बंगलूरू : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. तपन मिश्र ने आरोप लगाया है कि तीन साल में तीन बार जहर देकर मारने की कोशिश की गई है। मिश्र जनवरी के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इससे पहले उन्होंने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर जहर दिए जाने की घटना का खुलासा किया। साथ ही मिश्रा ने भारत सरकार से इस मामले की जांच की मांग की।
Someone definitely wanted to do some harm to Indian Space Research Organisation(ISRO). The only solution is to catch the culprit & punish them. Not provide security to 2,000 scientists: ISRO scientist Tapan Mishra, on his allegations of being poisoned by arsenic three years ago pic.twitter.com/nrb8ws8wgc
— ANI (@ANI) January 6, 2021
डॉ. मिश्र ने सोशल मीडिया पर इसे तंत्र की मदद से किया गया अंतरराष्ट्रीय हमला बताया। उन्होंने कहा कि बाहरी लोग नहीं चाहते कि इसरो और इसके वैज्ञानिक आगे बढ़ें और कम लागत में टिकाऊ सिस्टम बनाएं। मिश्र ने डॉ. विक्रम साराभाई की रहस्यमयी मौत का हवाला देते हुए केंद्र सरकार से जांच की मांग की है।
2017 में चटनी में दिया जहर
तपन मिश्र ने बताया कि उन्होंने बहुत दिन तक इसे रहस्य रखा। कई तरह की चुनौतियों को देखते हुए अब इसे सार्वजनिक करना पड़ रहा है। पहली बार 23 मई, 2017 को बेंगलुरु मुख्यालय में प्रमोशन इंटरव्यू के दौरान ऑर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया था। तपन मिश्र ने बताया, ”लंच के बाद के नाश्ते में उन्हें डोसे के साथ दी गई चटनी में जहर मिलाकर दिया गया था। मुझे लंच अच्छा नहीं लगा। इसलिए चटनी के साथ थोड़ा सा डोसा खाया। इस कारण केमिकल पेट में नहीं टिका। हालांकि, इसके असर से दो साल बहुत ब्लीडिंग हुई।”
दूसरा हमला चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले हुआ
शीर्ष वैज्ञानिक ने बताया कि दूसरा हमला चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के दो दिन पहले हुआ। 12 जुलाई, 2019 को हाइड्रोजन साइनाइड से मारने की कोशिश हुई। हालांकि, एनएसजी अफसर की सजगता से जान बच गई। मेरे हाईसिक्योरिटी वाले घर में सुरंग बनाकर जहरीले सांप छोड़े। तीसरी बार सितंबर, 2020 में आर्सेनिक देकर मारने की कोशिश हुई। इसके बाद मुझे सांस की गंभीर बीमारी, फुंसियां, चमड़ी निकलना, न्यूरोलॉजिकल और फंगल इंफेक्शन समस्याएं होने लगीं।
उन्होंने कहा कि ये हमले किसी आम इंसान के दिमाग की उपज नहीं हैं, इसमें अंतरराष्ट्रीय लोग शामिल हैं। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि ऐसे हमलों का उद्देश्य सैन्य और कमर्शियल महत्व के सिंथेटिक अपर्चर रडार बनाने वाले वैज्ञानिकों को निशाना बनाना या रास्ते से हटाना होता है। मैंने अपनी पीड़ा सीनियर्स से कही। पूर्व चेयरमैन किरण कुमार ने सुना, लेकिन डॉ. कस्तूरीरंगन और माधवन नायर ने नहीं। इसके बाद भी हत्या की कोशिशें जारी रहीं। उन्होंने अपील की कि देश मुझे और मेरे परिवार को बचा ले।
दवा का पर्चा और फोटो फेसबुक पर डाली
उन्होंने लिखा कि जुलाई 2017 में गृह विभाग के सुरक्षा अधिकारियों उन्हें आर्सेनिक से खतरे के बारे में सावधान किया था। मिश्र ने बताया कि उनके द्वारा डॉक्टरों को दी गई जानकारी के चलते ही उनका सटीक इलाज हुआ और वह बच सके। हालांकि, जहर का शरीर पर इतना बुरा असर हुआ कि उन्हें लंबे वक्त तक इलाज करवाना पड़ा। उन्हें सांस लेने में दिक्कत, फंगल संक्रमण और त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं हुईं। उन्होंने फेसबुक पर अपनी जांच रिपोर्ट, इलाज के पर्चा और त्वचा संबंधी दिक्कतों की फोटो भी पोस्ट की है।
इसके चलते पद से हाथ धोने पड़े…
अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (सेक) में 3 मई 2018 को धमाका हुआ था, जिसमें मैं बच गया। धमाक में 100 करोड़ रुपये की लैब नष्ट हो गई थी। एक भारतीय-अमेरिकी प्रोफेसर जुलाई 2019 में मेरे ऑफिस आए। उन्होंने मुंह न खोलने के बदले में मेरे बेटे को अमेरिकी इंस्टीट्यूट में दाखिले का ऑफर दिया। मैंने इससे इनकार किया, तो मुझे सेक डायरेक्टर के पद से हाथ धोना पड़ा।