वीरेन्द्र वर्मा
वरिष्ठ पत्रकार
इंदौर। प्रवासी भारतीय सम्मेलन इंदौर में तमाशा , बेइज्जती और माफी का सबब बनकर रह गया। पहले शादी मांड दी , मेहमान बुला लिए और उनकी व्यवस्था नहीं कर सके । फिर लाइन लगवा दी, दूर से टी. वी. स्क्रीन पर देखने का बोलकर बेइज्जती की। जब माहौल खराब हो गया तो माफी मांग ली। अपनी आत्ममुग्धता में शिवराज,उनके मंत्री और अधिकारी इतने मशगूल रहे कि यह ही भूल गए की हमने मेहमान बुलाए है।
कल इंदौर में अजीब तमाशा हुआ , जिससे इंदौर की न सिर्फ छवि खराब हुई बल्कि बदनामी भी हो गई। इस बदनामी के जिम्मेदार शिवराज और उनके प्रशासनिक अधिकारी है , जिन्होंने अरबों रुपए खर्च करवा कर शहर को बड़ा दाग लगवा दिया।
दागदार तो तब ही हो गया था शहर जब यहां के रहवासियों को छप्पन दुकान , सराफा और राजबाड़ा से बाहर निकालने के लिए कहा गया ।मेहमानों की खातिर अपनो को अपने ही शहर के स्थानों से बाहर करना क्या उचित था ? एक तरफ आप उनके स्वागत में जबरजस्ती दुकानों और मकानों और बाजारों में व्यापारियों एवं रहवासियों से स्वागत और साज सज्जा का दबाव डाल रहे है। दूसरी तरफ बाजार और उन स्थानों से भगा रहे की मेहमानों के लिए खाली करो , सिर्फ वहीं रहेंगे। यह कौन सा मेहमान नवाज़ी का तरीका है ? जरा मुख्यमंत्री और उनके अधिकारी बताएं ?
कल मेहमानों ने याद दिलाया की हमको आपने आमंत्रित क्यों किया ? जब ऐसा ही व्यवहार करना था । यह तो वैसा ही हुआ की पहले चांटा मार दिया और फिर माफी। जब पहले दिन से आपने बताया की साढ़े तीन हजार प्रवासी आने वाले है , ऐसे में दो हजार का हाल क्यों किया। साफ है कि अधिकारियों की अदूरदर्शिता का परिणाम इंदौर ने भुगता है। छवि इंदौर की खराब हुई । नेता, सरकार और अधिकारियों की जेब भ्रष्टाचार से फूल हुई।
भविष्य में भी इस आयोजन होते रहेंगे , जैसे पूर्व में हुए है। शहर की साख को बट्टा गरीब बस्तियों को चद्दरों से ढांक कर किया जाता रहेगा। मौन जनता इसी तरह अपनी और शहर की बेइज्जती सहन करती रहेगी। मेहमान कभी ना भूलने वाला बेइज्जत व्यवहार लेकर चले जायेंगे , लेकिन इंदौर बदनाम हो गया और मुख्यमंत्री ऐसे ही अपनी गैर जिम्मेदार हरकत पर माफी मांग कर तमाशा करते रहेंगे।