राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने की प्रकरणों की सुनवाई

अश्लील मैसेज के प्रकरण में अन्य लोगो को भी पक्षकार बनाया गया।

शासकीय शिक्षिका व शिक्षक ने अवैध संबंध स्वीकारा, जिला शिक्षा अधिकारी को निलंबन हेतु पत्र भेजा जायेगा।  

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही के एस.डी.एम. व उप पंजीयक को पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तलब किया जायेगा।

रायपुर।  छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीडन से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में आज 272 वी. सुनवाई हुई। रायपुर जिले में कुल 131 वी. जनसुनवाई।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका के साथ छेड़छाड़ व अश्लील मैसेज किया था, जिसका दस्तावेज आवेदिका के मोबाईल पर है और अनावेदक का मो. नं. भी वही है। जिससे आवेदिका के मोबाइल पर मैसेज आया।
इसकी शिकायत आवेदिका ने मुख्य अभियंता पी.डब्लू.डी. के निज सहायक को किया था. जिनके द्वारा अनावेदक को बुलाकर लताड़ा और मांफी मंगवाया था, तथा विशाखा कमेटी की जांच के बाद भी आवेदिका को जानकारी नहीं दिया गया आवेदिका का स्थानांतरण कर दिया गया। आवेदिका के दस्तावेज देखने से स्पष्ट है कि आवेदिका के मोबाईल पर अनावेदक के मोबाईल से मैसेज आया था। जिसमें “SEX” लिखा है। जो स्वयंमेव आपत्ति जनक है। प्रकरण को देखने से समझ आता है कि आवेदिका के साथ कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न किया गया आवेदिका को समझाइश दिया गया कि वह अन्य व्यक्तियों जिन्हें आवेदिका ने शिकायत किया उनका नाम, पद, पता व मो.नं. दे ताकि उन सभी को प्रकरण में जोडा जा सके और प्रकरण का निराकरण किया जा सके।

एक प्रकरण में अनावेदक ने बताया कि वह शासकीय विद्यालय में शिक्षक है। और उसे 62 हजार रू. वेतन प्राप्त होता है। अनावेदक ने स्वीकार किया कि वह 3 वर्षों से अपनी पत्नी व बच्चों से अलग रह रहा हैं और दोनो बच्चों के लिए 8 से 10 हजार रू. खर्च दे रहा हैं। अनावेदक ने यह भी स्वीकार किया कि उसी विद्यालय में पूर्व में कार्यरत् महिला से अनावेदक का अवैध संबंध था। दूसरी महिला व आवेदिका के पति से यह पूछा गया कि शासकीय सेवा में कार्यरत् रहने पर अवैध संबंधों में लिप्त रहने पर शासकीय सेवा से निकाला जा सकता है इस नियम की जानकारी है क्या? उत्तरः हॉ हमें इस बात की जानकारी है और यह शासकीय नियमों के खिलाफ है। अनावेदक की सर्विस बुक में आवेदिका व दोनो बच्चों का नाम दर्ज है लेकिन वह अपने बच्चों को भरण-पोषण नियमित खर्च उठाने में आनाकानी कर रहा है। आवेदिका का प्रकरणसाबित हो चुका है कि लगातार दोनो अनावेदकगण अवैध संबंध में रह रहे है। शासकीय सेवा में रहते हुए अवैध रिश्तों में रहना कानूनी अपराध है। दोनो अनावेदकगणों को सेवा से निकालकर उसकी विस्तृत जांच करने का पत्र भेजा जायेगा व दूसरी महिला को सुधरने का मौका देकर 2 माह के लिए नारी निकेतन भेजे जाने का आदेश आयोग के द्वारा दिया गया।

एक अन्य प्रकरण में उभय पक्ष की शादी को लगभग 2 साल हो गए। कुछ दिन साथ रहने के बाद दोनो अलग रह रहे है। अनावेदक ने भरण-पोषण देने में असहमति बताई व आवेदिका के विवाह का सामान देने के लिए तैयार है। आयोग ने निर्देश दिया कि काउंसलर की उपस्थिति में आवेदिका को उसका सामान दिलवायेंगे। यदि अनावेदक या परिजनों के द्वारा कोई विरोध किया जाता है तो आवेदिका अनावेदक के खिलाफ एफ.आई.आर करा सकती है।

एक अन्य प्रकरण में पिछली सुनवाई में अनावेदकगण आवेदिका के विवाह का सामान देने के लिए आयोग के समक्ष सहमत थे। लेकिन आज की सुनवाई में अनावेदकगण कहते है कि वह आवेदिका को रखना चाहते है। आवेदिका के साथ लगातार प्रताड़ना की कार्यवाही तीनों अनावेदकगण द्वारा किया जा रहा था। आवेदिका को जान का खतरा था। इसके बावजूद आवेदिका यह चाह रही थी कि आयोग की सहमति से प्रकरण का निराकरण हो। लेकिन अनावेदकगण आयोग के समक्ष आवेदिका को परेशान कर रहे है। ऐसी दशा में आयोग द्वारा आवेदिका को समझाइश दिया गया कि वह अनावेदकगणों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराये। इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में अनावेदक के द्वारा आयोग के आदेश की अवहेना किया जा रहा है। वह पिछली सुनवाई में संपत्ति आवेदिका के बेटे के नाम करने तैयार था। बाद में मुकर गया है। आवेदिका को न्यायालय में अनावेदक के खिलाफ केस करने का निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *