जंग में कत़्ल सिपाही होंगे……. सुर्खरु ज़िल्ले इलाही होंगे……

शंकर पांडे  ( वरिष्ठ पत्रकार )                                                                                                                   
बीजापुर नक्सली हमले में आईईडी विस्फोट में डीआर जी के 8 जवान और एक चालक शहीद हो गए।कहते हैं कि फॉक्सहोल तकनीक से नक्सलियों ने घटना को अंजाम दिया, 2 साल में यह सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है।एंटी नक्सल ऑपरेशन से लौट रही सुरक्षाबल की टीम को नक्सलियों ने निशाना बनाया,गाड़ी को आईईडी से उड़ा दिया।बता दें कि पिछले 24 साल में कुल 1197 ब्लास्ट हुए, जिसमें 1313 जवान शहीद हुये।बीजापुर के बेदरे – कुटरू रोड पर दोपहर सवा दो बजे नक्सलियों ने हमला किया।अंबेली गांव में ही नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट किया, काफिले में शामिल स्कॉर्पियो को निशाना बनाया गया,इस गाड़ी में डीआरजी के 10 से ज्यादा जवान सवार थे धमाका इतना जोरदार था कि सड़क पर 10 फीट का गड्ढा हो गया, गाड़ी के कुछ पार्ट्स 20 फीट ऊंचे पेड़ की शाखों पर अटके पड़े मिले।सूत्रों ने बताया कि घटनास्थल के मंजर से पता चलता है कि माओवादियों ने विस्फोट के लिए फॉक्स होल टेकनीक का इस्ते माल किया था,टेक्नीक में माओवादी सड़क पर बड़ा सा गड्ढा खोदते हैं,फिर इन गड्ढों को विस्फोटक, पत्थरों से भर देते हैं।एंटीमाइन ऑपरेशन में इन गड्ढों का पता नहीं चल पाता है। जब माओवादी किसी धमाके को अंजाम देने वाले होते हैं तो गड्ढों को विस्फोटक से भर देते हैं, ऊपर से पत्तों से ढक देते हैं, नक्सलियों ने ब्लास्ट पक्की सड़क पर किया था ऐसी आशंका है कि सुरक्षा के कई मानकों की अनदेखी की गई है।

आईईडी बम डिटेक्ट
क्यों नहीं हुआ….!

नक्सलियों के बिछाए गए आईईडी बम को डिटेक्ट करने के लिए मोबाइल ट्रेस® हैंडहेल्ड ट्रेस डिटे क्टर मशीन का इस्तेमाल करते हैं। यह मशीन जमीन के भीतर दफन आईईडी बम कोआसानी से डिटेक्ट कर लेती है। इस धमाके में आरओपी में तैनात जवान जमीन के अंदर दफन बम को इसलिए नहीं पहचान पाए क्योंकि यह डिटेक्टर मशीन केवल 2 फीट अंदर दफन बम की पहचान कर सकती है।नक्सलियों द्वारा 60 किलो का आईईडी बम जमीन के 5/6 फ़ीट अंदर दफनाया गया था! इसी वजह से बम का पता नहीं लग पाया। जवानों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हैंडहेल्ड ट्रेस डिटेक्टर इम्प्रोवाइज्ड एक्स प्लोसिव डिवाइस (आईईडी) को आसानी से पहचान जाती है लेकिन,जमीन की गहराई में दफ़नका पता लगाना मशीन के लिए भी नामु मकिन था।डीआरजी (जिला रिजर्व गार्ड) जवान नक्सलियों के सबसे बड़े दुश्मन हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि डीआरजी की टीम में स्पेशल जवानों की भर्ती होती है।डीआरजी में वही सुरक्षाबल शामिल होते हैं जो,बस्तर या इसके आस -पास के क्षेत्र के होते हैं। इन सुरक्षाबलों को आस पास की स्थानीय भाषा आती है। ये जवान बस्तर के लोगों से घुल-मिल जाते हैं। डीआरजी जवानों के इन गुणों के कारण फोर्स को ऑपरेशन में सफलता मिली है।नक्सलियों की भाषा, आम बोल-चाल वाली होती है। मुखबिरों से भी डीआर जी जवानों के अच्छे संपर्क होते हैं। इसे डीआरजी जवान आसानी से समझ जाते हैं।

6 साल बाद लखन मिश्र
की प्रतिमा का अनावरण.. 

