खिड़कियों से हवा का बर्ताव तो ऐसा न था…. आज ये मुमकिन लगा झोंके सयाने हो गये….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     छत्तीसगढ़िया सीएम भूपेश बघेल तपती दोपहरिया से शाम -रात…

मेरी ‘तरक्की’ कर्ज में डूबी है, लगता है… कई सालों से मेरी ‘मेहनत’ नहीं बिकी…

    शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )    छ्ग की भूपेश सरकार पर कर्ज लेने…

किसी के ख्वाब में वो इस कदर तल्लीन लगती है… नदी वो गांववाली, आजकल गमगीन लगती है…

      ( शंकर पांडे , वरिष्ठ पत्रकार )         छत्तीसगढ के घनश्याम…

बस दुआएं ही दे सकने का जालिम दौर है…. दिन गुजर जाता है तो लगता सब खैर है….

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )       एक देश-एक टेक्स, एक देश -एक चुनाव की…