जमीं ने मांग लिया, आसमां ने छीन लिया…. हमारे पास न अब जिस्म है न साया है…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )

लॉकडाऊन के दौरान देश के 11 बड़े राज्यों की लगभग आधी आबादी पेट भरने के लिए कर्ज ले रही है, कोरोना महामारी का प्रकोप तेजी से विस्तारित होता जा रहा है, कोरोना के कारण लाकडाऊन के चलते देश में लाखों नहीं करोड़ों बेरोजगार हो गये हैं, स्कूल कालेजों में एक साल से पढ़ाई लगभग ठप्प है। कोरोना से बचने वैक्सीन आने वाली है यह संभावना बढ़ गई है पर वह भारत में आम आदमी तक मुफ्त में मुहैया होगी या नहीं यह अभी अतीत के गर्त में है। जिन किसानों के हित में (केंद्र सरकार का दावा?) 3 कानून लाये गये हैं उनका विरोध वही किसान कर रहे हैं जिनसे पूछे बिना ही आनन -फानन में 3 कृषि कानून लोकसभा, राज्यसभा में पारित कर राष्ट्रपति से हस्ताक्षर कराकर लागू करवा दिया गया अब किसानों के बड़े विरोध के बाद उन कानूनों के प्रावधानों में संशोधन की बात तो हो रही है पर किसानों की मांग पर उन और तीनों कृषि किसान विरोधी कानून? को केंद्र सरकार वापस लेने तैयार नहीं है क्यों?
इधर काम की तलाश में दूसरे प्रदेश गये अप्रवासी मजदूर अचानक लाकडाऊन के बाद किसी तरह गिरते-पड़ते लगभग मरते मरते अपने प्रदेशों को बमुश्किल लौट गये थे अब अपना और परिवार का पेट भरने पुन: काम की तलाश में पलायन करने मजबूर हैं हां एक बात है कि इस बार छोटे बच्चों, बुजुर्गों को छोड़कर खुद मोटर सायकल, सायकल लेकर जा रहे हैं ताकि फिर विपरीत स्थिति उत्पन्न होने पर कम से कम अपनी वापसी की गारंटी तो रहेगी उन्हें मोदी की रेल या प्रदेशों की बसों का इंतजार नहीं करना पड़ेगा…?खैर देश के पंतप्रधान नरेन्द्र मोदी की अपनी अलग दुनिया है हाल ही में अपनी सवारी के लिए 8458 हजार करोड़ का विमान खरीद लिया है ताकि देश-विदेश का सफर आसान हो, कोरोना महामारी में अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्गप्रशस्त होने के बाद तत्काल भूमि-पूजन में पहुंच गये साहब… उन्हें तो बस आत्मनिर्भर भारत, आपदा में अवसर तलाशने का जुनून सवार है। देश को नया संसद भवन देने की अब जल्दी है। सर्वोच्च न्यायालय के केवल कागजी कार्यवाही के ही आदेश (किसी तरह के निर्माण की बंदिश) के बाद भी प्रधानमंत्री 971 करोड़ की लागत से बनने वाले नये संसद भवन की नींव रखने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। वैसे 64500 वर्गमीटर क्षेत्र में निर्माणाधीन इस नये संसद भवन को 2022 तक पूरा कर लेना है। वैसे नया संसद भवन बनाने की इतनी जल्दी क्या थी….? मौजूदा संसद भवन की अंग्रेजों ने 12 फरवरी 1921 में इसकी नींव रखी थी और 1927 में यह तैयार हो गई थी। सर एडवर्ड लुटियंस, सर हार्बर्ट बेकर की अगुवाई में यह बिल्डिंग बनी थी उस समय इसके निर्माण पर 83 लाख का खर्च आया था। खैर बेरोजगारी, महंगाई, किसान आंदोलन, पलायन, भुखमरी, आर्थिक स्थिति खराब होने के बीच इस तरह की गतिविधियां संचालित करने के पीछे क्या कारण है यह तो पंतप्रधान से कोई पूछ भी नहीं सकता है…?

भारत में लोकतंत्र ज्यादा है?

