इंदौर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय मुख्यालय न्यू पलासिया स्थित ज्ञानशिखर में 31 मई ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ पर कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें विशेष अतिथि के रूप में सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. संजय देसाई ने बताया कि तंबाकू के सेवन से सबसे ज्यादा गले और मुख का कैंसर होता है तथा कैंसर के अलावा भी अन्य बीमारियां होती हैं। नशा करने से व्यक्ति युवावस्था में ही गंभीर रोगों का शिकार हो मौत को गले लगा लेता है। आपने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान समय तंबाकू से मरने वालों की संख्या में भारत दूसरे पायदान पर पहुंच गया है। अतः सर्वोत्तम उपाय यही है की दृढ़ इच्छाशक्ति को अपनाकर स्वयं को नशे की आदत से मुक्त करें।
कस्टम विभाग के अपर आयुक्त भ्राता दिनेश बिसेन ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी एक दूसरे को देख संग के रंग में आकर, फैशन समझ तथा तनाव से मुक्त होने के लिए अनेक प्रकार के नशे को अपनाते हैं। उच्चस्तर के लोगों द्वारा नशीले पदार्थों का विज्ञापन देख अधिकांश लोग भ्रमित होकर नशे की ओर आकर्षित हो जाते हैं। इससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, पारिवारिक सभी प्रकार से नुकसान होता है। इसके लिए सरकार तो अपनी ओर से प्रयास कर रही है लेकिन व्यक्तिगत रूप से जागरूक रहना और सभी को जागरूक करना भी अति आवश्यक है। आपने कई वैज्ञानिक शोधकार्यों का उदाहरण देते हुए बताया कि मेडिटेशन से हमारे अंदर खुशी के हार्मोन– डोपामिन का स्राव होता है जो नशे की लत को छुड़ाने में मददगार साबित हुआ है।
इस अवसर पर इंदौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने कहा कि नशे को छोड़ने के लिए दृढ़ता की नितांत आवश्यकता है जो आध्यात्मिकता से ही आएगी। आध्यात्मिकता का बल हमें अंदर से प्रेरित करता है और शक्ति देता है जिससे नशे की लत को छोड़ने जैसा असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। आपने बताया कि ब्रह्माकुमारीज के मेडिकल प्रभाग द्वारा विगत 35 वर्षों से हर स्तर पर हर वर्ग को जागरूक करने के लिए अनेक अभियान चलाए जा रहे हैं। वर्तमान समय भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय तथा नारकोटिक्स प्रभाग के साथ ब्रह्माकुमारीज के एम.ओ.यू. के तहत राष्ट्रीय स्तर पर नशा मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है।
पुष्पश्री हॉस्पिटल के डॉ. गिरीश टावरी ने नशे के सेवन से बीमार हुए रोगियों का अनुभव सुनाते हुए कहा कि ज्यादातर मरीज नशा छोड़ना चाहते हैं लेकिन मन की कमजोरी व आत्मबल न होने के कारण छोड़ नहीं पाते। इसलिए उन्हें सही मार्गदर्शन और परिवार का सहयोग जरूरी है। उन्हें एक झटके से नशा छुड़ाने के बदले धीरे-धीरे कम करते जाना चाहिए। तंबाकू के बदले सौंफ, इलायची, आदि मुंह में रखें। खुद की इच्छाशक्ति है तो कोई भी व्यसन छूट सकता है।
अंत में मेडिकल प्रभाग की जोनल कोऑर्डिनेटर ब्रह्माकुमारी उषा दीदी ने भी अपनी शुभकामनाएं दी।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। बड़ी संख्या में पधारे सैकड़ो लोगों को डॉ. संगीता टावरी ने किसी भी प्रकार के व्यसन से मुक्त होने की शपथ दिलाई। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी अनीता दीदी ने किया।


