विशाल यादव
संजय नाम का अर्थ है “विजयी” यहां इस नाम के मायने इसलिए भी निकाले जा रहे हैं क्योंकि इन दिनों मालवा – निमाड़ की सबसे चर्चित विधानसभा सीट इंदौर की 1 नंबर है। यहां से बीजेपी ने अपने सबसे चर्चित और दमदार नेता कैलाश विजयवर्गीय को कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला के सामने मैदान में उतार दिया है। अब तक कई सीटों पर कैलाश विजयवर्गीय ने खुद को पार्टी के सामने साबित किया है। लेकिन इसबार उनकी इच्छा के विरुद्ध उन्हें 1 नंबर से टिकट दे दिया गया है। ( जैसा कि कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था वो तो लड़ना ही नहीं चाहते थे ) । इस बार मुकाबला कड़ा हो गया है। संजय शुक्ला ने अपने कार्यकाल में जनता के दिलों में एक अलग छवि बनाई है। छात्र राजनीति से सक्रिय शुक्ला ने एनएसयूआई के शहर अध्यक्ष पद पर काम करते हुए अपनी राजनीति को चमकाया। वो एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ है उनकी अपनी सौम्य छवि जनता में बनी हुई है। आधा परिवार भले ही बीजेपी में है लेकिन वो कांग्रेस के अंदर ओर कांग्रेस उनमें देखने को मिलती है। जिस विधानसभा सीट 1 नंबर की बात हो रही है वहां हमेशा से ही स्थानीय उमीदवार ही जनता की पसंद रहा है। जनता जरूर एक या दो बार में अपना फैसला बदल लेती है। बात संजय शुक्ला की हो रही है तो कोरोना काल का वो चित्र लोगों के जहन में आज भी है जब सारे जनप्रतिनिधियों में सबसे पहले संजय शुक्ला ने ही बिना जान की परवाह किए मैदान संभाला। शुक्ला को कोई सपना नहीं आया था कि उन्हें लोगों की मदद करने जाना है , लेकिन जब लोग अपनों से दूरियां बना रहे थे तब संजय ही थे जो सबके करीब रहा कर दुखों को बांटने और मदद करने का काम कर रहे थे। आपको याद होगा या आपने सुना होगा कि महाभारत में भी एक संजय थे जो दूरदृष्टि रखते थे। बार करें आज की तो लोकतंत्र के चुनावी युद्ध में संजय शुक्ला हैं, जो खुद मैदान में हैं और अपनी लड़ाई लड़ने को तैयार है। संजय कांग्रेस के अर्जुन की तरह लक्ष्य पर नजरें लगाए हुए हैं । घेराबंदी जरूर उनके लिए ऐसी की गई है कि वो अभिमन्यु की तरह फंस कर रह जाएं। लेकिन वो अभिमन्यु नहीं बल्कि अर्जुन साबित होंगे जनता भी ये मान रही है, क्योंकि उनके पास लम्बा अनुभव है। यहां लोगों के बीच जो छवि संजय शुक्ला की बनी है उससे अभी तक माना जा रहा है कि संजय अपने नाम के अनुरूप परिणाम दिखाएंगे। इंदौर की राजनीति में कई लोग मील के पत्थर साबित हुए हैं जिन्होंने नया इतिहास लिखा है।