{किश्त62}
भारत के प्रतीक चिन्ह चार शेरों वाली प्रतिमा,अशोक स्तंभ के शिखर पर लगी थी इसे इस्वी सन शुरू होने के 250 साल पहले सम्राट अशोक ने बनाया था इसके नीचे लिखा है ‘सत्य मेव जयते’।यह मुण्डक उप निषद से लिया गया है।सत्यमेव जयते का अर्थ होता है ‘सत्य की हमेशा विजय’ होती है।वैसे यह गर्व का विषय है कि छग का ‘सत्यमेव जयते’ से गहरा नाता रहा है।छग के एक राज परिवार के ध्वज में सत्यमेव जयते का उल्लेख है तो,मुण्डक उप निषद के रचयिता मण्डूक ऋषि की तपोभूमि ‘मदकू द्वीप’ माना जाता है? वैसे यह शोध का विषय है पर यह छग के प्राचीन इतिहास पर नई रोशनी डाल सकता है।सत्यमेव जयते और अशोक चक्र जो सारनाथ में अभी भी स्थापित अशोक स्तंभ से लिया गया है।यह प्रतिमा सारनाथ (उप्र )के संग्रहालय में रखी गई है। इसमें चार शेरों के नीचे एक घेरे में एक हाथी,एक घोड़ा और एक नंदी है।जिनके बीच में धर्मचक्र हैऔर इसी के नीचे लिखा है सत्यमेव जयते।सत्यमेवजयते मूलत: मुण्डक उपनिषेद से लिया गया है।भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे देवनागरी लिपी में अंकित है। ‘सत्य मेव जयते’ मूण्डक उप निषद का सर्वज्ञात मंत्र 3.1.6 है।वैसे इसे राष्ट्रीय पटल में लाने1918 में कांग्रेस के सभापति मदन मोहन मालवीय की महत्व पूर्ण भूमिका रही है।
छत्तीसगढ़ से नाता…
रायपुर-बिलासपुर सड़क मार्ग में बैतलपुर के पास शिवनाथ नदी के बीचोँ- बीच एक प्राकृतिक टापू है जिसका नाम है ‘मदकू द्वीप’l शिवनाथ नदी की धाराएं यहां ईशान कोण में बहने लगती है।वास्तु शास्त्र के मुताबिक यह दिशा सबसे पवित्र मानी जाती है।शिवनाथ नदी के बहाव के इस स्थान मदकू द्वीप को दो हिस्सोँ में प्राकृतिक रूप से बांट दिया है।एक हिस्सा 35 एकड़ का है तो दूसरा करीब 50 एकड़ का भूभाग है। 2011में उत्खनन से यहां 10-11 वीं सदी के कल्चुरी कालीन मंदिरों के समूह मिले हैं।यहां तीसरी सदी के दो अभिलेख भी मिले हैं जिसमें एक ब्राम्ही लिपी में है उसके किसी अक्षय निधि का उल्लेख है तो शंख लिपी के अभिषेक भी मिले हैँ जो अस्पष्ट है। यहां द्वादश शिवलिंगों की प्रकृति के 2 शिव मंदिर और एक चतुर्भुजी गणेश की प्रतिमा भी प्राप्त हुई है।यहां एक चर्च भी पाया गया है।सूत्रों की मानें तो 110 सालों से मसीही मेला भी लगता है।मदकू द्वीप को मण्डूक ऋषि की तपोस्थली के रूप में प्रतिष्ठा है,उन्हींके नाम पर द्वीप का नामकरण भी किया गया है। इतिहास वेत्ता प्रो. विष्णु सिंह ठाकुर ने कुछ प्रमाणों के आधार पर इसे मण्डुक ऋषि की तपोभूमि होना चिन्हित किया था।यहां गहन शोध भी हो रहे हैं। यदि यह माण्डुक ऋषि की तपोभूमि है तो हो सकता है कि माण्डुक उपनिषद की रचना भी ऋषि ने यही की होगी.. तब जाहिर है कि उसी माण्डुक उपनिषद के ही मंत्र से सत्यमेव जयते लिया गया है,सम्राट अशोक के स्तंभ से यह लिया गया है। सम्राट अशोक का सिरपुर के प्राचीन बौद्धकालीन शिक्षा केंद्र से संबंध रहा है… तो क्या सत्यमेव जयते,सम्राटअशोक,छत्तीसगढ़ के मदकू द्वीप तथा सिरपुर में कोई संबंध रहा है..?यह गहन शोध का विषय है।यदि माण्डुक ऋषि की तपो भूमि मदकू द्वीप,मण्डुक उपनिषद तथा सत्यमेव जयते की उत्पत्ति का केंद्र छत्तीसगढ़ रहा है?तो यह छग के लिए गर्व की बात होगी……।