शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनी, विष्णुदेवसाय सीएम बने,2 डिप्टी सीएम भी बने, एक डिप्टी सीएम विजय शर्मा पहली बार विधायक बने, उन्हें नक्सली प्रभावित छ्ग का गृहमंत्री बना दिया गया, पहले छ्ग बनने पर वरिष्ठ विधायक ही गृहमंत्री बनते थे, नंदकुमार पटेल, ननकीराम कंवर,बृज मोहन अग्रवाल, रामविचार नेताम, रामसेवक पैकरा आदि गृहमंत्री रह चुके हैं। खैर बात हो रही है साय सरकार की,उनका यह नया प्रयोग भारी पड़ रहा है….? 10 महीने के कार्यकाल में 4 आईपीएस निपट चुके हैं यानि उन्हें हटाया जा चुका है। बलौदा बाजार में डीएम – एसपीऑफिस में हिंसक भीड़ द्वाराआगजनी के बाद एसपी सदानंद(आईपीएस) को हटाया गया, इसके बाद कवर्धा में एक हत्या,आत्म हत्या और पुलिस हिरासत, जेल में मौत के मामले में एक प्रशिक्षु आईपीएस को निलंबित कर दिया गया, बाद में एसपी डॉ अभिषेक पल्ल्व,(आईपीएस) को भी हटाया गया, हाल-फिलहाल सूरजपुर में एक हवलदार की पत्नी, बेटी की हत्या, एक सिपाही पर खोलता तेल डालने के मामले में एस एसपी एमआर अहिरे(आई पीएस)को भी हटाया गया है। हाल ही में बलरामपुर जिले के कोतवाली थाने में एक युवक ने वाशरूम में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। युवा गुरुचरण,राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में चौकीदार के पद पर कार्य रत था।जानकारी के मुता बिक,गुरुचरण मंडल को उसकी पत्नी के गायब होने के मामले में पूछताछ के लिये कोतवाली थाना बुला या गया था। पूछताछ के दौरान ही उसने थाने केवाश रूम में फांसी लगा आत्म हत्या कर ली। बाद में परि चितों ने हंगामा किया, पथ राव किया,वाहन में आग लगाया, पुलिस द्वारा लाठी चार्ज की भी खबर है।बल रामपुर में एसपी वैभव बेंकर रतनलाल (आईपी एस) हैँ, हाल में राजेश अग्रवाल को यहां से कवर्धा में एसपी बनाया गया है…, राजेश भी कवर्धा में कार्य भार सम्हालने के बाद क्यों छुट्टी पर चले गये हैं…?सवाल यहीं है कि घटना- दुर्घटना में आईपीएस को हटाया जा रहा है पर पुलिस मुख्यालय ने मौन साध रखा है….?
मोहन स्थायी विधायक तो
सुनील अधिकृत प्रत्याशी…
छ्ग में लगातार 8 बारविधा यक बनने वाले (अबभाजपा के सांसद) बृजमोहन अग्र वाल कि रिक्त विस सीट पर उनके पसंदीदा सुनीलसोनी को प्रत्याशी बनाया गया है, वे कहते हैँ कि मैं दक्षिण विस का स्थायी विधायक हूं , सुनील सोनी अधिकृत विधायक होंगे।कांग्रेस ने आकाश शर्मा को उम्मीद वार बनाया है।वैसे इस उप चुनाव नतीजों का असर दोनों ही दलों की राजनीति पर पड़ने वाला नहीं है। पर सूबे की समग्र राजनीति पर असर दिखेगा ही। सवाल यही है कि उप चुनाव के जीत-हार वाले आंकड़े क्या मददगार होंगे! यहां दक्षिण में जीतेगा वही, जिसकी रणनीति में दम होगा ?छग में उपचुनाव की अहमियत कितनी है,इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि पहले सीएम अजीत जोगी महवाही की सीट से उतरे तो भाजपा के विधा यक ने अपनी सीट खाली की थी, और तब से लेकर अब तक छग के उपचुनाव सियासी तपिश बढ़ाते आए हैं।भाजपा ने पूर्व सांसद सुनील सोनी को मैदान में उतार कर ये साफ कर दिया है कि वो इस उपचुनाव को लेकर कितनी गंभीर है।छग के इतिहास में अब तक हुए उपचुनावों में टक्करबराबरी की है अभी तक हुए कुल 16 उपचुनाव में कांग्रेस को 8 बार जीत मिली, भाजपा ने भी 8 बार उपचुनाव में अपना झंडा गाड़ा है , और अब रायपुर दक्षिण की सीट पर भी दोनों ही दल अपनी जीत के दावे कर रहे हैं,कुल मिलाकर छत्तीसगढ़ में होने वाला हर उपचुनाव अपने साथ कुछ सियासी अध्याय लेकर आता है। इस बार भी दावों ने सियासी माहौल गरमा दिया है।
आईएएस डॉ रवि मित्तल
को बड़ी जिम्मेदारी….
