शंकर पांडे ( वरिष्ठ…
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कभी तिनके,कभी पत्ते, कभी खुशबु उड़ा लाई… हमारे घर तो आंधी भी कभी तन्हा नहीं आई…
शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) रेल हादसे का कारण तो दिखाई देता…
कभी उम्मीदें उधड़ जाय, तो मेरे पास ले आना…! मैं हौसलों का दर्जी हूँ , मुफ़्त में रफ़ू कर दूंगा…!
शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) छ्ग में सरकार बनाने का रास्ता बस्तर -सरगुजा से…
तेरे इश्क में वो जुनून था, मै सब हदों से गुजर गया… कभी जवाब बन के सुलझ गया, कभी सवाल बनके उलझ गया…
शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) देश जिसने 100 करोड़ मुफ्त वैक्सीन सबसे…
कभी मैं, कभी वक्त मुझसे जीत गया… इसी कश्मकश में एक बरस और बीत गया…
शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) कोरोना महामारी, बेरोजगारी, महंगाई की मार से बीता…