बिप्लब् कुण्डू,पखांजुर : रोका- छेका अभियान के बावजूद हर तरफ सड़कों पर दिख रहा मवेशियों का जमावड़ा कागजों में ही सिमटी योजना, मवेशियों के मल मूत्र से सड़क पर फैल रही गंदगी।
कोयलीबेड़ा ब्लाक के पखांजुर में भी रोका छेका अभियान जारी है लेकिन धरातल पर उल्टे मवेशियों ने ही सड़कों को रोक और छेक रखा है।
सरकार की अधिकांश योजनाओं की तरह रोका-छेका अभियान का भी हाल होता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ में पुरानी परंपरा रही है। जैसे ही बारिश के मौसम में किसान खेती की शुरुआत करते हैं उस वक्त मवेशी खेतों को नुकसान न पहुंचाएं इसके कारण उन्हें घरों में ही बंद रखा जाता है ।
इसे रोका छेका कहा जाता है। किसानों की सरकार होने का दावा करने वाली बघेल सरकार भी इसी परंपरा को कायम रखते हुए 19 से 30 जून तक रोका छेका अभियान चला रही है,
नगर पंचायत का अतिक्रमण दस्ता अवैध मकानों को तोड़ने में व्यस्त है तो वहीं सड़कों पर अभी भी हर ओर मवेशी जमे हुए हैं ।
जिसके तहत पखांजुर नगर में नगर पंचायत को जिम्मेदारी दी गई है कि वह सड़क पर मौजूद मवेशियों को गौठान तक पहुंचाएं, साथ ही मवेशी के मालिकों से एक शपथ पत्र भरवा जाए जिसमें वे अपने मवेशियों को घर में रखने पर सहमति दे। कहने को तो योजना जारी है लेकिन इसका असर कहीं भी दिखाई नहीं पड़ रहा। नगर पंचायत का अतिक्रमण दस्ता अवैध मकानों को तोड़ने में व्यस्त है तो वहीं सड़कों पर अभी भी हर ओर मवेशी जमे हुए हैं । आप पखांजुर के किसी भी सड़क पर चले जाइए ।सड़क पर गाय बैलों के झुंड नजर आ ही जाएंगे।
बारिश होते ही मिट्टी गीली होने के बाद मवेशी बीच सड़क पर ठिकाना बना लेते हैं। सड़क जहां सुखी होती है वही दावा किया जाता है कि सड़क से गुजरने वाले वाहनों के धुएं के कारण उन्हें मक्खी भी परेशान नहीं करते ।इस कारण से सभी सड़कों पर मवेशियों का डेरा है ।सड़क पर पंचायत लगाकर मवेशियों के बैठने के कारण हर तरफ गोबर भी बिखरा पड़ा है जिससे सड़कों की अलग दुर्गति हो रही है ।
सड़क पर मवेशियों के होने से सड़क दुर्घटना में भी इजाफा हो रहा…
यहां भी बड़ा नेताजी चौक से लेकर नया बाजार अम्बेडकर चौक मुख्य सड़क और सभी सहायक सड़कों पर इसी तरह मवेशियों का कब्जा है।गांव में भी कोई बदलाव नहीं दिख रहा। ऐसे में समझ नहीं आ रहा कि सरकार की महत्वकांक्षी योजना रोका छेका आखिर चल कहां रही है । सड़क पर मवेशियों के होने से सड़क दुर्घटना में भी इजाफा हो रहा है तो वहीं शहर में लगातार गंदगी भी हो रही है। गोबर से होने वाली गंदगी को दूर करने राज्य शासन ने अब गोबर खरीदने का भी निर्णय लिया है शायद इससे स्थिति बदले, लेकिन वर्तमान में ऐसी कोई व्यवस्था लागू ना होने से सड़कों पर वह गोबर बेकार जा रहा है जो शायद बिक सकता है। वही रोका छेका अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू ना होने से किसानों को भी कोई लाभ नहीं मिल पाया ।
पखांजुर में सड़क पर सैकड़ो की संख्या में मवेशी नजर आते हैं । देखकर लगता नहीं कि इनका कोई मालिक भी है। ऐसा लगता है कि गैर दुधारू पशुओं को बेसहारा छोड़ दिया गया है ।वही गोठान में भी इन्हें नहीं पहुंचाने और इनकी देखभाल ना होने से स्थिति जरा भी नहीं बदली, अलबत्ता इसे लेकर कई कार्यक्रम जरूर आयोजित हो गए , मगर स्थिति जस की तस है और योजना में केवल एक ही दिन शेष है । ऐसे में योजना की सफलता को लेकर जिस तरह का संदेह शुरू में जताया गया था वह सही साबित होता दिख रहा है।