झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये ….. और मैं था कि सच बोलता रह गया…..

    शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )      

भाजपा की सरकार ने संसद में कहा है कि भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं। स्पेस मिनिस्टर जितेंद्र सिंह ने भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा के रामसेतु पर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा- जिस जगह पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान जाहिर किया जाता है, वहां की सैटेलाइट तस्वीरें ली गई हैं। छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर दिखाई दे रहे हैं, पर यह दावा नहीं कर सकते हैं कि यही रामसेतु के अवशेष हैं।जितेंद्र सिंह ने कहा कि “भारतीय सैटेलाइटों ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु वाले इलाक़े की हाई रिज़ोल्यूशन तस्वीरें ली हैं। हालांकि इन सैटेलाइट तस्वीरों से अब तक सीधे तौर पर रामसेतु की उत्पत्ति और वो कितना पुराना है इससे संबंधित कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं “जवाब में ये भी लिखा है कि समंदर के नीचे डूबे शहर द्वारका की तस्वीरें रिमोट सेन्सिंग सैटलाइट के ज़रिए नहीं ली जा सकती क्योंकि ये सतह के नीचे की तस्वीरें नहीं ले सकते।लेकिन विपक्ष सरकार के इस जवाब पर सवाल उठा रहा है। उसका कहना है कि जब यही बात डॉ मनमोहन सिंह सरकार ने कही थी तो भाजपा ने कांग्रेस को ‘हिंदू विरोधी’ बताया था।रामसेतु एक संवेदनशील सियासी मुद्दा है।भाजपा ने अतीत में भारत और श्रीलंका के बीच मौजूद खाड़ी में रामसेतु समुद्रम प्रोजेक्ट का भी विरोध किया था। भाजपा और संघ परिवार का कहना है कि इससे रामसेतु के अवशेष तबाह हो जाएंगे।जब संसद में कांग्रेस की ओर से कहा गया था रामसेतु के होने के प्रमाण नहीं तो काफ़ी हंगामा हुआ था।एडम्स ब्रिज के नाम से मशहूर इस इलाक़े को कांग्रेस के काल में छपी डिपार्टमेंट ऑफ़ स्पेस की एक किताब इस पुल की उत्पत्ति को मानव निर्मित बताया गया था।इमेजज़ इंडिया नाम की अंतरिक्ष विभाग की किताब में लिखा था,”एडम्स ब्रिज एक रहस्य है” पुरातत्त्व के अध्ययनों से पता चला है कि ये करीब 1,75,000 वर्ष पुराना है…? लेकिन इसके स्ट्रक्चर को देखकर नहीं लगता कि मानव निर्मित था।अब जब भाजपा सरकार ने रामसेतु के अस्तित्व के पुख़्ता सबूत न होने की बात कही है तो कांग्रेस हमलावर हो गई है.कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इससे जुड़ी एक न्यूज़ ट्वीट कर रहा है कि “सभी भक्तजन कान खोल कर सुन लो और आँखें खोल कर देख लो…. मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतु होने का कोई प्रमाण नहीं है.”

पहले भगवान अब
भक्त छ्ग के गृहमंत्री…..       

