उत्तराखंड में सत्ता की कमान…तय होगा आज नए मुखिया का नाम

देहरादून : भाजपा की विधानमंडल दल की बैठक बुधवार को प्रदेश पार्टी कार्यालय में सुबह 11 बजे से होगी। इस बैठक में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद के लिए नए चेहरे का नाम तय होगा।

निशंक, धन सिंह और महाराज पर चर्चा

अगले सीएम के लिए जिन चार नामों की चर्चा सबसे ज्यादा है, उनमें केंद्रीय शिक्षा मंत्री और हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का नाम सबसे आगे है। आरएसएस पृष्ठभूमि से आने वाले राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत, प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महराज और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट के नाम भी प्रमुखता से चर्चा में हैं।

केंद्रीय पर्यवेक्षक देहरादून पहुंचे

विधानमंडल दल की बैठक में नया नेता चुनने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक के रूप में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम देहरादून पहुंच गए हैं।

संतुलन साधने को उपमुख्यमंत्री बनाने की भी चर्चाएं
मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद सियासी हवाओं में चर्चा तैर रही है कि बुधवार को भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में पार्टी उप मुख्यमंत्री का चुनाव भी कर सकती है। माना जा रहा है कि पार्टी संतुलन साधने के लिए इस कवायद को अंजाम दे सकती है। नए मंत्रिमंडल में चेहरे बदलने की संभावनाएं भी जताई जा रही है।

उत्तराखंड में सत्ता की कमान किस नेता के हाथों में सौंपी जाएगी, अभी यह रहस्य बना हुआ है। लेकिन सूत्र यह दावा कर रहे हैं कि सरकार मुख्यमंत्री के साथ उप मुख्यमंत्री बनाने का प्रयोग कर सकती है। यदि ऐसा हुआ तो उत्तराखंड में पहली बार कोई उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा।

इस पद के लिए खटीमा के विधायक पुष्कर सिंह धामी का नाम भी चर्चाओं में रहा। हालांकि पार्टी के सूत्रों ने डिप्टी सीएम बनाए जाने की संभावना से इंकार किया है। इसके अलावा पार्टी में नए मंत्रिमंडल में चेहरे बदलने की संभावना जताई  जा रही है।

त्रिवेंद्र कैबिनेट में कांग्रेस छोड़कर भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते सतपाल महाराज, सुबोध उनियाल, डॉ. हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य व रेखा आर्य मंत्री हैं। इनके अलावा अरविंद पांडेय और डॉ. धनसिंह रावत भाजपा की पृष्ठभूमि से कैबिनेट में हैं। सूत्रों के मुताबिक, नए चेहरे के हाथों में कमान आने के बाद यह मंत्रिमंडल पद से कुछ मंत्रियों की छुट्टी हो सकती है और कुछ नए चेहरे शामिल हो सकते है।

बीजापुर गेस्ट हाउस के सेफ हाउस में सुरक्षित हुआ भावी मुख्यमंत्री पर फैसला 
बीजापुर गेस्ट का सेफ हाउस मंगलवार की शाम को मंत्रियों और पार्टी के पदाधिकारियों का ठिकाना बन गया था। देर रात तक यहां मंत्री धन सिंह रावत से लेकर तमाम आला पदाधिकारी आपसी मंत्रणा में जुटे रहे। यहीं रात को प्रदेश के भावी मुख्यमंत्री पर मौखिक फैसला हो गया। अब बुधवार को होने वाली बैठक में इसका असर दिखेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के इस्तीफे के बाद सूबे में सियासी हलचल तेज हो गई। नए मुख्यमंत्री की ताजपोशी को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। चर्चाओं के बीच एक ओर मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने मंत्री रेखा आर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत से बातचीत की तो दूसरी ओर शाम को सभी सेफ हाउस में पहुंच गए थे।

यहां धीरे-धीरे पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया। पार्टी के कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी सेफ हाउस में ही मंथन में जुटे रहे। खबर लिखे जाने तक सेफ हाउस में मंथन जारी था।

माना जा रहा है कि रात को ही आम सहमति बन गई। अब औपचारिक तौर पर विधानमंडल दल की बैठक में इस पर मुहर लग जाएगी।

आने वाले मुख्यमंत्री से कर्मचारी संगठनों को अपार उम्मीदें
सूबे की सियासत में चल रहे घमासान के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे को लेकर कर्मचारी संगठनों ने भी अपनी बात रखी है। सभी संगठनों को यह उम्मीद है कि जो भी कुर्सी संभालेगा, उनकी मांगों को लेकर संजीदा होगा। हालांकि सभी ने त्रिवेंद्र रावत के कार्यकाल की तारीफ भी की।

त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्यकाल अच्छा रहा, निष्पक्ष रहा। हालांकि कर्मचारियों की कुछ मांगें रह गई हैं। आने वाले मुख्यमंत्री से राज्य कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदे हैं। सेवाकाल में शिथिलीकरण का लाभ, महिलाओं को तबादला एक्ट में 50 वर्ष की छूट, उपनलकर्मियों का नियमितिकरण, गोल्डन कार्ड की समस्याओं का समाधान जैसे मुद्दों पर कार्रवाई की उम्मीद है। हम नए मुख्यमंत्री को भी पूरा सहयोग करेंगे।
– ठाकुर प्रहलाद सिंह, प्रदेश संयोजक, उत्तराखंड कार्मिक, शिक्षक, आउटसोर्स संयुक्त मोर्चा

यह भाजपा का अंदरूनी मामला है। आने वाले नए मुख्यमंत्री से उम्मीद करते हैं कि वह कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर कोई कदम उठाएंगे। हमारी मांग है कि शासन स्तर पर हुईं बैठकों में बनी सहमति के आधार पर हुए आदेशों के पालन की समीक्षा हो। आने वाले मुख्यमंत्री से यही उम्मीद है।
– अरुण पांडेय, कार्यकारी अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद

मुख्यमंत्री बदलना तो पार्टी का फैसला है, लेकिन हमारी यही कामना है कि जो भी नए मुख्यमंत्री आएं, वह कर्मचारियों के प्रति अपना व्यवहार अच्छा रखें। उन्हें अपने परिवार का सदस्य मानें।
– विरेंद्र सिंह गुसाईं, सचिव, जनरल-ओबीसी संगठन

हमने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से भी मांग की थी कि कर्मचारियों-शिक्षकों की समस्याओं को लेकर कोई अलग से सेल बना दें। अब नए मुख्यमंत्री से भी मांग यही रहेगी कि कर्मचारियों की समस्याओं को लेकर अलग से कसरत करें। बार-बार आंदोलन करना अच्छा नहीं है।
– पंचम सिंह बिष्ट, महासचिव, उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन

 

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