कभी तिनके,कभी पत्ते, कभी खुशबु उड़ा लाई… हमारे घर तो आंधी भी कभी तन्हा नहीं आई…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )        रेल हादसे का कारण तो दिखाई देता…

सुनो हवाओं , चिरागों को छोड़ दो तनहा…. जो जल रहे हैं उन्हें और क्या आजमाना….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )              लखनवी तहजीब देश ,…

सुनो हवाओ, चिरागों को छोड़ दो तनहा… जो जल रहे हैं उन्हें और क्या आजमाना…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     लेखक मुंशी प्रेमचंद ने कहा था….लोग कहते हैँ कि…