छत्तीसगढ़ गठन के बाद भगवान के नामधारी गृहमंत्री बनते रहे, पर भूपेश सरकार में अब भक्त नामधारी को गृह मंत्री बनाया गया है। दरअसल ताम्रध्वज, भगवान कृष्ण के परम भक्त राजा मयूरध्वज के पुत्र का नाम था।ताम्रध्वज केआरे से चीरने का उल्लेख पौराणिक किवंदंतियों में मिलता है।खैर आंकड़े के हिसाब से छत्तीसगढ़ बनने के बाद या यों कहें कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से नक्सलवाद बढ़ा और अपराध दर में वृद्धि भी हुई है।नक्सलियों के हमले से कांग्रेस के बड़े नेताओं की हत्या,74 सीआरपीएफ के जवानों शहादत, दंतेवाड़ा में देश का सबसे बड़ा नक्सली जेल ब्रेक,नक्सली हमले से राजनांदगांव के युवा पुलिस अधीक्षक विनोद चौबे की शहादत, बिलासपुर में युवा पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा की खुदकुशी (?), भिलाई- कुम्हारी के पास रेल अपहरण कर एक कुख्यात अपराधी को पुलिस हिरासत से छुड़वा लिया गया आदि आदि..?।खैर नये राज्य के गठन और भगवान के नाम धारी गृहमंत्रियों पर एक नजर डालें…..। नया राज्य बनने के बाद अजीत जोगी की सरकार में पहले गृहमंत्री नंदकुमार पटेल बनें। इनके नाम में ‘नंद’ का समावेश था नंद यथा कृष्ण से जुड़ा हुआ है।बाद में भाजपा की सरकार बनी और डा. रमनसिंह की पहली पारी 2003 में तेजतरार तथा वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल को गृहमंत्री बनाया गया। इनके तो नाम में ही ‘मोहन’ जुड़ा था यानि ये इनका नाम भी कृष्ण का ही उपनाम है।इसके बाद से डा.रमनसिंह ने कृष्ण के नाम को सुरक्षा से नहीं जोड़ने का संभवत: निर्णय लिया तथा ‘मोहन’ को हटाकर ‘राम’ नाम का सहारा लिया वैसे भी ‘श्रीराम’ को तो भाजपा अपनी ही पार्टी का ही मानती है।श्रीराम को तो एक तरह से भाजपा अपना ‘कापी राइट’ ही समझती है। डा. रमन की दो पारियों में रामविचार नेताम को गृहमंत्री बनाया इनके नाम में भी ‘राम’ जुड़ा था । उसके बाद उनसे ‘गृह मंत्रालय’ नहीं सम्हलने पर दूसरे राम के रूप में ननकीराम कंवर की ताजपोशी गृहमंत्री के रूप में की गईं । 1977 के संसदीय सचिव रहे ये राम के खाते में भी कोई खास उपलब्धि नहीं आई यही नहीं 2013 का विधानसभा चुनाव भी वे हार गये। 2013 में गठित मंत्रिमंडल में गृहमंत्री के रूप में तीसरे राम को जिम्मेदारी दी गई। तीसरे राम थे रामसेवक पैकरा..। सीधे-सादे, सादा जीवन- उच्च विचार वाले रामसेवक पैकरा का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष होने के कारण प्रदेश के आम कार्यकर्ताओं तथा नेताओं से अच्छे संबंध थे, पर वे भी सफल नहीं हो सके यही नहीं अगला चुनाव भी हार गये। भूपेश की सरकार में सीएम के दावेदार ताम्रध्वज साहू को कॉंग्रेस आलाकमान की राय पर गृहमंत्री बनाया गया, पर उन्हें भी यह मंत्रालय रास नहीं आ रहा है…?

आईजी,डीआईजी और एसएसपी
की पदोन्नति जल्दी…..   

छत्तीसगढ़ में आईपीएस की पदोन्नति सूची लगभग तैयार है, बस डीपीसी का ही इंतजार है।पदोन्नति राज्य स्तर पर ही होगी, दिल्ली ऍमएचए से किसी प्रतिनिधि के आने की जरूरत नहीं है, डीपीसी में सीएस, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी ही पदोन्नति समिति के सदस्य होते हैं, कभी भी सीएस बैठक बुलाकर पदोन्नति को हरी झंडी दे सकते हैं।2005 बैच के आईपीएस अमरेश मिश्रा, राहुल भगत,ध्रुव गुप्ता, आरिफ शेख आईजी बन जाएंगे तो 2009बैच के आईपीएस तथा एसएसपी अमित तुकाराम कांबले, प्रखर पांडे, मनीष शर्मा, डी रवि शंकर डीआईजीपदोन्नत हो जाएंगे तो 2010बैच के आईपीएस अभिषेक मीणा, सदानंद कुमार,गिरिजा शंकर जायसवाल, सुजीत कुमार, ऍम एल कोतवानी, ए आर अहिरे, अरविन्द कुजूर,शंकर लाल बघेल और बी पी राजभानु डीपी सी के बाद एसएसपी पदोन्नत हो जाएंगे। यहाँ यह बताना भी जरुरी है कि एसएसपी एक साल बाद डीआईजी पदोन्नत हो जाते हैँ।

और अब बस..

0 राजभवन आरक्षण विधेयक पर पूछे गये 10 सवालों के सरकारी जवाब से भी संतुष्ट नहीं है ?
0सरकार के जिम्मेदार पद पर पदस्थ एक आईपीएस अब इंटेलिजेंट के मुखिया बनने प्रयत्नशील हैं?
0अगला विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर बाबा साहेब के बयान के क्या मायने हैं ?

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