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित लखनलाल मिश्र की प्रतिमा काअनावरण,मूर्ति स्थापना के करीब 6 साल बाद आखिर हो ही गया… जब मूर्ति दुर्ग सर्किट हॉउस के बगल में लगी थी तब डॉ रमनसिंह छ्ग के सीएम थे और बतौर विस अध्यक्ष उन्होंने प्रतिमा कालोकार्पण किया।आईएएस से सेवा निवृत होकर भाजपा की सदस्यता लेनेवाले पूर्व आई एएस गणेश शंकर मिश्रा का कहना है कि उनके भाजपा प्रवेश के चलते ही पिछली कॉंग्रेस सरकार ने उनके पिता, एक स्वतंत्रता सेनानी की पूरे 5 साल तक मूर्ति का अनावरण नहींहोने दिया..! क्या आजादी के दीवानों को भी कांग्रेस- भाजपा में बाँटना चाहिये.? दुर्ग रेल्वे स्टेशन में 15 दिस म्बर 19 45 को बतौर थाने दार,बावर्दी पं.लखन मिश्र ने कांग्रेस के बड़े नेता,पूर्व कलेक्टर(आईसीएस) का माला पहनाकर स्वागत किया और ‘भारत माता की जय’, ‘गाँधी जी की जय’ का नारा ब्रिटिश राज को ही चौंका दिया था।उन्होंने बाद में नौकरी से भी इस्तीफा दे दिया था जबकि पदोन्नति तय थी। खैर अब प्रतिमा लोगों के लिये भी प्रेरणा का केंद्र निश्चित ही बनेगी।

अमित कुमार को मिला
राष्ट्रपति पुलिस पदक   

छग कैडर के 1998 बैच के आईपीएस अमित कुमार को उनकी विशिष्ट और अनुकरणीय सेवाओं के लिये केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति पुलिस पदक से किया सम्मानित किया। सम्मान समारोह 07 जनवरी 2025 को नई दिल्ली में आयोजित था।अमित कुमार ने अपने करियर में जिस निष्ठा, समर्पण से काम किया है, वह कानून व्यवस्था और सुरक्षातंत्र को मजबूत करने का उदाहरण है।अमित कुमार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में 12 वर्षोंतक अपनी सेवाएं दीं, एसपी, डीआईजी, जेडी (पॉलिसी) जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।सीबीआई के कार्यकाल को नीतिगत सुधारों और एजेंसी की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए याद किया जाता है।अमित ने नक्सल प्रभावित बस्तर और दुर्ग- रायपुर जैसे शहरी जिलों में कानून व्यवस्था को मजबूत करने में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी रणनीतिक सोच, नेतृत्व क्षमता ने न केवल नक्सल गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद की,बल्कि शहरी क्षेत्रों में पुलिस को भी नई दिशा दी।वर्तमान में अमित कुमार छ्ग में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इंटेलिजेंस) के पद पर कार्यरत हैं।जन वरी 2023 में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पर नियुक्त किया गया था।

पूर्व एसपीओ,10 वीं
फेल है सुरेश चंद्राकर…   

छत्तीसगढ़ में बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या मामले में 4 आरो पियों की गिरफ्तारी की गई है,मुख्य आरोपी सुरेश चंद्रा कर,उसके भाई रितेश चंद्रा कर ने मिलकर मुकेश की हत्या की है।2005 में डॉ रमन सरकार ने सलवा जुडूम आंदोलन के खिलाफ बनाए गए स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) के तहत बस्तर के युवाओं की भर्ती की गई थी, सुरेश भी एसपीओ बना था,एसपीओ का काम पुलिस कोसूचनाएं देने के साथ सहयोग करना था,इसके बाद सुरेश चंद्रा कर ने ठेकेदारी का काम शुरू किया।सुरेश 10 वीं फेल है।स्थानीय पत्रकारों की माने तो बस्तर में ही पीडब्लूडी के सड़क,भवन आदि निर्माण का काम करता था,भ्रष्टाचार केजरिये कम समय में करोड़ोँ का एम्पायर खड़ा कर लिया। सुरेश ने अपनी बारात भी हेलीकॉप्टर से बस्तर लेकर गया था, जिसके बाद वह सुर्खियों में आया।अंधाधुंध पैसे कमाने के बाद सुरेश ने राजनीति में एंट्री ली।कांग्रेस की ओर से उसे महाराष्ट्र चुनाव में स्टार प्रचारक की श्रेणी में भेजा गया था….

और अब बस…..

0छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सीएम विष्णुदेव साय ने स्पष्ट किया कि जल्द पत्रकार सुरक्षा कानून लायाजाएगा।
0सांसद बृजमोहन अग्रवाल छ्ग की सीमेंट कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व सीएम विष्णु देव साय को पत्र लिखा है।

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