विपुल कनैया,राजनांदगांव : शासकीय राशि का कैसे प्रशासनिक अधिकारी और क्षेत्रीय नेता आपस मे बंदरबाट करते है, ऐसा नजारा जिले के माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में हुए शासकीय निर्माण कार्य के दौरान देखने मिलते है, क्योकि इन क्षेत्रों में नक्सल के ख़ौफ़ चलते कोई निर्माण कार्य देखने नही पहुंचता है, और ना ही घटिया निर्माण के खिलाफ आवाज उठाने वाला कोई मिलता है, ऐसे में माओवादी क्षेत्रों में जो शासकीय पुल- पुलिया- एनीकट, सड़क, शासकीय भवनों के निर्माण होते है उनमें जमकर कालाबाज़ारी और भ्र्ष्टाचार होता है, नतीजन करोड़ों रुपयों की लागत से हुए निर्माण साल भर भी नही टिक पाते है।
राजनांदगांव जिले के अतिसंवेदनसील माओवादी प्रभावित मानपुर ब्लॉक के खुरसेकला गांव में भाजपा शासन काल के दौरान 3.75 करोड़ की लागत से एक एनीकट का निर्माण किया गया था, एनीकट के निर्माण का उद्देश्य यहां के 15- 16 गांव के किसानों को पानी के लिए जूझना ना पड़े।
लेकिन निर्माण इतना घटिया स्तर का हुआ कि यह एनिकट एक साल नही टिक पाया इस एनिकट में पानी रुक ही नही पाता है।
अब स्थिति यह हो गई है, की एनिकट के रिपेयरिंग (सुधार) कार्य के लिए पिछले 3 सालों से लाखों रुपयें शासन द्वारा हर साल स्वीकृत किये जाते है, रिपेयरिंग के नाम पर केवल खाना पूर्ति होती है,और शासकीय राशि का होता है, बंदरबाट।
ग्रामीणों की माने तो इस वर्ष एनिकट रिपेयरिंग के नाम से 50 लाख रुपयों की स्वीकृति हुई है, बारिश शुरू हो गई,और एनिकट रिपेयरिंग का पता नही..!