शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
केरल की वायनाड लोकसभा सीट से सांसद रहे राहुल गांधी की मुश्किलें अभी कम नहीं हुई हैं… मोदी सरनेम मामले में विवादित टिप्पणी को लेकर पहले सूरत सेशन कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था। राहुल गांधी को 2 साल की सजा हुई और इसके बाद जमानत दे गई,और उनकी सदस्यता भी चली गईं। इस तरह आम चुनाव के सालभर पहले वायनाड बिना सांसद का हो गया है।लेकिन इस घटना ने याद दिला दिया है कि गांधी परिवार के साथ यह पहला मामला नहीं है।राहुल की दादी (पूर्व पीएम इंदिरा गांधी)और माँ सोनिया गाँधी भी एक-एक बार अपनी लोकसभा सदस्यता से हाथ धो बैठे हैं।
इंदिरा गाँधी की हुई
थी सदस्यता रद्द ….
एक वक्त था,जब उनकी दादी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की लोकसभा सदस्यता का रद्द होना ही उनके लिए संजीवनी बन गया था….किस्सा वही आपातकाल से जुड़ा है. हुआ यूं कि आपातकाल के बुरे दौर के बाद जब चुनाव हुए तो इंदिरा गांधी को करारी हार मिली। इसके बाद 1977-78 का दौर बेहद नाटकीय रहा।1978 को इंदिरा गांधी कर्नाटक के चिकमंगलूर से उपचुनाव जीतकर लोकसभा पहुंची थीं।यहां विरोधी पहले से खेमा तैयार किए बैठे थे। लोकसभा में उनके पहुंचने के 18 नवंबर को उनके खिलाफ अपने कार्यकाल में सरकारी अफसरों का अपमान करने और पद के दुरुपयोग के मामले में खुद तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई ने प्रस्ताव पेश किया और प्रस्ताव पास हो गया। सात दिनों की लंबी बहस के बाद इंदिरा गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार समिति बनी,जिसे इंदिरा के खिलाफ पद के दुरुपयोग मामले सहित कई आरोपों पर जांच करके रिपोर्ट देनी थी,विशेषाधिकार समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची कि इंदिरा के खिलाफ लगे आरोप सही हैं, उन्होंने विशेषाधिकारों का हनन किया है और सदन की अवमानना भी की,लिहाजा उन्हें संसद से निष्कासित किया जाता है और गिरफ्तार करके तिहाड़ भेजा जाता है। हालांकि जनता सरकार में खुद ही सामंजस्य नहीं रहा और 3 साल में ही सरकार गिर गई।इसके बाद इंदिरा गांधी 1980 में भारी समर्थन से दोबारा चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनीं थीं।
सोनिया ने भी लड़ा था
दोबारा चुनाव …
साल 2006 में जब संसद में ‘लाभ के पद’ का मामला जोर-शोर से उठा था तब देश में यूपीए का शासन हथा और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस आरोप से घिरी हुई थीं दरअसल सोनिया गांधी रायबरेली से सांसद थीं, इसके साथ ही वह यूपीए सरकार के समय गठित राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की चेयरमैन भी थीं, जिसे ‘लाभ का पद’ करार दिया गया था।इस वजह से सोनिया गांधी को लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा देना पड़ा,उन्होंने रायबरेली से दोबारा चुनाव लड़ा था।हालांकि इंदिरा गांधी और सोनिया गांधी दोनों ने ही जो भी राजनीतिक दांव-पेच सहे और उठा पटक देखे,उसके बाद उन्होंने दोबारा मजबूती से वापसी की है. गांधी परिवार के तीसरे सदस्य हैं राहुल गांधी, जिनकी सदस्यता गई है, इससे पहले वह अमेठी की सत्ता गंवा चुके हैं और अब वायनाड भी हाथ से निकल चुका है. देखें आगे क्या होता है…..?
क्रोनोलाजी…और आडवाणी,
जोशी,आजाद….?
राहुल गांधी मामले की क्रोनोलॉजी क़ो समझना जरुरी है। भले ही भाजपा 2साल की सजा क़ो कोर्ट का फैसला ठहरा रही है पर इस पूरे मामले में गौर करना ही पड़ेगा…संसद सदस्य के तौर पर अयोग्य घोषित किए जाने के बाद राहुल गांधी को दिल्ली के लुटियंस जोन में तुगलक लेन स्थित अपना सरकारी बंगला खाली करने के लिए कहा गया है।उन्होंने खाली करने का इरादा भी जाहिर कर दिया है।उनकी दादी इंदिरा गाँधी से आपातकाल के बाद चुनाव हारने पर मोरारजी सरकार ने मकान खाली करने दबाव बनाया था पर तब के जनता पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर के अड़ने के कारण बंगला खाली करने की नौबत नहीं आई थी,अटल बिहारी बाजपेयी क़ो बतौर नेता प्रतिपक्ष एक प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करने विदेश में ईलाज कराने दबावपूर्वक राजीव गाँधी ने भेजा था (यह अटलजी ने ही राजीव के निधन के बाद खुलासा किया था)इधर भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी,कांग्रेस छोड़कर कश्मीर में क्षेत्रीय पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद आदि सांसद नहीं हैं पर,सरकारी बँगले में काबिज हैं पर लोकसभा की आवास समिति इस पर मौन है? अब राहुल गाँधी मामले की क्रोनोलाजी पर एक नजर……7 फरवरी23 क़ो राहुल गाँधी ने मोदी-अडानी पर लोकसभा में भाषण दिया था…16 फरवरी क़ो शिकायतकर्ता भाजपा विधायक ने गुजरात ने हाईकोर्ट से सुनवाई पर साल भर पहले लिया गया स्थगन खुद ही वापस ले लिया…27 फरवरी क़ो मानहानि मामले की सुनवाई फिर शुरू हो गईं…17 मार्च क़ो सूरत की अदालत ने निर्णय सुरक्षित रख लिया…23 मार्च क़ो इस धारा में दी जाने वाली अधिकतम सजा यानी 2 साल का निर्णय आता है…23 मार्च को हीआनन-फानन में 150 पेज के निर्णय की सर्टिफाइड कॉपी भी निकल आती है। सूरत से लोकसभा स्पीकर के पास दिल्ली भी पहुंच जाती है। गुजराती से हिंदी या अंग्रेजी सर्टिफाइड अनुवाद भी हो जाता है..24 मार्च क़ो संसद की सदस्यता खत्म करने का आदेश जारी हो जाता हैऔर उसके बाद सरकारी मकान खाली करने का नोटिस…?अदानी के खिलाफ संसद में मामला उठाने के बाद,तेजी से चले इस अदालती घटनाक्रम में कॉंग्रेस सवाल उठा रही है….भाजपा राहुल के बयान क़ो पिछड़ों का अपमान बता रही है..? राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करने वाले भाजपा विधायक खुद पिछड़े वर्ग से नहीं है और मोदी सिर्फ पिछड़ों का सरनेम नहीं है यह पारसी भी लगाते हैं और जैन सहित दूसरे लोग भी भी लगाते हैं…वैसे तेल निकालने वालों क़ो मोदी कहा जाता है यह एक वर्ग है न कि जाति…?
