िया,स्वाभिमानअस्मिता,किसान,मजदूर, युवा,महिलाओं को बराबरी का हक दिलाने, छत्तीसगढ़ महतारी को पहचान दिलाने, छ्ग में माता कौशल्या और भांचा राम की स्मृति को स्थापित करने, धान के कटोरे में किसानों को उचित मूल्य दिलाने, सम्मान दिलाने आदि के नाम पर भूपेश बघेल और उनकी कांग्रेस फिर चुनाव समर में हैं। छत्तीसगढ़ में तीसरे सीएम बनकर बघेल ‘नरवा गरुवा,घुरवा,बाड़ी,इही छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी’ इस नारे के साथ ही विकास की एक पुरानी योजना को नया स्वरूप देना शुरू किया। जिस तरह वे छत्तीसगढ़ के जानवरों के लिए ‘गोठान’ बनाया है उसके पीछे उनका इस विषय में प्रायोगिक अध्ययन भी है। कृषि कार्य में दक्ष,संपन्न परिवार के युवा भूपेश बघेल शुरू से ही पढ़ाई के साथ कृषि कार्य में भी जुटे रहते थे। कहा जाता है कि विवेका नंदआश्रम रायपुर की गौशाला में भूपेश की देखरेख में ट्रेक्टर में उनके गांव कुरूदडीह के खेतों से हरा चारा लाया जाता था।कई बार भूपेश भी चारा पहुंचाने विवेकानंद आश्रम आते-जाते थे। वहां के सर्वेसर्वा स्वामी आत्मानंद को उन्हीं के समाज का संपन्न, मेहनतकश युवक पसंद आया और उन्होंने अपनी भतीजी के लिए उसे पसंद कर लिया और विवाह संपन्न हो गया। भूपेश बघेल की पत्नी मुक्ति उर्फ मुक्तेश्वरी स्वामी आत्मानंद की भतीजी हैं तो डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा की बेटी है।साईंस कालेज रायपुर में बीएससी द्वितीय वर्ष में जब भूपेश सामाजिक क्षेत्र सहित राजनीति में सक्रिय होने लगे तो उनके पिता नाराज भी हुए उन्होंने कहा था कि पढ़ाई पूरी करो या नेतागिरी तभी करो जब मुख्यमंत्री बनने की ताकत रखो…! उस समय तो छत्तीसगढ़ अविभाजित म.प्र. का अंग था।छत्तीसगढ़ सहित म.प्र. में अर्जुन सिंह,श्यामा चरण शुक्ल, विद्याचरण शुक्ल माधव राव सिंधिया जैसे बड़े नेताओं की तूती बोलती थी। खैर भावी मुख्यमंत्री होने का वादा करके भूपेश ने राजनीति का सफर शुरू किया।विधायक,दिग्विजय सिंह- अजीत जोगी मंत्रिमंडल के सदस्य होकर आखिर छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री बनने में सफल हो गये। वैसे एक बात है कि प्रदेश अध्यक्ष बतौर उनका संघर्ष जमकर शुरू हुआ और 15 साल तक अंगद के पैर की तरह जमी डॉ. रमन सरकार को सत्ता से हटाकर 68 विधायक (उप चुनावों के बाद 72) कांग्रेस के जितवाकर उन्होंने एक रिकार्ड तो बनाया ही है। एक बात और है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उनका संघर्ष अब और भी तेज हो गया है। उन्हें ऐतिहासिक निर्णय लेने वाला,जिद्दी राजनेता माना जाता है।छ्ग में हो रहे विस चुनाव में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के साथ ही उन्हें ईडी, सीबीआई,आईटी से भी जूझना पड रहा है तो उनकी चरित्र हत्या का भी प्रयास तेज है…?

 

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