मुझमें कितने राज हैं बतलाऊं क्या… बंद एक मुद्दत से हूं, खुल जाऊं क्या…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )          

जीरम घाटी नक्सली हमले को आगामी 25 मई को 7 साले पूरे हो जाएंगे, परंतु दुर्भाग्य यह है कि नक्सली हमले के गुनहगार अभी भी कानून की पकड़ से बाहर है। वैसे छग में भूपेश सरकार के गठन के बाद इस मामले के खुलासे की उम्मीद बँधी थी पर जांच की ही दिशा नहीं पकड़ सकी है।
बस्तर की जीरम घाटी की नक्सली वारदात ने पूरे देश को हिला दिया था। इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, नंदकुमार पटेल, महेन्द्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार जैसे दिग्गज नेताओं सहित 31 लोगों का जीवन नक्सलियों ने लील लिया था। उस समय तत्कालीन प्रदेश की भाजपा सरकार की सुरक्षा चूक सहित राजनीतिक साजिश की चर्चा के बीच कई अनसुलझी बात अभी तक चर्चा में है।
वैसे यह तय था कि बस्तर के टाईगर महेन्द्र कर्मा तो नक्सली निशाने पर शुरू से रहे थे, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल तथा पूर्व विधायक उदय मुदलियार तो सामूहिक गोलीबारी के अनजाने में शिकार हो गये पर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल को अलग ले जाकर नक्सलियों ने क्यों हत्या कर दी? उन्हें दूर ले जाकर आखिर नक्सली क्या जानना चाहते थे? सवाल यह भी उठ रहा था कि सुकमा जिले निकली परिवर्तन यात्रा में तो सुरक्षा इंतजाम था पर जगदलपुर जिले में सुरक्षा इंतजाम क्यों नहीं था…। जहां नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था वह राष्ट्रीय राजमार्ग था। जहां विद्याचरण शुक्ल नक्सली हमले के बाद घायल अवस्था में जीवन मृत्यु से संघर्ष करते रहे वहां से 10 किलोमीटर के दायरे में 2 थाने थे फिर विद्याचरण शुक्ल जैसे पूर्व केंद्रीय मंत्री के पास 4 घंटे बाद पुलिस पहुंच सकी? क्या यह नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई लडऩें की नियत पर सवाल नहीं खड़ा करता है….। हालांकि तत्कालीन सरकार ने गणेश उइके, गुडसा उसेण्डी, रमन्ना, सुमित्रा और पांडू सहित लगभग 60 महिला सहित 200 लोगों के शामिल होने का दरभा थाने में मामला दर्ज किया… एनआईए जांच भी हुई पर खुलासा नहीं हो सका? कांग्रेस के एक नेता को दरभा नक्सली वारदात के 2 दिन पहले दिनेश पटेल का एक एसएमएस भी मिलने की भी चर्चा हुई थी जिसमें तत्कालीन प्रदेश सरकार के मुखिया के खिलाफ खुलासे का जिक्र था…। उसका क्या हुआ….।
बहरहाल नंदकुमार पटेल के दूसरे पुत्र उमेश पटेल वर्तमान में भूपेश मंत्रिमंडल के सदस्य हैं, महेन्द्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा सत्ताधारी दल कांग्रेस की विधायक हैं।इस वारदात में किसी तरह निकले कवासी लखमा, अभी छग सरकार में मंत्री हैँ. नक्सली वारदात के समय बस्तर पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थ हिमांशु गुप्ता आजकल छत्तीसगढ़ की गुप्तचर शाखा के प्रमुख बन गये हैं जबकि कांग्रेस जब विपक्ष में थी तो इस आईजी पर भी कार्यवाही की मांग करती रही थी। बहरहाल भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस मामले में एसआईटी की घोषणा की थी पर एनआईए ने फाईल देने से मना कर दिया और जांच लटक गई है। क्या जीरम घाटी नक्सल हमले का कभी खुलासा हो सकेगा……?

म.प्र. का रिकार्ड क्या छग में भी बनेगा……?       