केंद्र की भाजपानीत सरकार के नीति आयोग के अमिताभ कांत का मानना है कि भारत में कुछ अधिक ही लोकतंत्र है….? वैसे यह उनका अनुभव है तो पिछले कुछ सालों के भीतर इसका एहसास आम लोगों को भी हो रहा है….? केवल 4 घंटे के नोटिश के बाद नोटबंदी कर देना, जिसका क्या लाभ हुआ कितने लोग मरे, कितने बर्बाद हुए इसका जवाब देना मोदी सरकार जरूरी नहीं समझती है? सर्जिकल स्टाईक के नाम पर कुछ लोगों को मारने की बात की जाती है, पाक से बदले की बात की जाती है सवाल पूछने पर पाकिस्तान परस्त घोषित किया जाता है….आप चाहें तो कभी भी लॉकडाऊन घोषित कर दे, लोग मरे जिये हमें उससे क्या है….? किसी बलात्कार पीडि़त महिला की लाश को आधी रात को जला दिया जाता वहां जाने वाले राहुल-प्रियंका से धक्का मुक्की की जाती है, गिरफ्तार किया जाता है पर पश्चिम बंगाल में भाजपा नेताओं के काफिले पर कोई पत्थर फेंक देता है तो बवाल किया जाता है? रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, सार्वजनिक उपक्रम बेच सकते हैं, अर्थ व्यवस्था की बर्बादी की लाश उठा सकते हैं पर कोई पूछने वाला नहीं है…..? आरोपी विपक्षी नेता, सत्ताधारी दल में आने पर गंगा की तरफ पवित्र हो जाता है, निर्वाचित प्रदेश सरकारों को ऐन केन प्रकारेण गिराकर अपनी सरकार बनाई जा रही है… ऐसा लोकतंत्र कहीं मिलेगा किसी और देश में मित्रों…?

ढाई-ढाई साल का फार्मूला

17 दिसंबर 2020 को छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार अपने 2 साल का कार्यकाल पूरा कर रही है। 90 में 68 सीटें (बाद के उपचुनाव में 3 सीटें जीतकर) अब 70 विधायकों का व्यापक जनाधार लेकर चल रही सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि 15 सालों तक सरकार चलाने वाली भाजपा मात्र 14 विधायकों में सिमट गई है। जोगी कांग्रेस के 4 विधायकों में 2 तो कभी भी कांग्रेस में जाने की अपनी मानसिकता सार्वजनिक कर चुके हैं। वहीं 2 बचे जोगी कांग्रेस के विधायक तथा बसपा के 2 विधायक भी भाजपा की तरफ हो जाएं तब भी कांग्रेस सरकार की सेहत में फर्क डालने की स्थिति में नहीं है। बहरहाल हाल ही में ढाई ढाई साल के मुख्यमंत्री का एक फार्मूला…? चर्चा में है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस तथा जोगी कांग्रेस इस तथाकथित फार्मूले पर बयानबाजी कर रहे हैं।
जब 2 साल पहले कांग्रेस के 68 विधायक चुने गये थे तब मुख्यमंत्री पद के चार दावेदारों के नाम उभरे थे। भूपेश बघेल (तब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष) टी.एस.सिंहदेव (तब के विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष) डॉ. चरणदास महंत (पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक) तथा वरिष्ठ नेता तथा ताम्रध्वज साहू (तत्कालीन सांसद तथा सीडब्लु सी के सदस्य) के नाम उभरे थे। बाद में भूपेश बघेल काफी जद्दोजहद के बाद मुख्यमंत्री चुना गया। तब यदि फार्मूला सवा-सवा साल का बनता तो भी समझ में आता था कि चारोँ नेताओं को एडजेस्ट करना चाहती थी आलाकमान…? पर ढाई साल का फार्मूला गले नहीं उतर रहा है…? क्योंकि भूपेश के बाद किसी एक नेता का नाम आलाकमान तय कर देता तो 2 नेता फिर भी नाराज हो सकते थे …? फिर भूपेश के बाद कौन….? में पहली पसंद आलाकमान की डॉ. चरणदास महंत होंगे यह तय है उसके बाद टीएस बाबा का नंबर आता है….। ताम्रध्वज साहू ने तो पिछले 2 सालों में अपनी स्थिति खराब कर ली है? वैसे इतिहास गवाह है कि कांग्रेस में केवल अर्जुन सिंह ही एकमात्र मुख्यमंत्री रहे जिन्हें 2 दिन बाद पंजाब का राज्यपाल बनाकर भेजा गया वह भी विशेष मकसद से…? वैसे दिल्ली के हमारे सूत्र भी कहते हैं कि भूपेश बघेल को फिलहाल हटाना अभी कल्पना के परे हैं… जाहिर है कि ढाई-ढाई साल का फार्मूला महज काल्पनिक मामला है।

और अब बस….

0 जिन देश में एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, देश की जनसंख्या का 30 प्रतिशत हिस्सा को एक वक्त खाना नसीब नहीं होता वहां… आलीशान संसद करोड़ों खर्च करके बनाना गरीबी का मजाक है या सत्ता के नशे में लिया गया फैसला…?
0 छत्तीसगढ़ में बड़ी प्रशासनिक सर्जरी के बाद पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल इसी माह होने की संभावना है।
0 धूर नक्सल प्रभावित बीजापुर में 15 वाहिनी छत्रबल के कमाण्डेट के प्रयास से हेलीपेड,मंच, बैरक, सीपीसी कैन्टीन सहित अमरनाथ मंदिर की छायाकृति बनाने से यह तय है कि इच्छाशक्ति हो तो सब कुछ संभव है।
0 वन विभाग के एक बड़े अफसर अजीत जोगी से डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में प्रमुख स्थानों पर रहे पर भूपेश-अकबर के समय बस्तर के एक जिला मुख्यालय में अटैच हैं?

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