फ़ोर्स ने शीर्ष माओवादी हत्यारों को चारों तरफ़ से घेरा




जब जान पर बन आयी तो गिड़गिड़ाने लगे नक्सली
बार-बार भेज रहे शांति वार्ता का प्रस्ताव
-प्रियंका कौशल ( लेखक “भारत एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल की स्थानीय संपादक हैं )
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अंतिम सांसे गिन रहा है। बस्तर के जंगलों में एंटी नक्सल ऑपरेशन तेजी से चल रहा है और खूंखार वांछित नक्सली मारे जा रहे हैं। कई मुख्य धारा में शामिल होने के लिए आत्मसमर्पण कर रहे हैं। लोन वर्राटू जैसे अभियान और नियद नेल्लानार जैसी योजनाएं बस्तर की तस्वीर बदलने में सहायक सिद्ध हुई हैं। इस समय बीजापुर में उसूर थाना क्षेत्र अंतर्गत कोतापल्ली गांव के कर्रेगुट्टा पहाड़ी में पिछले 5 दिनों से मुठभेड़ जारी है। नक्सलियों के खिलाफ जारी इस बड़े ज्वाइंट ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने हिड़मा और देवा समेत कई खूंखार नक्सलियों को घेरा रखा है। दोनों तरफ से रुक-रुक कर फायरिंग हो रही है। बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त अभियान शुरू किया है। तेलंगाना की सीमा से लगे उसूर थाना क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में यह ऑपरेशन जारी है। इस ऑपरेशन के तहत सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता हाथ लगी है। जवानों ने 5 नक्सलियों को मार गिराया है। सुरक्षा बलों के जवान नक्सलियों द्वारा बड़े स्तर पर लगाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) को देखते हुए बेहद सतर्कता से आगे बढ़ रहे हैं। अब तक 100 से अधिक आईईडी मिलने की बात सामने आई है, जिन्हें जवानों को निशाना बनाने के मकसद से बिछाया गया था। फिलहाल इलाके में बारूदी सुरंगों को हटाने का काम जारी है।
ऑपरेशन का सेंटर पॉइंट करेगुट्टा पहाड़ है। यह तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है। इस इलाके में माओवादियों के कई शीर्ष कमांडर और कैडर मौजूद हैं। सुरक्षा बलों ने ड्रोन और सैटेलाइट के जरिए इलाके पर लगातार निगरानी रखी हुई है। इस अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), कोबरा बटालियन और तेलंगाना की ग्रेहाउंड फोर्स शामिल हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र से भी सी-60 कमांडो इस ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं।
बस्तर में अब माओवादी उग्रवाद से आर पार की लड़ाई हो रही है। फोर्स नक्सलियों के बेस कैम्प तक पहुंच चुकी है। दशकों से बस्तर की धरती को निर्दोष लोगों के खून से लाल करने वाले नक्सली अब खुद की जान जाती देख बार-बार शांति प्रस्ताव भेज रहे हैं। लेकिन धोखेबाजी का पर्याय रहे नक्सलियों से अब कोई वार्ता करने की गुंजाइश नहीं है। जब राज्य सरकारें माओवादियों से हिंसा छोड़ मुख्य धारा में आने की अपील करती थीं, तो नक्सली लोगों का खून बहाकर उत्तर देते थे। अब स्वयं का अंत देख उनकी आत्मा थऱ-थर कांप रही है।
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ही माओवादी उग्रवाद के खात्मे के लिए एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज हो गए थे। केंद्र और राज्य की डबल इंजन की सरकार ने तय कर लिया है कि मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का नामों निशान मिटा दिया जाएगा। इसलिए वर्ष 2024 से नक्सलियों के खिलाफ अभूतपूर्व अभियान चलाकर उसका समूल नाश करने की दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। इसमें इंटर स्टेट बॉर्डर पर सभी नक्सल प्रभावित राज्य एक दूसरे की मदद कर रहे हैं, साथ ही छत्तीसगढ़ पुलिस के साथ सीआरपीएफ, बीएसएफ, आटीबीपी का सामंजस्य भी निर्णायक स्थिति की तरफ तेजी से ले जा रहा है। 2024-25 में सर्वाधिक नक्सली मारे गए है। पहले हमारे जवान शहीद होते थे और नक्सली बच निकलते थे। ताड़मेटला और रानीबोदली नक्सल हमले आज भी ज़ेहन से नहीं निकलते।
पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुन्दरराज पी. के अनुसार वर्ष 2025 में अब तक बस्तर रेंज में माओवादियों के साथ विभिन्न मुठभेड़ों के बाद सुरक्षा बलों द्वारा AK47, INSAS, SLR सहित कुल 139 हथियार बरामद किए गए हैं l वर्ष 2024 में नक्सलियों के साथ विभिन्न मुठभेड़ के बाद डीआरजी/एसटीएफ/बस्तर फाइटर्स/कोबरा/सीआरपीएफ/बीएसएफ/आईटीबीपी/एसएसबी/सीएएफ ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाकर कुल 286 हथियार बरामद किए गए थे l 1033 माओवादी गिरफ्तार किये गए थे, वहीं 925 ने आत्मसमर्पण किया है। इसी तरह पिछले वर्ष 2024 में कुल 16 मुठभेडों में 203 नक्सलियों के सफाया करने का सर्वाधिक रिकार्ड बनाया था। 2025 में विभिन्न मुठभेडों में 125 हार्डकोर माओवादी के शव मिले हैं।
वर्ष 2025 शुरू होते ही माआवेादी संगठनों के शीर्ष नेत्त्व को सुरक्षा बलों द्वारा भारी क्षति पहुंचाई गई है। जिसमें डीकेएसजेडसी, डीव्हीसी, एसीएम एवं अन्य छोटे कैडरों के माओवादियों का बड़ी संख्या में मारे गए हैं। प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी सीपीआई माओवादियों संगठन के पास अब हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण के अलावा और कोई विकल्प नही बचा है।
वर्ष 2025 में ही 25 लाख ईनामी माओवादी दण्डकारण्य जोनल कमेटी मेम्बर रेणुका उर्फ बानु उर्फ चैते उर्फ सरस्वती मारी गयी। वह मूल रूप से तेलंगाना राज्य का जिला वारंगल कडवेन्डी की निवासी थी। विगत कई वर्षों से रेणुका उर्फ बानु दंडकारण्य क्षेत्र में दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेम्बर और सेंट्रल रीजनल ब्यूरो की प्रेस टीम प्रभारी के रूप में सक्रिय थी l रेणुका के भाई दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी मेम्बर गुडसा उसेंडी उर्फ जीवीके प्रसाद ने वर्ष 2014 में हैदराबाद में आत्मसमर्पण किया था। लेकिन रेणुका बस्तर में आतंक का पर्याय बनी रही।
बस्तर रेंज में विगत 15 महीनों में विभिन्न मुठभेड़ों के बाद जोगन्ना, कार्तिक, निधि, सागर, सुधीर उर्फ सुधाकर,जगदीश, रेणुका जैसे कुल 08 स्टेट कमेटी मेम्बर स्तर के नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं।
हाल ही में हुई मुठभेड़ में नक्सली कमांडर शंकर राव ढेर हो गया था। शंकर राव पर 25 लाख का इनाम था। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में हथियार बरामद किया था। मारे गए सभी नक्सलियों पर कुल एक करोड़ 78 लाख रुपये का इनाम घोषित था। 25 लाख ईनामी माओवादी DKSZCM सुधीर उर्फ सुधाकर उर्फ मुरली भी मुठभेड़ में मारा गया।
नेशनल पार्क मुठभेड़ में नक्सल मास्टरमाइंड हुंगा कर्मा ऊर्फ सोनकू मारा गया। हुंगा कर्मा वर्ष 2006 मे मुरकीनार कैम्प अटैक, वर्ष 2007 में रानीबोदली कैम्प अटैक, वर्ष 2013 में नुकनपाल एम्बुश, वर्ष 2025 अम्बेली IED ब्लास्ट जैसी बड़ी नक्सल घटनाओं का मास्टरमाइंड था। बस्तर डिवीजन सचिव, डीव्हीसीएम हुंगा कर्मा ऊर्फ सोनकू वर्ष 1996 में माओवादी संगठन में भर्ती होकर लम्बे समय से संगठन में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा था। हुंगा कर्मा ऊर्फ सोनकू के विरूद्ध जिला बीजापुर के विभिन्न थानों में हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूट, अपहरण, कैम्प अटैक एवं पुलिस पार्टी पर हमला जैसे मामलों के 08 अपराध पंजीबद्ध एवं 03 स्थाई वारंट थे। सुकमा मुठभेड़ में 25 लाख ईनामी माओवादी दरभा डिवीजन सचिव स्टेट जोनल कमेटी मेम्बर कुहड़ामी जगदीश उर्फ बुधरा भी मुठभेड़ में मारा गया। साथ ही एरिया कमेटी मेम्बर रोशन उर्फ भीमा, एरिया कमेटी मेम्बर सलवम जोगी, एरिया कमेटी मेम्बर माड़वी देवे, एरिया कमेटी मेम्बर माड़वी हिड़मा, एरिया कमेटी मेम्बर दसरी कोवासी जैसे खूंखार नक्सली भी मुठभेड में मारे गए।
इस वर्ष तेलगाना स्टेट कमेटी सदस्य दामोदर,एक करोड़ का इनामी केंद्रीय पोलित ब्यूरो सदस्य जयराम उर्फ चलपति, स्टेट कमेटी सदस्य गुड्डू और सत्यम गावड़े भी ढ़ेर हुए हैं। झीरम हत्याकांड में शामिल नक्सली जगदीश भी मारा गया है।