छ.ग. अविभाजित म.प्र. में जब प्रदेश में सुंदरलाल पटवा की सरकार थी तब 22 सितंबर 1991 से 1 जनवरी 93 तक श्रीमती निर्मला बुच को मुख्य सचिव बनाया गया था वे पहली और आखरी अविभाजित म,प्र. की महिला मुख्य सचिव रही है। वही छग में इंदिरा मिश्रा अतिरिक्त मुख्य सचिव बनकर रिटायर हुई है। अभी तक प्रदेश में इस बड़े पद पर जानेवाली वे पहली महिला थी lपर अब रेणु जी पिल्ले भी छग में अतिरिक्त पुलिस सचिव बन चुकी है। 91 बैच की इस आईएएस अफसर को भारत सरकार ने भी एडीशनल सेकेटरी इम्पैनल किया है। रेणु पिल्ले भी अगले मुख्य सचिव की कतार में है यदि वे मुख्य सचिव बनती है तो छग में पहली महिला मुख्य सचिव बनने का उनका रिकार्ड बन जाएगा। वैसे वर्तमान मुख्य सचिव आर.पी. मंडल नवंबर 2020 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे, हो सकता है कि प्रदेश सरकार उनके एक्सटेंशन का प्रस्ताव भी केंद्र को भेजे…। बहरहाल मंडल के बाद वरिष्ठता सूची में उन्हीं के 87 बैच के सी.के. खेतान का नंबर आता है और जुलाई 2021में इनकी सेवानिवृत्ति है। 7-8 माह के लिए उन्हें मुख्य सचिव बनाया जाएगा ऐसा लगता नहीं है फिर अतीत में उनके कार्यकाल के कुछ कार्य भी उनके लिए रूकावट बन सकते हैं। वैसे इनसे वरिष्ठ एन. बैजेन्द्र कुमार (85) जुलाई 20 में सेवानिवृत्त हो जाएंगे, डॉ. रमन सिंह के करीबी प्रतिनियुक्ति में एनएमडीसी में पदस्थ बैजेन्द्र कुमार को भूपेश सरकार मुख्य सचिव बनाएगी ऐसा लगता नहीं है। मंडल के ही बैचमेंट बीबीआर सुब्रमणियम अभी जम्मू-कश्मीर में मुख्य सचिव हैं। वे वहां से हटने के बाद प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृहमंत्री के कार्यालय में पदस्थ हो सकते हैं। उनके छग लौटने की फिलहाल संभावना नहीं है इनकी सितंबर 2022 में सेवानिवृत्ति है। छग में पदस्थ अमिताभ जैन को अभी जून 2025 तक नौकरी करना है तो उनके बाद की वरिष्ठ आईएएस अफसर रेणु जी पिल्ले को फरवरी 28 तथा सुब्रत साहू को जुलाई 2028 तक अभी कार्य करना है। यह ठीक है कि अमिताभ जैन की छवि साफ सुथरी है पर जिस तरह से भूपेश सरकार सुब्रत साहू को महत्व दे रही है उससे उनके नंबर जरूर बढ़ रहे हैं पर रेणु जी पिल्ले की भी इमानदार छवि के साथ दबंग, काम से काम रखने वाली अफसर की छवि भी है वहीं उनके पिता भी आईएएस अफसर रह चुके हैं तो पति संजय पिल्ले एडीजी के पद पर पदस्थ हैं। खैर मुख्य सचिव किसे बनाना है सरकार के लिए कौन उपयोगी है यह तो मुख्यमंत्री को तय करना है l वर्तमान मुख्य सचिव आर.पी.मंडल के लिए केंद्र से एक्सटेंशन मांगा जाएगा या नहीं… तब तक प्रशासनिक तथा राजनीतिक तौर पर कौन सी लाबी प्रभावशाली रहेगी यह कहा नहीं जा सकता है… पर यह तो तय है कि अमिताभ, रेणु और सुब्रत साहू में से कोई एक ही अगला मुख्य सचिव बन सकता है।

भूपेश की दिलेरी…   

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कोरोना संक्रमण के चलते प्रदेश की आर्थिक बिगड़ी हालात के बावजूद राजीव गांधी के शहादत दिवस पर किसानों को दी जानेवाली 5750 करोड़ रुपये की राशि में प्रथम किश्त 1500 करोड़ की राशि सीधे किसानों के खाते में भिजवाने की व्यवस्था करके एक बड़ा निर्णय लिया है। प्रदेश की भूपेश सरकार को विरासत में मिले आर्थिक हालात के बाद अभी तक 17700 करोड़ का कर्ज लेकर सरकार को चलाने की जरूरत पड़ी है। इसी के सााथ ही पिछले साल का 1550 करोड़ रुपये भी केंद्र सरकार ने जीएसटी का सरकार का हक नहीं दिया है। वहीं कोरोना संक्रमण के चलते आए आकस्मिक खर्च, केंद्र द्वारा आर्थिक मदद के प्रस्ताव पर विचार नहीं करने के बाद भी कोरोना के नियंत्रण में अपने संसाधनों से सुविधाएं उपलब्ध कराने के बाद अपने 2500 रुपये क्विंटल में धान खरीदी के बाद के तहत अंतर की राशि में से पहली किश्त में 1500 करोड़ किसानों के खाते में सीधे भेजने की व्यवस्था की तारीफ करनी चाहिए अब विपक्षीदल तथा केंद्र में सरकार चलाने वाली भाजपा एक साथ 5700 करोड़ नहीं देने पर सरकार की आलोचना करने में पीछे नहीं है…। कोरोना के संकट में केंद्र से आर्थिक मदद दिलाने, सांसदों द्वारा सीधे प्रधानमंत्री केयर में पैसा देने तथा केंद्र से 2500 की दर में छग सरकार को भुगतान कराने केंद्र में दबाव बनाने में असमर्थ प्रदेश के भाजपा के बड़े नेताओं के पास अब लगता है केवल बयानबाजी ही शेष है। भूपेश बघेल ने तो मुख्यमंत्री सहायता कोष का हिसाब भी दे दिया है पर प्रधानमंत्री केयर फंड का हिसाब अभी तक नहीं आया है…।

और अब बस…

0 कलेक्टर रायपुर ने कोरोना लॉकडाऊन में शादी में 10 तथा मृत्यु पर 20 लोगों की संख्या नियत की है। वैसे यह तय है कि विवाह में न तो 10से अधिक लोग खुश होते हैं न मौत में 20 से अधिक दुखी..।
0 कांकेर और गरियाबंद के पुलिस कप्तानों की बदली हुई है उसके बाद एक नक्सलियों के शहरी संपर्कों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं तो दूसरे हीरा की तस्करी पर रोक लगाने में…।
0 पुलिस विभाग में मुख्यालय स्तर पर बड़ा फेरबदल जून के प्रथम सप्ताह होने की पूरी संभावना है।
0 कलेक्टरों की तबादला सूची भी जल्दी निकलने की खबर है…. l

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