जनसम्पर्क संचालनालय तथा संवाद प्रमुख पद पर में अभी तक वरिष्ठ आईए एस या आईपीएस (सचिव या ऊपर,आईजी या ऊपर ) की नियुक्ति होती थी,पहली बार विष्णुदेव सरकार में 2016 बैच के आईएएस डॉ रवि मित्तल को एक चुनौती भरे पद की जिम्मे दारी दी है।जाहिर है कि सर कार ने सोच समझकर ही , उनकी क्षमता देखकर ही पदस्थापना की होगी, वैसे सरकार का चेहरा चमकाने, छवि निर्मित करने सहित पत्रकारों और सरकार के बीच एक सेतु बनाने की जिम्मेदारी जनसम्पर्क के मुखिया की होती है। इधर मयंक श्रीवास्तव के पहले भी कई सीपीआर कुछ माह में हटाये जा चुके हैं, कुछतो 5/6 माह में ही कार्य मुक्त किये जा चुके हैं।छत्तीसगढ़ संवाद में छ्ग राज्य बनने के बाद पदस्थ सीपीआर तथा मुख्य कार्यपालन अधि कारी सीके खेतान लगभग 6 माह,शैलेश पाठक 15 माह,एम के राऊत 9 माह, विवेक ढांड 5 माह, अभि ताभ जैन 13 माह, दिनेश श्रीवास्तव 13 माह, बैजेंद्र कुमार 5 साल 9 माह,ओ पी चौधरी 13 माह, रजत कुमार10 माह, गणेशशंकर मिश्र 6 माह, राजेश टोप्पो 3 साल 2 माह, अँबलगम पी.1 माह, तारणप्रकाश सिन्हा ढाई साल,भारती दासन 4 माह, दीपांशु काबरा(आईपीएस)2 साल 3 माह इस पद पर रहे तो मयंक श्रीवास्तव (आईपी एस) ने करीब 9 माह तक यह जिम्मेदारी सम्हाली है।
खूंखार माओवादी
सुजाता की गिरफ्तारी..
तेलंगाना पुलिस ने हैदरा बाद के महबूबनगर से खूंखार महिला नक्सली कल्पना उर्फ सुजाता को गिरफ्तार किया है। उस पर आंध्र प्रदेश,तेलंगाना, महा राष्ट्र और छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर 1करोड़ रुपये का इनाम था।पुलिस को उससे पूछताछ में नक्सलियों के बारे में बड़ा इनपुट मिलने की उम्मीद है। झीरम घाटी, 76 सुरक्षा बलों के जवानों की शहादतआदि मामले में भी इसका हाँथ था.सुजाता नक्सली लीडर कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की विधवा है।पुलिस को माओवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली है।60 वर्षीय सुजाता दक्षिण बस्तर डिविजनल कमेटी की प्रभारी सहित कई पदों पर रही है। एक जमाना ऐसा था,जब मध्य भारत के जंगलों में उसका सिक्का चलता था। उसका खौफ ठीक उसी तरह था, जैसे चंदन तस्कर वीरप्पन का हुआ करता था।सुजाता अपने युवाकाल में दक्षिण बस्तर डिवीजन कमेटी की प्रभारी थी।बीजापुर,सुकमा दंतेवाड़ा जिले में 100 से ज्यादा घटनाओं को अंजाम देने में हिस्सेदार थी, उपचार के लिए तेलंगाना पहुंची थी, तभी उसे पकड़ लिया गया।सुजाता माओवादी कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी की विधवा है। किशनजी के साथ ही बंगाल से बस्तर पहुंची थी।किशनजी को बंगाल का प्रभार दिये जाने के बाद कुछ वक़्त बंगाल में भी रही। किशनजी के 20 11 में मारे जाने के बाद बस्तर को अपना ठिकाना बना लिया था।सुजाता को ऊंचे कैडर का हार्डकोर नक्सली माना जाता है। पति की मौत के बाद महि ला नक्सली संगठन छोड़ देती है, लेकिन सुजाता ने ऐसा नहीं किया,उसका देवर सोनू सेंट्रल कमेटी सदस्य है। सोनू की पत्नी माओवादी नेता है, सुजाता ने नक्सली कमांडर माडवी हिड़मा को खड़ा किया था। संगठन में महिलाओं की भर्ती में उसकी बड़ीभूमिका रही है।
और अब बस……
0पुलिस स्मृति दिवस समारोह में सत्ताधारी दल के विधायक को पुलिस के एक बड़े अफसर के सेल्यूट की जमकर चर्चा है?
0डॉ रमन सिँह की सुरक्षा अब एनएसजी की जगह सीआरपीएफ के जवान करेंगे।
0क्या दीपावली के बाद प्रशासन और पुलिस में फिर एक बड़ा बदलाव होगा…?