नई दिल्ली : देश में लोन लेकर जानबूझ कर न चुकाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। विलफुल डिफॉल्टर्स की वजह से बैंकों का घाटा भी बढ़ रही है। 31 मार्च 2020 तक बैंकों को विलफुल डिफॉल्टर्स के 62,000 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डालने पड़े हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई) के तहत पूछे गये एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।
मेहुल चोकसी सबसे बड़ा डिफॉल्टर
भारतीय रिजर्व बैंक ने बताया है कि बैंकों ने मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स का 622 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाल दिया है। गीतांजलि जेम्स का एनपीए 5071 करोड़ रुपये है। पंजाब नैशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची में शीर्ष पर है। चोकसी भारत से भाग गया था और जांच एजेंसियों के मुताबिक वह कैरेबियाई देश एंटीगा में रह रहा है। जतिन मेहता की कंपनी विनसम डायमंड्स एंड ज्वैलरी का बैंकों ने 3098 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डाला है।
बट्टे खाते में डाला गया इन कंपनियों का कर्ज
बासमती राइस कंपनी आरईआई एग्रो का 2,789 करोड़ रुपये, केमिकल कंपनी कुदोस केमी का 1979 करोड़ रुपये, कंस्ट्रक्शन फर्म जूम डेवलपर्स का 1927 करोड़ रुपये, एबीजी शिपयार्ड का 1875 करोड़, फॉरएवर प्रीशियस ज्वैलरी एंड डायमंड कंपनी का 1715 करोड़ रुपये औरसूर्य विनायक कंपनी का 1629 करोड़ रुपये का कर्ज बैंक बट्टे खाते में डाला गया है। अप्रैल 2020 में यह सामने आया था कि आरईआई एग्रो के झुनझुनवाला बंधु पहले से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में हैं जबकि विनसम डायमंड्स के मालिकों की कथित धोखाधड़ी पर भी सीबीआई, ईडी जांच कर रहा है।
मार्च 2019 में 58,375 करोड़ रुपये था आंकड़ा
31 मार्च 2020 तक जानबूझ कर कर्ज न चुकाने वाले 100 बड़े कर्जदारों पर बकाया 61,949 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल दिया गया है। जबकि मार्च 2019 में यह आंकड़ा 58,375 करोड़ रुपये था। मालूम हो कि केंद्रीय बैंक चार साल से अधिक के एनपीए को बट्टे खाते में डालने की इजाजत देता है, जिसकी वजह से अब इसका एनपीए 9.1 फीसदी से घट कर 8.2 फीसदी पर आ गया है।