कहीं कांग्रेसियों को ही —यह ना कहना पड़ जाए “””आइए*”” “”आप”” का “”इंतजार है “

*✒️सत्य से साक्षात्कार*
*संजय त्रिपाठी*
*✋ वर्तमान गांधी परिवार के निजी नेता व कार्यकर्ता अभी भी स्वामी भक्ति में लगे हैं….. इनमें ज्यादातर वही 60 पार के बूढ़े है …जिन्हें सोनिया. राहुल और प्रियंका की तिकड़ी ने … अनेक राज्यों के दमदार युवा कांग्रेस नेताओं को पीछे करके सत्ता के रथ पर चढ़ाया गया है….*
*👉 स्वामी भक्ति की यह घटना देश के राजनीतिक इतिहास में दर्ज की जानी चाहिए…. यह भी सच है कि 30-35 पुराने कांग्रेसी नेता ताल ठोक कर कह रहे हैं —कि कांग्रेस किसी परिवार की नहीं.. कार्यकर्ताओं की पार्टी बनाना चाहिए*…..
*👉 पर सोनिया.. राहुल और प्रियंका को कहां समझ में आ रहा है… कांग्रेस की हार पर प्रदेश अध्यक्षों से इस्तीफा लिया जा रहा है… बहुत अधिक दबाव पड़ा तो यह तिकड़ी अपने किसी कठपुतली नेताओं को आगे कर कर कांग्रेस के संगठन पर अघोषित कब्जा रखने की तैयारी में है।*
*👉 दिल्ली और पंजाब के बाद आप पार्टी अब पूरे देश में खेलना चाहती है. विपक्ष का खुला पड़ा मैदान जिसे कांग्रेस संभाल नहीं पा रही है इस पर आज आप की नजर है। मध्य प्रदेश जैसे प्रदेश में भी अब आम जनता और विशेषज्ञों की राजनीति चर्चाओं में आप का उल्लेख होने लगा है।*
*👉 कांग्रेस के लिए अंतिम चेतावनी है… अभी भी आम जनता कांग्रेस को देश की राजनीति के विकल्प के रूप में देखती है…. पर वह वामपंथ की तरह आक्रमक हिंदुत्व विरोधी भी नहीं…. और ममता बनर्जी की तरह अत्यधिक आक्रमक विपक्ष पर हमलावर रूप में नहीं देखना चाहती है….*
*👉 जिस प्रकार कांग्रेश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी नेता बेमतलब मोदी पर हमला कर रहे थे… राम मंदिर के मुहूर्त का मुद्दा उठा रहे थे… या फिर सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक को मोदी और भाजपा की झूठी राजनीति बता रहे थे….. क्या यह राजनीति के क्षेत्र में आत्मघाती कदम नहीं था.. किसने यह रणनीति बनाई थी. गांधी परिवार के तीन अति बुद्धिमान सदस्यों ने या फिर चाटुकार रणनीतिकारों ने ❓*
*👉 राष्ट्रीय विकल्प के रूप में स्थापित कांग्रेस को बुद्धिमत्ता पूर्वक अंतिम विचार करने का समय आ गया है…. 3035 स्थापित नेताओं की लड़ाई जब तक आम कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं बनेगी तब तक दिल्ली की तिकड़ी की ताकत बनी रहेगी… क्या कभी लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता अपने संगठन की रक्षा के लिए दिल्ली में एकत्रित होकर— जन संसद लगाकर”’ अपनी पार्टी में बदलाव का प्रस्ताव पारित नहीं करके दिखा सकते हैं —-राष्ट्रीय नेतृत्व और सोनिया राहुल और प्रियंका को लिखित लाखों पत्र नहीं भेज सकते हैं… —-👉 कांग्रेस कार्यकर्ताओं के उठ खड़े होने के बाद क्या यह परिवर्तन लाना गांधी परिवार की मजबूरी नहीं हो जाएगी।*
*👉 राष्ट्रीय विकल्प की कुर्सी भी अब खतरे में है क्षेत्रीय दल अपना नया संगठन बना रहे हैं …. महत्वपूर्ण अंतिम 2 वर्ष कांग्रेस के सामने हैं… फिर कहीं ऐसा ना हो जाए भाजपा से असहमत सभी संगठन और. विकल्प की तलाश में.. उन में सम्मिलित कांग्रेस के कार्यकर्ता भी… आम आदमी की पार्टी को अपने अपने मोहल्ले प्रदेश में आमंत्रित करें… तो आश्चर्य नहीं होगा लेकिन फिलहाल अभी अंतिम दौर की लड़ाई है कांग्रेस के लिए। 👉. देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय दल के रूप में…एक अंतिम अवसर भी देश की जनता देना चाहती है❓*

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