राहुल के पास अब
क्या है विकल्प….?
पहला विकल्प है कि राहुल गाँधी क़ो निर्धारित समय के भीतर किसी सक्षम न्यायालय में जमानत करवाना होगा पर अभी ऐसा करेंगे यह लगता नहीं है ? दूसरा विकल्प है कि जमानत नहीं करवाकर कुछ दिनों के लिये जेल जाकर मोदी सरकार क़ो निशाना बनाकर भारत में लोकतंत्र की बहाली के लिये संघर्ष करना होगा? बाद में जमानत करवाकर जेल से बाहर आया जा सकता है। “हमारा घर राहुल का घर” इस नारे के बीच सरकारी बंगला खाली कराने पर भारत जोड़ो यात्रा के समय के कन्टेनर का उपयोग भी कुछ समय रहने के लिये किया जा सकता है यह राजनीतिक विकल्प हैं।इससे एक तरफ कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनेगा वहीं भाजपा तथा केंद्र की सरकार क़ो आसानी से निशाना बनाया भी जा सकेगा, वैसे आगामी समय में राहुल और कांग्रेस की रणनीति का संकेत मिलना शुरू भी हो गया है।
खूंखार नक्सली ‘गोपन्ना’
पर आरोप सिद्ध नहीं.!
पुलिस ने मोस्ट वांटेड और खूंखार नक्सली गोपन्ना को पुलिस ने पकड़ा लेकिन सन 2006 से चले केस में एक भी आरोप पुलिस सिद्ध नहीं कर पाई। लिहाज, उसकी जेल से रिहाई कर दी गई। रिहाई के बाद वह अपने घर तेलंगाना लौट गया है। पुलिस ने बताया था कि गोपन्ना,छग-ओडिशा बॉर्डर जोनल कमेटी का सचिव तथा केंद्रीय कमेटी का सदस्य था।यहाँ यह बताना जरुरी है कि सन 2006 में पुलिस ने राजधानी रायपुर के नजदीक गरियाबंद जिले से गोपन्ना की गिरफ्तरी की थी। पुलिस ने उसे तस्कर समझकर गिरफ्तार किया था। लेकिन बाद में जब पुलिस ने उसकी फाइल खंगाली तो उसकी पहचान नक्सली नेता गोपन्ना मरकाम के रूप में हुई।उस पर 18 से अधिक मामले दर्ज थे,लेकिन पुलिस एक भी अपराध न्यायालय में प्रमाणित नही कर पाई। अपने सभी मामलों से गोपन्ना बरी होकर 25 मार्च 2023 में केंद्रीय जेल से रिहा हो गया है। गोपन्ना तेलंगाना के नलगोंडा जिले का रहने वाला है। 1980 के दशक में अपनी पढ़ाई के दौरान गोपन्ना नक्सल राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित हुआ। इसके बाद वह लंबे समय तक अपने परिवार के संपर्क से दूर छत्तीसगढ़ में गुमनाम जिंदगी जीता रहा। सबसे पहले जगरगुंडा इलाके में गोपन्ना की मौजूदगी और नक्सल संगठन में होने को लेकर पुलिस ने अपराध दर्ज किया था।
और अब बस
0छ्ग में सांसद, विधायक नहीं रहने पर भी नंदकुमार साय, रामविचार नेताम, प्रेमप्रकाश पांडे आदि सरकारी बँगले का लाभ ले रहे हैँ?
0भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने एक न्यूज़ चैनल में स्पष्ट किया कि छ्ग में किसके नेतृत्व में चुनाव होगा यह अभी तय नहीं हुआ है।
0 छ्ग में ईडी के निशाने पर अब आईपीएस और राज्य पुलिस सेवा के अफसर भी आ गये हैं। हालांकि पूछताछ तो पहले से ही हो रही है?
0ईडी के निशाने पर अब एक और आईएएस हैं…हालांकि एक आईएएस पूछताछ के बाद तंत्र मंत्र की साधना में हैँ ?