खिड़कियों से हवा का बर्ताव तो ऐसा न था…. आज ये मुमकिन लगा झोंके सयाने हो गये….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     छत्तीसगढ़िया सीएम भूपेश बघेल तपती दोपहरिया से शाम -रात…

सुनो हवाओ, चिरागों को छोड़ दो तनहा… जो जल रहे हैं उन्हें और क्या आजमाना…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     लेखक मुंशी प्रेमचंद ने कहा था….लोग कहते हैँ कि…