नई दिल्ली : यूं तो साल के सभी दिन महत्वपूर्ण होते हैं और हर दिन किसी न किसी वजह से इतिहास के पन्नों में दर्ज है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे को अंगीकार किया जाना है। 1921 में गांधीजी ने 31 मई के दिन ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के ध्वज को स्वीकृत और संशोधित किया। यह मूल रूप से आंध्र प्रदेश के एक व्यक्ति ने डिजाइन किया गया था, जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले लाल और हरे रंग की पट्टियों को स्थान दिया गया था।
वर्ष 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गांधी जी को दिया। यह दो रंगों का बना था। लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदायों अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधित्व करता है। गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए।