कुछ ख़त आज फिर डाकघर से लौटआये… डाकिया बोला जज्बातों का कोई पता नहीं होता…

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )   

उत्तर प्रदेश को देश की राजनीति की धूरी माना जाता है. देश के सबसे अधिक जनसंख्या वाले इस राज्य ने अब तक 15 में से 9 प्रधानमंत्री दिए हैं. वहीं 6 पीएम जरुर बाहर के बने हैँ।अगर राष्ट्रपति की बात करें तो उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले एक मात्र राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं.स्वतंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का संबंध उत्तर प्रदेश से है. जवाहर लाल नेहरु के नाम सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहने का रिकॉर्ड है।नेहरु 1951-1952, 1952-1957, 1957-1962 और 1962-64 तक देश के प्रधानमंत्री रहे, हालांकि 1962 में निधन के कारण वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. नेहरु ने चारों बार उत्तर प्रदेश के फूलपुर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद सीट का प्रतिनिधित्व किया था. पंडित जवाहर लाल नेहरु की निधन के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने. उनका कार्यकाल 9 जून साल 1964 से 11 जनवरी साल 1966 तक था। पंडित नेहरु की बेटी इंदिरा गांधी साल 1966 में पहली बार प्रधानमंत्री बनी. तब वह राज्यसभा की सदस्य थीं. हालांकि उनका पहला कार्यकाल केवल 14 महीने का रहा. वह 24 जनवरी साल 1966 से लेकर 4 मार्च साल 1967 तक प्रधानमंत्री रहीं. इसके बाद साल 1967 के लोकसभा चुनाव में वह उत्तर प्रदेश के रायबरेली सीट से जीत दर्ज की और एक बार पीऍम बनी। उत्तर प्रदेश के मेरठ के रहने वाले चौधरी चरण सिंह देश के पांचवे प्रधानमंत्री बने। साल 1977 के लोकसभा चुनाव में चौधरी चरण सिंह ने भारतीय लोक दल पार्टी के टिकट पर उत्तर प्रदेश के बागपत सीट से जीत हासिल की और प्रधानमंत्री बने। चौधरी चरण सिंह का कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से लेकर 14 जनवरी 1980 तक था.देश के सातवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी का कार्यकाल 31 अक्टूबर 1984 से लेकर 2 दिसंबर 1989 तक था. 1984 के लोकसभा चुनाव में 542 सीटों में से केवल 515 सीटों पर चुनाव हुआ था जिसमें कांग्रेस ने 415 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में राजीव गांधी उत्तर प्रदेश के अमेठी सीट से सांसद चुने गए. विश्वनाथ प्रताप सिंह (वी.पी. सिंह)राजीव के निधन के बाद देश के प्रधानमंत्री बने।वी.पी. सिंह 2 दिसंबर 1989 से लेकर 10 दिंसबर 1990 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। वह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर सीट से सांसद चुने गए थे।
देश के 11वें प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 1989 में उत्तर प्रदेश के बलिया लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. उनका कार्यकाल 10 नवंबर 1990 से लेकर 21 जून 1991 तक रहा. अटल बिहारी वाजपेयी को दो बार प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. पहली बार वह 1996 में प्रधानमंत्री बने. हालांकि वह केवल 13 दिनों प्रधानमंत्री बनें। इस चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट और गुजरात के गांधी नगर सीट से चुनाव लड़ा था। वह दोनों ही सीटों से जीत हासिल की थी लेकिन बाद में उन्होंने गांधीनगर सीट छोड़ दिया. दूसरी बार लोस चुनाव में उन्होंने लखनऊ सीट का प्रतिनिधित्व किया. अटल बिहारी वाजपेयी 1998 से लेकर 2004 तक देश के प्रधानमंत्री रहे. साल 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश के वाराणसी लोस सीट और गुजरात के वड़ोदरा सीट से चुनाव लड़ा. उन्होंने दोनों ही सीटों से चुनाव जीता. हालांकि बाद में नरेंद्र मोदी ने वड़ोदरा लोकसभा सीट छोड़ दिया. 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी दोबारा वाराणसी से सांसद चुने गए।

उप्र से बाहर के बने
प्रधानमंत्री…..

उप्र के बाहर से प्रधानमंत्री मंत्री बनने वालों में इंद्रकुमार गुजराल 21अप्रेल 97से 19मार्च 98( जालंधर पंजाब )एच डी देवेगोड़ा 1जून 96से 21अप्रेल 97( कनकपुरा हसन कर्नाटक )पी वी नरसिम्हा राव 21जून 91से 16मई 96( नादयाल आंध्रप्रदेश )मोरारजी भाई देसाई 24मार्च 77से 28जुलाई 79( सूरत, गुजरात )गुलजारी लाल नंदा 11जनवरी 66से 24जनवरी 66( मुंबई, महाराष्ट्र ) डॉ मनमोहन सिंह 22मई 2004से 17मई 2014( असम से राज्यसभा से )शामिल हैं।

छग सरकार और कर्ज की विरासत….  

