आत्म विश्लेषण का दौर,, मीडिया की भी धर्मनिरपेक्षता अब प्रश्न चिन्हित होने लगी है? 

सत्य से साक्षात्कार 
 ✒️संजय त्रिपाठी 
♦️सोशल मीडिया के तर्क वितर्क के दौर में,,, कुछ सवाल मुझे गहरे छू रहे हैं, सोशल मीडिया ने अब कलम, आम जनता केहाथों में थमा दी है  सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव के बीच कुछ मुद्दे जो ज्वलंत हैं उन्हें आपके बीच प्रस्तुत कर रहा हूं,।,
👉 पहला सवाल तो यह सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कि,, भारत कभी भी धर्मनिरपेक्ष देश नहीं रहा, सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म ने ही विभिन्न संस्कृतियों का आश्रय स्थल बनाया,,, संविधान सभा ने भारत को पंथनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया था ।
👉 इंदिरा गांधी ने वामपंथियों की सलाह पर,, आपातकाल लगाकर सारे विपक्ष को जेलों में बंद कर दिया,, मीडिया पर पाबंदी लगा दी गई,, और संविधान में1976 मे 42वां संशोधन करते हुए संविधान सभा द्वारा लागू किया गया पंथनिरपेक्ष अर्थात,, रामराज्य की कल्पना के अनुरूप उपासना की स्वतंत्रता “पंथनिरपेक्ष” शब्द को बदलकर”धर्मनिरपेक्ष कर दिया!
👉आज संविधान और धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाले तो सो कॉल्ड सेकुलर यह सब जनता को कभी नहीं बताते कि संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द कब आया।
👉 एक हिंदूवादी ने एक सवाल यह भी उठाया👉 तथाकथित धर्मनिरपेक्षता वादी,,, नेता व पत्रकार, जो हिंदू है, अपने परिवार के साथ हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में हिंदू समाज की सुरक्षा में रहते हैं, समय-समय पर हिंदू कट्टरता का खतरा सब को बताते रहते हैं, हिंदू आतंकवाद जैसे शब्दों को भी उपयोग में लाते हैं, सांप्रदायिक तनाव होने की स्थिति में दंगा किस ओर से प्रारंभ हुआ या ना बताते हुए दोनों पक्ष को स्वयं ही दोषी सिद्ध कर देते हैं,,,,और सबको धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाते हैं, “”तथाकथित सेकुलरअपनी बहन बेटी और पूरे परिवार के साथ अगर वह मुस्लिम बहुल क्षेत्र में रहेंगे अभी तो एक आदर्श के रूप में, यह संदेश सब में फैलेगा ,, लोगों के सामने कुछ समय बाद उदाहरण प्रस्तुत होगा,और महान आत्माओं को बहुत जल्दी लव जिहाद, धार्मिक कट्टरता धर्मनिरपेक्षता का वास्तविक अर्थ भी समझ में आ जाएगा।
👉 अभी हाल में ही पंजाब के पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने जब कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया,,, तब सोशल मीडिया पर एक सवाल बड़ा रिलेवेंट लगा,,, अधिकांश कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए सुनील जाखड़ का समर्थन किया, पूरी कांग्रेस पार्टी बहुमत के साथ विधायकों के समर्थन से उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहती थी,,,, विधायक दल में हिंदू ,,सिख का भेद नहीं था,,, चन्नी के मुख्यमंत्री बनने के पहले सोनिया गांधी से मिलकर उनके बंगले से बाहर निकलते समय वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अंबिका सोनी ने कहा “”कि पंजाब की पहचान सिख धर्म से होनी चाहिए,, श्रीमती सोनिया गांधी जी का विचार है”” कि, पंजाब का मुख्यमंत्री बहुसंख्यक समाज से होना चाहिए क्योंकि वहां पर मेजॉरिटी सिख है,,,,
👉कांग्रेस पार्टी ने डिसीजन भी वही किया,, सोशल मीडिया पर एक सवाल उठा भारत की मेजोरिटी हिंदू है फिर कांग्रेस ने एक सिख मनमोहन सिंह को भारत का प्रधानमंत्री क्यों बनाया?
👉 क्योंकि हिंदू ने कभी सांप्रदायिक नहीं रहा उसने सदैव जियोऔर जीने दो पर विश्वास रखा,, विश्व में कहीं इतने धर्मों को स्थान नहीं मिला जितना भारत में सदा कालांतर से दिया है,,, मक्का से पहले केरल में एक हिंदू राजा ने मस्जिद का निर्माण करवाया था,, कोलकाता में पहला गिरजाघर एक हिंदू शासक के राज्य में ही बना,,, मंत्र संप्रदाय,, यहूदी अहमदिया यहां शरण पाते हैं,,,, यहां तक की जिस क्रिकेट चयन समिति के अधिकांश सदस्य हिंदू थे,, उन्होंने भारत के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट का कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन बना दिया गया,,,, के आधार पर किसी ने भी कभी भी कोई आपत्ति नहीं ली,,, कभी राष्ट्रपति तो कभी प्रधानमंत्री अहिंदू रहे,,, हिंदू समाज ने कभी धर्म के आधार पर अराजकता फैलाने की कोशिश नहीं की, ना ही कभी किसी त्यौहार या उपासना स्थल से निकलकर संख्या बल के आधार पर हिंसा करने का प्रयास किया।
👉सोशल मीडिया पर सवाल उठे तर्कसंगत भी है,, कि ऐसा ही व्यवहार और आचरण उन राज्यों में क्यों नहीं हुआ जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं,, आज तक,, पंजाब और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में मुख्यमंत्री हिंदू क्यों नहीं बन पाए,, कोई यह सवाल उठाता है तो इसमें गलत क्या है क्योंकि इस सवाल का पहला प्रश्न अंबिका सोनी ने उठाया है,,,, यह भी उठता है कि क्या यह उदार मानसिकता सिर्फ बहुसंख्यक हिंदू समाज में ही है,, कि वह अपने बहुसंख्यक देश किसी भी अन्य धर्म के व्यक्ति को शिखर पर तक पहुंचने दे,, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक बनने दे!।
👉 अभी बड़ा जबरदस्त सवाल उठा, संविधान और न्यायालय की बात करने वाले “सो कॉल्ड सेकुलर” एक निश्चित डेसिबल से अधिक आवाज पर होने वाली है,, अजान को लेकर क्यों खामोश रहे,, कुछ मस्जिदों पर तो 15 15 20 20 माइक लगे हुए फोटो भी सोशल मीडिया पर जारी हुए और उस अजान का शोर सुबह साडे 4:05 बजे इतना तेज होता था कि चौक पर घबराकर लोग उठ जाते थे,,,,, यह सवाल भी गलत नहीं ठहराया जा सकता कि विशेष रूप से सो कॉल्ड सेकुलर मीडिया हमेशा एक अभियान चलाता है,, सूखी होली,, दीपावली पर बम मतफोडो,, पर क्या ईद पर हजारों बकरे की कुर्बानी,,, के दौरान फैलने वाले खून उस खून को धोने में लगने वाले लाखों,करोडो लीटर पानी,, मक्खियों से फेलने वाले संक्रमण पर कोई समाज सुधार का अभियान यह सेकुलर मीडिया क्यों नहीं चलाता!, फ्रेंडली ईद को लेकर कोई अभियान क्यों नहीं चला,,ईस्टर और न्यू ईयर सेलिब्रेशन को लेकर भी समाज सुधार के कई विषय उठाए जा सकते थे,,
👉 बहुत वायरल हुआ, साधुओं पर सवाल उठाया जाता है ,, मंदिरों सत्कार की परंपराओं पर भी सवाल उठाया जाता है,, उठाया जाना भी चाहिए,,, तो फिर अन्य धर्म के संस्थान सवालों से मुक्त कैसे हो सकते हैं,, फिर यही सेकुलर मीडिया मदर टेरेसा के सेंट बनने की प्रक्रिया के दौरान उनके द्वारा किए गए चमत्कारों का वैज्ञानिक विश्लेषण क्यों नहीं करता*?
👉एक पत्रकार के रूप में मैंने अनेक बार अनेक मंदिरों के चमत्कारों की व्याख्या विश्लेषण और वैज्ञानिक प्रमाण की बात तो रिपोर्ट और टीवी पर देखी है,, किसी इस्लामिक,, यहूदी या फिर क्रिश्चन पादरी को सेंट बनने की प्रक्रिया के दौरान उनके द्वारा किए गए चमत्कारों का वैज्ञानिक*विश्लेषण करते हुए कथित संविधान प्रेमी धर्मनिरपेक्ष मीडिया को कभी नहीं देखा है।
👉 एक सवाल यह भी है कि धर्मनिरपेक्ष गुलाम नबी आजाद जब जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बनते हैं तो वे जम्मू कश्मीर की विधानसभा में शरिया के अनुसार जम्मू कश्मीर राज्य को चलाने का संकल्प दोहराते हैं,,, कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी उसका समर्थन करते हैं। वामपंथी उसे क्षेत्रीय मुद्दा बताते हुए पल्ला झाड़ लेते हैं। और स्थानीय राज्य की स्वायत्तता का विषय बताते हैं।
👉 अगर संख्या ही आधार है तो वामपंथी और कांग्रेसी जैसे तथाकथित सेकुलर कश्मीर में तो शरिया का समर्थन करते हैं,,, पर बहुसंख्यक हिंदू समाज वाले भारत में धर्मनिरपेक्षता का राज्य चाहते हैं। क्या यह दोहरा मापदंड नहीं!
👉 नहीं हैदराबाद में एक हिंदू की हत्या की गई,, अभी हाल में ही राजस्थान में मंदिर तोड़ा गया,,, राजस्थान में हुए सांप्रदायिक दंगों और अजान के बाद हुई हमलों के बावजूद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सांप्रदायिक हिंसा का मुख्य कारण वह जिम्मेदार भाजपा को बता कर मुक्ति पाली जबकि बड़े स्तर पर आई एस आई सी मी और कई जिहादी संगठन इस में सम्मिलित है,,,*ऐसा ही हाल पश्चिमी बंगाल में हिंदुओं को जलाकर मारने के बाद देखने को मिला सो कॉल्ड सेकुलर मीडिया की एक भी सुर्खी सूचना देने के अतिरिक्त नहीं बन पाई इसी जगह अगर कोई मुस्लिम मरे होते तो देश का तथाकथित सेकुलर मीडिया इसे मुद्दा बना था और कई महीनों तक दिखाकर हिंदुओं को आतंकवादी घोषित करने का प्रयास करता!!*
👉 वह कौन से लोग हैं और किस धर्म परंपरा को मानने वाले हैं जो सरेआम, कानून और संविधान को सड़कों पर चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं,,, यह धमकियां भी दी जा रही हैं,, लाखों-करोड़ों लोग सड़कों पर उतर कर उत्पात मचा देंगे अगर यह निर्णय हमारे खिलाफ आया तो!
दोस्तों सोशल मीडिया के इस प्लेटफार्म ने बहुत से ऐसे विषय भी उठाए हैं जिनसे हमें असहमति व सहमति हो सकती है,,, पर कुछ ऐसे सवाल हैं,,, जो वास्तव में सो कॉल्ड सेकुलर मीडिया को भी प्रश्न चिन्ह करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *