औरों के खयालात की लेते हैं तलाशी… और अपने गिरेबान में झांका नहीं जाता….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     

जिस देश में कितने प्रवासी मजदूरों की कोरोनाकाल में अपने मूल निवास की ओर जाते मृत्यु हो गई इसकी जानकारी केंद्र सरकार के पास नहीं है…। कितने डाक्टर कोरोना का इलाज करते असमयिक काल के गाल में समा गये इसकी जानकारी सरकार के पास नहीं है…। कोरोनाकाल में लॉकडॉउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था गिरने को महज देश की वित्तमंत्री ‘एक्ट ऑफ गॉड’ कहती है इस सरकार पर तहस ही आता है। ऐसे समय में देश के महत्वपूर्ण मुद्दे को दरकिनार करके महज सिने कलाकारों को फोकस कर अपनी टीआरपी बढ़ाने में व्यस्त मीडिया पर तो टिप्पणी करना ही व्यर्थ है..।
केंद्रीय श्रममंत्री का लोकसभा में दिया गया बयान कि लॉक डाउन अवधि में पलायन कर रहे मजदूरों की संख्या और कितनों की जान गई है इसके आंकड़े सरकार के पास नहीं है इसलिए किसी को कोई मुआवजे का सवाल ही नहीं है… श्रममंत्री का यह बयान बेहद गैर जिम्मेदार एवं संवेदनहीनता की जीती जागती मिसालहै। डेढ़ से दो करोड़ (लगभग) अप्रवासी मजदूर दो महीनों से भी अधिक समय तक सड़कों पर पैदल अमानवीय परिस्थितियों में अपने गृह राज्य जाने के लिए लंबे काफिले के रूप में चलते रहे और श्रममंत्री को खबर ही नहीं…। क्या केंद्र सरकार का श्रम मंत्रालय इतना नाकारा है कि उसे यह भी पता नहीं है कि देश के विभिन्न राज्यों में कितने श्रमिक दूसरे राज्यों के हैं? सैकड़ों मजदूरों की पैदल चलते भूख और बीमारी से मौत हो गई पर मंत्रालय ने इसका कोई संज्ञान ही नहीं लिया तो इससे बड़ी संवेदनहीनता और क्या हो सकती है जाहिर है कि कोरोनाकाल में कितने बेरोजगार हुए इसकी जानकारी की उम्मीद तो सरकार से करना बेमानी है।
अब आते हैं संसद में प्रश्नकाल स्थगित करने पर.. क्या यह विपक्ष को और भी कमजोर करने का एक और प्रयास है? क्या सरकार को अब सवालों से डर लगता है और वह विपक्ष के सवालों का सामना करने में खुद को समर्थ नहीं पा रही है? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रेस से बात न करने, एक तरफा मन की बात करने, किसी भी सवाल का जवाब नहीं देने, यहां तक की प्रधानमंत्री केयर फंड को आरटीआई से अलग रखने जैसे प्रयोग कर रहे हैं आखिर विपक्ष और मीडिया के पास देश के हालात की सही जानकारी कहां से आएगी?
संसद में विपक्ष प्रश्नकाल में कोई सवाल, प्रश्नकाल में नहीं पूछ सकता और इसका कारण महज कोरोना नहीं है, बड़ी हास्यास्पद दलील दी गई कि पिछले सत्रों में पाया गया कि संसद में प्रश्नकाल का 50 फीसदी समय व्यर्थ गया यानि उसकी कोई उपयोगिता नहीं रही है, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी का कहना था कि लोकसभा का 40 प्रतिशत तथा राज्यसभा का 60 फीसदी समय व्यर्थ गया वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ का विशेष पैकेज कई किश्तों में दूरदर्शन में आकर घोषित किया गया और आम कोरोना प्रभावित की बात तो दूर किसी राज्य के हिस्से में भी एक रूपये नहीं आये अब तो देश की गिरती अर्थव्यवस्था के गिरने का कारण ‘एक्ट ऑफ गॉडÓ मानती है? प्रधानमंत्री मन की बात में कोरोना के बढ़ते संक्रमण, भारत में बढ़ती मौते, इलाज की पर्याप्त सुविधा का अभाव, वैक्सीन बनाने की दिशा में चल रही पहल, राज्यों की आर्थिक स्थिति सुधारने, उन्हें देय जीएसटी और अन्य मदद की जगह देशी कुत्ते पालने, खिलौना बनाने, देश को आत्मनिर्भर बनाने, भीषण आपदा को अवसर में बदलने की बात करे हैं… खैर अब तो भारत को श्रीराम मंदिर का निर्माण, राफेल की उपयोगिता, चीन पाक को धूल चटाने जैसी बातों पर ही संतोष करना होगा, बेरोजगारी, भूखमरी, कोरोना की बढ़ती भीषणता से खुद ही अपने और अपने परिवार को मुकाबला करना होगा। राज्य के नागरिकों का ठेका एक तरह से राज्यों को देकर ही केंद्र ने अब अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लिया है?

कांग्रेस वर्किंग कमेटी और छत्तीसगढ़…     

कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्लुसी) कांग्रेस की सर्वोच्च कार्यकारी संस्था है यह कमेटी कांग्रेस के संविधान के अनुसार काम करती है इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष संसद में पार्टी नेता सहित 23 सदस्य होते हैं। इन 23 सदस्यों में 12 को आल इंडिया कांग्रेस कमेटी चुनती है वहीं बाकी सदस्यों को कांग्रेस अध्यक्ष चुनते हैं। कांग्रेस वर्किंग कमेटी के पास नये अध्यक्ष की नियुक्ति तथा मौजूदा अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का अधिकार होता है।
हाल ही नई कांग्रेस वर्किंग कमेटी के गठन के बाद छग के वयोवृद्ध कांगे्रेसी नेता मोतीलाल वोरा तथा प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू को हटा दिया गया। वैसे मोतीलाल वोरा को उम्रदराज होने के कारण हटाया गया तो ताम्रध्वज साहू को छग में सक्रिय रहने तथा प्रदेश के गृह मंत्री बनने के कारण हटाया गया। मोतीलाल वोरा राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष होने के कारण सी.डब्लुसी में शामिल किया गया था तो ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का अध्यक्ष होने के कारण ही सीडब्लुसी में शामिल किया गया था। यहां यह बताना जरूरी है कि स्व. अजीत जोगी भी कांग्रेस छोडऩे के पहले सीडब्लुसी के सदस्य रहे थे। कांग्रेस कमेटी के अ.भ. अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के प्रभारी होने के कारण उन्हें सीडब्लुसी का सदस्य बनाया गया था। एक बात जरूर उल्लेखनीय है कि अविभाजित म.प्र. तथा छत्तीसगढ़ में 3 बार मुख्यमंत्री रहे पं. श्यामाचरण शुक्ल तथा केंद्रीय मंत्रिमंडल में वर्षों तक शामिल विद्याचरण शुक्ल कांग्रेस के दिग्गज नेता माने जाते थे पर इन दोनों भाइयों को कभी भी कांग्रेस वर्किंग कमेटी में शामिल नहीं किया गया यह कम आश्चर्यजनक नहीं है वैसे पहले कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी सीडब्लुसी में पदेन विशेष आमंत्रित सदस्य मनोनित किया जाता था पर इस बार ऐसा नहीं किया गया है। खैर छत्तीसगढ़ के कांग्रेसियों के लिए यह संतोषजनक खबर है कि दिग्विजय सिंह को कांग्रेस वर्किंग कमेटी में बतौर विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किया गया है।

भाजपा संसदीय बोर्ड और छत्तीसगढ़…   

कांग्रेस वर्किंग कमेटी सेे मोतीलाल वोरा, ताम्रध्वज साहू को हटाने और किसी को भी शामिल नहीं करने को लेकर नेता प्रतिपक्ष, भाजपा नेता धरमलाल कौशिक सहित कुछ अन्य नेता कह रहे हैं कि यह छग के साथ अन्याय है, वहीं कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार की कांग्रेस संगठन में क्या स्थिति है इसका परिचायक है? अब आते हैं कि भाजपा की सर्वोच्च संस्था भाजपा संसदीय बोर्ड पर…? भाजपा का संसदीय बोर्ड इस संगठन में काफी महत्व रखता है। यह कांग्रेस की सीडब्लुसी की ही तरह का दर्जा रखती है भाजपा में…। वर्तमान में भाजपा संसदीय बोर्ड में 8 सदस्य हैं। नरेन्द्र मोदी, अमित शाह के अलावा जे.पी.नड्डा, राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी, बी.एल. संतोष तथा शिवराज सिंह चौहान तथा थावर सिंह गहलोत। प्रधानमंत्री पूर्व पार्टी अध्यक्ष, दोनों सदनों के नेता, संगठन महामंत्री इसके सदस्य होते ही हैं। दो पूर्व अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तो मार्गदर्शक मंडल में हैं तो वेकैंया नायडू उपराष्ट्रपति है। वैसे अरूण जेटली, सुषमा स्वराज तथा अनंत कुमार के निधन के बाद 3 जगह खाली है। केवल शिवराज सिंह चौहान ही पदेन सदस्यों के अलावा शामिल हैं। अब नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक से कौन पूछे कि छग में 15 साल सरकार चलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री तथा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, भाजपा की महामंत्री सुश्री सरोजपांडे तथा कांग्रेस के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविचार नेताम में से कोई भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल होने की योग्यता नहीं रखता है क्या? कांग्रेस ने तो छग के कुछ नेताओं को सीडब्लुसी में शामिल किया हटाया पर भाजपा ने तो कभी भी शामिल करना भी जरूरी नहीं समझा तो क्या भाजपा में भी आतंरिक लोकतंत्र समाप्त हो गया है…। खैर अभी भी छग में डॉ. रमन सिंह का पलड़ा भारी है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक हों या प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय दोनों डॉ.रमनसिंह की ही पसंद है। यह बात और है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल श्रीमती रेणुका सिंह जरूर डॉ. रमन सिंह गुट की नहीं है। क्योंकि एक बार डॉ. रमन सिंह उन्हें अपने मंत्रिमंडल से हटा भी चुके हैं।

और अब बस…

0 मरवाही विधानसभा उपचुनाव में जीत/हार से कांग्रेस भाजपा को नहीं जोगी कांग्रेस को जरूर फर्क पड़ेगा यह तय है।
0 पूर्व पुलिस उप महानिदेशक स्व. विजय शंकर चौबे की पुत्री श्वेता (सिटी एसपी देहरादून) को भी आईपीएस अवार्ड हुआ है।
0 कबीरधाम जिले के झामसिंह ध्रुवे की म.प्र. सीमा में मौत के मामले में मो. अकबर की पहल पर राज्यपाल सुश्री अनसुइया उइके ने म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जांच कराने का अनुरोध किया है।
0 बाबरी ध्वंस मामले में 30 सितंबर को आर सकता है फैसला…। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी तथा उमा भारती आदि है आरोपी…।
0 बीएसएफ के पूर्व डिप्टी कमांडेट का संविलियन 2016 में हुआ तो 1997 की वरिष्ठता कैसे मिल गई। इनका नाम आईपीएस प्रमोट की सूची में शामिल होने का छत्तीसगढ़ में जमकर विरोध छत्तीसगढ़ कॉडर के पुलिस अधिकारी कर रहे हैं।

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