{किश्त 266}



छग की राजधानी रायपुर के सबसे पुराना हनुमान मंदिर,तात्यापारा में स्थित है।भगवान हनुमान की प्रतिमा लगभग 1100 साल से अधिक पुरानी है।12वीं सदी में कलचुरी राजवंश काल में मूर्ति की स्थापना की गई थी।कहा जाता है कि यहां हनुमान जागृत अवस्था में हैं।जिससे सभी की मनो कामना जरूर पूरी होती है।मंदिर ट्रस्ट से जुड़े लोगों के अनुसार मंदिर में स्थापित हनुमान की प्रतिमा में सिंदूर का चोला चढ़ाया जाता था अक्टूबर 2017 में मूर्ति के सामने के हिस्से से सिंदूरका चोला गिर गया,मंदिर ट्रस्ट के लोगों ने पहली बार मूर्ति से सारा चोला हटवाया तब मूर्ति का नया स्वरूप सामने आया।तब पहली बार मूर्ति का यह नया स्वरूप देखा था।तात्यापारा स्थित यह मंदिर पहले मराठा काल में स्थापित माना जाता था, मूर्ति को केवल 300 वर्ष पुराना समझा जाता था।दर असल, मूर्ति पर एक विशेष प्रकार का ‘चोला’ चढ़ा हुआ था,जो वर्षों से लिपटा हुआ था। किसी कारणवश यह चोला धीरे-धीरे झड़ने लगा था।मंदिर समिति ने निर्णय लिया कि चोला को साफ कर नया चढ़ाया जाएगा।जब यह कार्य प्रारंभ हुआ, तो पूरा चोला एक साथ गिर गया,और उसके पीछे जो मूर्ति प्रकट हुई,उसने सभी को हैरान कर दिया।उसी समय रायपुर में भारत के पुरातत्त्वविद् डॉ.अरुणशर्मा मौजूद थे।उन्होंने इस मूर्ति का अध्ययन किया, बताया कि प्रतिमा कलचुरी शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है तथा 11वीं शताब्दी की है,एक ही पत्थर से निर्मित मूर्ति में हनुमान के एक पैर से कलमणि राक्षस को दबाते हुए दर्शाया गया है,उनका एक हाथ छाती पर और दूसरा हाथ गदा लिए हुये है,जोवीरता-भक्ति का प्रतीक है,डॉ. शर्मा के अनुसार इस तरह कीशिल्प कला छत्तीसगढ़ में कहीं नहीं मिलती।मूर्ति का नया स्वरूप आने के बाद हनु मान की मूर्ति में सिंदूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता, अब मूर्ति में केवल फूलों की माला चढ़ती है।मूर्ति का नया स्वरूप आने के बाद मूर्ति के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए अभिषेक, चोला चढ़ाने की परंपरा बंद कर दी गई है,तात्यापारा स्थित इस हनुमान मंदिर में हनुमान की प्रतिमा के साथ श्रीराम, लक्ष्मण, जानकी का मंदिर है,परिसर में ही भगवान शिव का मंदिर भी है,मंदिर परिसर में 4 फीट का गदा मौजूद है।मंदिर से जुड़े ट्रस्टी के अनुसार “प्राचीन हनुमान मंदिर दक्षिणमुखी है और लोग कई पीढ़ियों से इस मंदिर से जुड़े है।हर शनिवार मंदिर में भजन की परंपरा है,मंदिर में भजन कीर्तन 100सालों से होते आ रहा है।भजन गाने वाले भी 3 पीढ़ियों से जुड़े है।हर मंगलवार भक्तों द्वारा मंदिर में सुंदरकांड का पाठ किया जाता है।हाल ही में तात्यापारा में स्थापित हनुमान की अति प्राचीन प्रतिमा का संरक्षण विशिष्ट लेप संवर्धन किया गया।मुम्बई से इसके विशेषज्ञ महेश लाड ने इस कार्य को सम्पन्न किया।इसके पश्चात हनुमान जी की प्रतिमा की पुनर्स्थापना का कार्य 16/ 17 सितंबर 2023 को सम्पन्न किया गया।