मध्य प्रदेश से अलग होने के बाद छत्तीसगढ़ को विरासत में 1800 करोड़ का कर्ज मिला था। ऐसे में पहली सरकार के सामने प्रदेश को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की चुनौती थी। साल 2003 के अंत में जब डॉ. रमन सिंह ने मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली तो राज्य पर कोई कर्ज नहीं था। तीन हजार करोड़ का सरप्लस बजट विरासत में मिला था। लेकिन 2018 में जब रमन सिंह की सरकार गई तो राज्य पर 40 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लदा हुआ था। पिछले तीन सालों में मौजूदा सरकार ने 51 हजार 535 करोड़ का कर्ज उठा लिया है।
छत्तीसगढ़ सरकार पर कुल57,848 करोड़ रुपये का कर्ज है। राज्य में एक दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2020 तक 17,729 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है। एक दिसंबर 2018 से 31 जनवरी 2020 तक 17,729 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है। इस अवधि के दौरान भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से बाजार ऋण के रूप में 16400 करोड़ रुपये, नाबार्ड की ग्रामीण अधोसंरचना विकास निधि से 934.38 करोड़ रुपये तथा एशियाई विकास बैंक/ विश्व बैंक से 394.74 करोड़ रुपये का ऋण लिया गया है।इधर सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि छग के किसानों और मजदूरों के हित में यदि हमें कर्ज लेना पड़े तो हम लेंगे, इनको धोखा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से किया गया वादा निभाया है।यहाँ यह बताना भी जरुरी है कि भाजपा शासित उप्र में 92%,गुजरात146%मप्र 125%हरियाणा 180%कर्ज है तो छत्तीसगढ़ में सबसे कम 82%कर्ज है।

अभयारण्य में पूर्वेक्षण कार्य की अनुमति….   

छत्तीसगढ़ में वेदांता लिमिटेड द्वारा बलौदा बाजार वन मंडल अंतर्गत 607.944 हेक्टेयर आरक्षित वन क्षेत्र में बाघमार गोल्ड ब्लॉक में 58 बोर होल के माध्यम से पूर्वेक्षण कार्य के लिए एफसीए 1980 के अंतर्गत अनुमति का आवेदन छत्तीसगढ़ सरकार को प्रस्तुत किया था। जिस क्षेत्र में पूर्वेक्षण के लिए आवेदन दिया गया है उसमें कक्ष क्रमांक 254 का वो 144 हेक्टयर वन क्षेत्र भी शामिल है जिसमे घने जंगल है बांस और अन्य ओषधि पेड़ पौधे है इसके अलावा बड़ी संख्या में भालू और अन्य जंगली जानवर भी विचरण करते है। यही नही बारनवापारा अभयारण्य के विस्तार हेतु प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी के पत्र क्रमांक 5056 दिनांक 6 अक्टूबर 2017 द्वारा प्रस्ताव प्रमुख सचिव वन को प्रेषित किया गया था इस प्रस्ताव में देवपुर परिक्षेत्र के 22 कक्ष जिनका कुल क्षेत्रफल 5114 हेक्टेयर था विस्तारीकरण में प्रस्तावित थे इन कक्षॉे में कक्ष क्रमांक 254 का रकबा 144 हेक्टेयर भी शामिल था।इसके बावजूद छत्तीसगढ़ सरकार के कुछ अफसर इस जंगल की अनदेखी करते हुए वेदांता लिमिटिड को इस वन क्षेत्र में पूर्वेक्षण की अनुमति सभी नियम कायदे कानून को ताक पर रखकर देने के लिएआमादा हैं। वेदांता लिमिटिड को पूर्वेक्षण के लिए यदि यह अनुमति दी जाती है तो न केवल यहां मौजूद प्राकृतिक जंगल नष्ट होगा बल्कि इसमें विचरण करने वाले जंगली जानवर के अस्तित्व भी ख़तरे में पड़ेगा। हैरान कर देंने वाला तथ्य ये है कि वन विभाग के ही वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने पूर्वेक्षण के लिए चयनित वन क्षेत्र का स्थल निरीक्षण किया और पाया कि इस क्षेत्र में यदि पूर्वेक्षण किये जाने की अनुमति दी जाती है तो बिना जंगल को नष्ट किये या उससे छेड़छाड़ किये पूर्वेक्षण संभव नही है। इस समिति ने 2 जून 2020 को दी गयी अपनी रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट कहा है कि ऐसे किसी भी पूर्वेक्षण की अनुमति दिया जाना उचित नही होगा । लेकिन इसके बावजूद वेदांता लिमिटेड को पूर्वेक्षण अनुमति देने के लिए एक अन्य समिति की अनुशंसा के आधार पर पूर्वेक्षण की अनुमति दिए जाने की छत्तीसगढ़ सरकार तैयारी में है……?

और अब बस

0 छ्ग के खैरागढ़ विस उप चुनाव के परिणाम से किसी भी राजनीतिक पार्टी को फर्क नहीं पड़ेगा पर इसे आगामी विस चुनाव का सेमी फ़ाइनल मानकर लड़ा जा रहा है।
0पंजाब में 91बैच के आईएएस वेणु प्रसाद को एसीएस टू सीएम(आप की मान सरकार )बनाया गया है. ये बिलासपुर के दामाद हैँ (पूर्व मंत्री अशोक राव के दामाद )
0बिलासपुर के ही एक दामाद पंकज द्विवेदी ( विधानपुरुष मथुरा प्रसाद दुबे के दामाद )आंध्रप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी रह चुके हैं।
0कुछ कलेक्टर /एसपी की तबादला सूची आने की चर्चा है…..!

 

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