जिले के दानदाताओं के प्रति कलेक्टर ने माना आभार

अपील में कहा- दान के तौर पर यथासंभव खाद्यान्न सामग्री ही दें, आर्थिक सहायता राशि सीधे मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा कराएं

धमतरी, यशंवत गिरी गोस्वामी ।  नोवेल कोरोना वायरस कोविद-19 की वैश्विक आपदा के मद्देनजर संपूर्ण देश सहित धमतरी जिले में 25 मार्च से तालाबंदी (लॉक डाउन) प्रभावी है, जिसका सर्वाधिक और सीधा प्रभाव निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों पर पड़ा है। गरीब तबके के यथासंभव सहयोग के लिए कलेक्टर रजत बंसल ने पिछले दिनों जिले के स्वयंसेवी संगठनों, संस्थाओं और लोगों से मदद की अपील की थी। उक्त अपील पर नगर के विभिन्न संस्थानों, स्वयंसेवी संगठनों और दानदाताओं ने अल्प समय में यथायोग्य सहयोग किया। कलेक्टर ने सभी संगठनों व दानदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अनुरोध किया है कि जहां तक संभव हो दानदाता राशन और दैनिक उपभोग की आवश्यक सामग्री दान स्वरूप दें। यदि आर्थिक सहयोग करना हो तो राशि अथवा चेक सीधे मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करें।
अपनी अपील में कलेक्टर बंसल ने कहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा तालाबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित वर्ग को राहत पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों पर इसका काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा रहा है। यह खुशी की बात है कि संकट के इस दौर में जिले के लगभग 155 लोगों ने 14 लाख से ज्यादा राशि की खाद्यान्न सामग्री दान की है और 500 से अधिक स्वयंसेवी लोगों ने अपने वॉलिंटियर के जरिए सेवाएं दी है। यदि भविष्य में कोई भी आपात स्थिति निर्मित होती है तो उनसे सेवा की जरूरत पड़ेगी। अपनी अपील में उन्होंने आगे कहा कि यह काफी हर्ष की बात है कि यहां के नागरिक अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और हितों को दरकिनार कर जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए आगे आए। यह एक विशेष उपलब्धि है कि इतने सारे लोग इतने कम समय में अपने खुद के और अपने संसाधनों के जरिए लोगों की सेवा में करने के आतुर हैं। कलेक्टर ने पुनः अपील करते हुए कहा कि आने वाले समय में भी मानव सेवा की यह परंपरा जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि दान में प्राप्त सामग्री और वस्तुओं में पारदर्शिता लाने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसके माध्यम से दानदाताओं से खाद्यान्न सामग्री और जरूरत के अन्य सामान मिल रहे हैं। कलेक्टर ने कहा कि यदि दान के तौर पर राशि या चेक दिया जाना हो तो किसी सरकारी अधिकारी कर्मचारी को नहीं देनी है। इसके बजाय सीधे मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा कराएं, ताकि इनकम टैक्स की छूट का भी लाभ दानदाताओं को मिल सके। उन्होंने यह भी अपील की है कि जो स्वयंसेवी संस्थाएं खुद से वस्तु और सामान सामान बांट रही हैं वह भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियमो का पालन करें और प्रशिक्षित सरकारी अमले के का सहयोग अवश्य लें। इससे निश्चित रूप से जनता और शासन एक साथ मिलकर बेहतर सेवा प्रदाता साबित हो सकते हैं।

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