मदिरा की कम खपत को लेकर चिंतित शिवराज सरकार।
भोपाल । मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने बताया कि शिवराज सरकार शराब प्रेमी सरकार है और इसका शराब प्रेम समय- समय पर सामने भी आता रहा है।
वैसे तो शराब को सामाजिक बहिष्कार की वस्तु माना जाता है , ख़ुद शिवराज जी कई मौक़ों पर शराब को लेकर कई दिखावटी बयान भी देते रहते है लेकिन समय- समय पर उनकी सरकार प्रदेश में शराब को बढ़ावा देने वाला काम भी करती है।
मदिरा की बोतल पर जागरूकता हेतु लिखा होता है मदिरापान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है,मगर किसी भी प्रदेश में इसको बढ़ावा देने का प्रयास तो क्या ऐसा विचार भी आजतक नही किया गया होगा।
लेकिन शिवराज सरकार में एमपी अजब है – एमपी ग़ज़ब है के नारे को चरितार्थ करते हुए एक जारी आदेश में दिनांक 12 अक्टूबर को 12 बजे विभाग प्रमुख ने आबकारी विभाग के सभी संभाग प्रमुख की एक वर्चुअल बैठक इसलिए आयोजित की है ताकि इस बात पर विचार किया जा सके कि प्रदेशभर में मदिरा की खपत में वृद्धि कैसे की जावे ? इससे शिवराज सरकार का शराब प्रेम उजागर हो रहा है और शराब के बढ़ावे को लेकर उनकी सरकार की नीति व सोच स्पष्ट हो रही है।
वैसे यह कार्य शराब डिस्टलरियो के मालिकों को फायदा पहुंचाने का भी प्रयास है। नियमानुसार आबकारी विभाग का कार्य वित्तीय वर्ष में हुए शराब ठेकों के तयशुदा राजस्व को वसूल करना व आबकारी अपराधों पर रोकधाम का होता है ना कि मदिरापान हेतु लोगो को प्रेरित करने का ?यह कार्य भी ऐसे समय में किया जा रहा है जब प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रदेश में 15 जनवरी से शराबबंदी को लेकर सड़कों पर आने की घोषणा की है और प्रदेश में चार उपचुनाव के प्रचार का काम हो रहा है।
शिवराज सरकार का यह काम बेहद आपत्तिजनक है और तत्काल इस विषय की बैठक को निरस्त किया जाना चाहिये।