देखकर फसल अंधेरों की,हैरत कैसी…. तुमने अपने खेतों में, उजाले ही कहाँ बोये थे….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

ठीक है,सीएए से विदेशी नागरिकों को नागरिकता दे दी जाएगी ,पर ये कोई नहीं बता रहा है कि पिछले 10 सालों में कितने भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी…? लोक सभा चुनाव की घोषणा के पहले केंद्र द्वारा नागरिकता कानून संशोधन को लागू करना,टाइमिंग को लेकर भी चौंका रहा है! कानून में बहुत से झोल हैं.. ! निश्चित रूप से सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी जाएगी…!भारत का संविधान ही धार्मिक मान्यताओं के आधार पर है वह ऐसे कानून को मान्यता नहीं देता है क्योंकि भारत के संविधान की प्रस्तावना में सांप्रदायिक सद्भावना, धार्मिक एकता का जिक्र है, घोषित नागरिकता संशोधन धार्मिक आधार पर परि भाषित होता है।नये सीएए में स्पष्ट है।तीन पड़ोसी देश अफगानिस्तान, बांग्लादेश पाकिस्तान से धार्मिक रूप से उत्पीड़ित हिंदू,जैन,बौद्ध, पारसी,ईसाई,सिख ही अब नागरिकता के अधिकारी होंगे। जो 31 दिसंबर14 के पूर्व भारत की नागरिकता के लिये आवेदन कियाहोगा कानून में नागरिकता वापस लेने का प्रावधान तो नहीं है, पड़ोसी देश बर्मा, श्रीलंका के हिंदू,तमिल सिंहली की नागरिकता के बारे में जिक्र नहीं है..!रणनीतिकारो को लगता है,देश सांप्रदायिक पिच पर खेलने लग जाएगा क्योंकि कानून में मुस्लिमों का कोई जिक्र नहीं है,उन्हें उत्तेजित कर वातावरण सांप्रदायिक बनाने की कोशिश जाएगी? चुनाव के पहले और रमजान माह में ही ध्रुवीकरण की कोशिश घोषणा का आधार लगती है….! वैसे तो उत्तर पूर्व में भाजपा को तीखी प्रति क्रिया का सामना करना पड़ेगा,बांग्लादेश से आये शरणार्थी हिंदू भी हैँ और मुस्लिम भी हैँ।देखना है कि ध्रुवीकरण की सोच कहां तक पहुंचती है….?

चुनावी बाँड में किस पार्टी
को कितनी रकम…..?

एसबीआई की जानकारी के बाद चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक कर दी है।आयोग के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से भारतीय स्टेट बैंक ने 12 मार्च 24 को चुनावआयोग को बांड से संबंधित डेटा मुहैया करा दिया था,बाद में चुनावआयोग की वेबसाइट पर डेटा अपलोड कर दिया गया अभी तक इन चुनावी बांड से भाजपा को ही 6060 करोड़,कांग्रेस को 1421.9 करोड़,टीएमसी को1609करोड़,बीआरएस1214.7करोड़ और आप को 65.5 करोड़ मिले हैं ….।

कांग्रेस में ‘करो या मरो’
की स्थिति है इस बार…?     

