{किश्त 93}
अवधूत गुरुपद संभव राम,राजा के पुत्र जिन्होंने कुंभ में अघोरेश्वर भगवान राम से दीक्षा ली, राजसी वैभव त्याग दिया।अवधूत गुरुपद संभवराम,यशोवर्धन पिता भानु प्रकाश सिंह,मप्र के नरसिंहगढ़ राजघराने में कुमार का जन्म15 मार्च 61को इंदौर में हुआ था।शिक्षा डॉली कॉलेज इंदौर, बनारस हिंदू विवि में हुई।यशोवर्धन सिंह ही गुरुपद संभवराम हुए।बात 1982 अर्धकुंभ में गंगा,यमुना और सरस्वती नदी संगम प्रयाग राज में अघोरेश्वर भगवान राम कैम्प में विराजमान थे, इसी बीच किशोर पहुंचा, उच्च ललाट,चौड़ा सीना, लंबी बलिष्ट भुजाओं के साथ ही ओजपूर्ण चेहरा देखकर ही अनुमान लगाना आसान था कि ये न केवल सुसंस्कृत परिवार के हैं, बल्कि भविष्य में लाखों- करोड़ों लोगों के प्रेरणा के स्रोत बनेंगे।ये किशोर ही कुमार यशोवर्धन सिंह थे। अघोरेश्वर भगवान राम के पास आए,यहीं के होकर रह गए।अघोरेश्वर के साथ अर्धकुंभ तक प्रयागराज में ही ठहरे,उनके साथ बनारस चले गए।मुड़िया दीक्षा संस्कार के बाद अघोरेश्वर राम ने गुरुपद संभव राम नाम दिया।गुरुपद संभव राम,परमार कुल के सम्राट विक्रमादित्य के राजवंश के हैं।इसी राजवंश में राजाभर्तृ हरि भी हुए,जिन्होंने हृदय परिवर्तन के बाद राजपाट छोड़ कर सन्यासी बन गए।अवधूत गुरुपद संभवराम, नरसिंहगढ़ के राजा भानु प्रकाशसिँह के पुत्र हैं,कुमार यशोवर्धनसिंह की1982 में दीक्षा के बाद गुरुपद संभव राम ने कठोर तप साधना शुरू की।अघोरेश्वर भगवान राम जब साधना की गूढ़ प्रक्रियाओं,जीवन,सामाजिक आदर्शों के विषय में शिष्यों,भक्तों को शिक्षा देते थे,तब गुरुपद संभवराम को कभी संभव कभी संभव साधक,सौगत उपासक, मुड़िया साधु के नाम से पुकारते थे।गुरुपद संभव राम,अघोरेश्वर भगवानराम के प्रियशिष्यों में रहे।उनकी अपरिमित कृपादृष्टि से ही अघोरदर्शन,परम्परा और दृष्टि से ज्ञान के भंडार को परिपूरित करने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी,अवधूत पद पर प्रतिष्ठित हुये ।
ज़ब सोगड़ा से लौटकर
चंद्रशेखर पीएम बने…..
जशपुर जिले में सोगड़ा स्थित भगवान अवधूत रामजी का आश्रम स्थित है।स्व.चंद्रशेखर,भगवान अवधूत रामजी के विशेष कृपा पात्र,सेवक थे,इस कारण समय-समय पर उनका जशपुर आगमन होता रहता था,1990 में भारतीय सत्ता में हलचल हुई तो चन्द्रशेखर रांची होते हुए सोगड़ा जशपुर पहुंच गए,तब भगवान अवधूत रामजी सोगड़ा में ही थे। दिल्ली के गलियारों में राजनीतिक हलचल के बीच चंद्रशेखर सोगड़ा आश्रम पहुंचे थे।सोगड़ा आश्रम में मां महाकाली अवधूत का आशीर्वाद लेने आए थे,बाबा ने उन्हें मिलने समय नहीं दिया,साथियों सहित आश्रम के बाहर ही पुआल की बनी झोपड़ी में आकर बैठ और दर्शन के बाद ही दिल्ली गये थे। हल चल के बीच चन्द्रशेखर, आशीर्वाद लेने आये,बाबा का आशीर्वाद मिला,कुछ दिन के अंदर ही चन्द्रशेखर ऐसे पीएम बन गए जोकभी भी केंद्र में मंत्री तक नही रहे,सीधे पीएम बने,सोगड़ा का अघोर आश्रम काफी प्रसिद्ध है।देश भर से भक्तों का यहां आना-जाना लगा रहता है।सोगड़ा पहली बार चर्चा में तब आया था,जब चंद्रशेखर पीएम बनने के बाद वहां पहुंचे थे।पीएम के रूप में वे आश्रम में ही रुके थे।उनके लिए एक छोटा सा कुटिया सरीखा कमरा बनाया गया था।वो कमरा अभी भी है।खैर बलिया के इब्राहिमपट्टी में 17अप्रैल 1927 को जन्में चंद्रशेखर ने 8 जुलाई 2007 को अंतिम सांसें ली।छ्ग के सीएम विष्णुदेव साय,पूर्व सीएम भूपेश बघेल,पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव सहित कई नेता,नौकरशाह बाबा के शिष्य हैं।(हाल ही में गुरुपद संभवराम के दर्शन का हमें भी सौभाग्य मिला)