2024 का चुनाव कांग्रेस के लिए ‘करो या मरो’ वाली स्थिति का है,यही वजह है कि कांग्रेस हर समझौता कर रही है, किसी भी तरह गुंजाइश नहीं छोड़नाचाहती है,क्योंकि यदि 50 सीटों के इर्द-गिर्द सिमट गये तो फिर वापसी मुश्किल हो जाएगी, कुछ राज्यों में मिली चुनावी मात,बदलती सियासी परि स्थितियों में दिग्गजों को चुनावी मैदान में उतारना जरुरी भी है, इनके उतरने से जीत की संभावना तो बनती दिखती है…?कांग्रेस की सूची में छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल, कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल,पूर्व सीडब्लूसी मेंबर ताम्रध्वज साहू जैसे नेताओं टिकट देकर संदेश दे दिया है कि दिग्गजों को चुनावी रणभूमि में उतरना ही होगा,राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे,शशि थरूर तिरुवनंत पुरम,वेणुगोपाल अलाप्पुझा से लड़ेंगे,भूपेश बघेल राजनांदगांव,ताम्र ध्वज साहू महासमुंद से तो ज्योत्सना महंत कोरबा, डीके सुरेश बेंगलुरु से, छिंदवाडा से नकुलनाथ, राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक के बेटे वैभव गह लोत जालौर सिरोही से मैदान में है। 24 के लोक सभा चुनाव की लड़ाई केवल चुनावी नहीं बल्कि अपने सियासी वजूद को बचाये रखने की भी है..? कांग्रेस के लिए जरूरी है पूरे दमखम के साथ पीएम मोदी की भाजपा से मुकाबला करती दिखनी चाहिये।

छ्ग की नौकरशाही में
अभी कौन-कौन है भारी….?                                                                                    

नया छ्ग राज्य बनने के बाद नौकरशाह अजीत जोगी पहले सीएम बने थे। उनके कार्यकाल में किसी नौकरशाह की नहीं चलती थी..? जोगी कलेक्टरी से प्रदेश को चलाते रहे, उनके सलाहकार के रूप में आईपीएस डॉ आरएसएस यादव की थोड़ा बहुत चलती थी? जोगी के बाद 15 साल तक भाजपा की सरकार बनी,डॉ रमनसिंह ही सीएम रहे,उस समय अमनसिंह और विक्रम सिसोदिया की ही चलती थी आलम तो यह था कि नौकर शाही पर तो इनका नियंत्रण था ही,साथ ही भाजपा नेता भी सीएम,मंत्री से काम कर वाने इन्हीं का सहारा लेते थे। डॉ रमनसिंह सरकार के बाद कांग्रेस की सरकारबनी भूपेश बघेल सीएम बने,तो उनके सचिवालय में पदस्थ सौम्या चौरसिया की एक तरफ़ा चली…तबादला,पद स्थापना का निर्णय इनकी इच्छा पर निर्भर होता था? सौम्या के ईडी जाँच,जेल जाने के बाद प्रमोटी अनिल टुटेजा की फूल चलना शुरू हो गई थी। नान,आयकर, ईडी जाँच के बाद ही इनकी चलना कम हुई थी।साथ ही आईपीएस दीपांशु काबरा, आरिफशेख और डॉ आनंद छाबड़ा की भी ठीक-ठाक चलती थी। करीब 3 माह पूर्व ही छ्ग में भाजपा की सरकार बनी और विष्णु देव साय सीएम बने हैं। वैसे तो दोनों डिप्टी सीएम,वित्तमंत्री सहित वरिष्ठमंत्री बृजमोहन अग्रवाल की चल रही है,पर यदि नौकरशाही की बात करें,आईएएस पी.दयानन्द आईपीएस अमितकुमार, राहुल भगत, मयंक श्रीवास्तव और अमरेश मिश्रा की ही ज्यादा चल रही है। ये लोग सरकार ने आँख,नाक और कान बने हुए हैं। इस सरकार में सीएम हॉउस, जशपुर केम्प के कुछ लोगों की भी ठीक चल रही है। लोस चुनाव के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि किसकी अधिक चलती है?

और अब बस….

0रायपुर रेंज के आईजी अमरेश मिश्रा को ईओडब्लू एसीबी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
0छ्ग राज्य सूचना आयोग में मुख्य आयुक्त और सूचना आयुक्त के लिये 115 आवेदन जमा हुए हैं ?
079 एएसपी तबादला आदेश के बाद शासन ने हाईकोर्ट में कैवियट लगा दी है।
0लोकसभा चुनाव के पहले 43 भाजपा नेताओं की सुरक्षा बढ़ाई है।उनमें दंतेवाड़ा के सबसे ज्यादा 17 नेता शामिल हैं।

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