रील और रीयल लाइफ के अंतर को समझे , भाजपा-लिखित-निर्देशित पटकथा’ में न फँसे कंगना : अभय दुबे

भोपाल।  इसमे कोई दो राय नहीं कि कंगना एक बेहतरीन अदाकारा हैं और जब वे किरदार में उतरती हैं तो इस बात का आभास नहीं होने देतीं कि उनकी अभिनीत पटकथा ( स्क्रिप्ट ) किसी और ने लिखी है और उनके किरदार को कोई और निर्देशित कर रहा है ।  ये बात  कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुुुबे  ने कही  उन्होंने कहा कि  भाजपानीत लिखित और निर्देशित इस कहानी की शुरुआत एक बेहद मासूम, ज़िंदादिल और होनहार कलाकार सुशांत सिंह के बेहद दुखद अंत से होती है । इस पटकथा में भाजपा सुशांत के न्याय के अलावा सब कुछ चाहती है, अर्थात् महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखली के लिये शिवसेना से बदला और बिहार के चुनाव का मुद्दा । बिहार में हार की कगार पर खड़ी भाजपा को पता है कि अगर इस फ़िल्म को 70 एम.एम. के पर्दे पर उतार कर इसे 18 रील की नहीं किया गया ,अर्थात् अधिक प्रचारित और ज़्यादा देर तक बरकरार नहीं रखा गया तो लोग मोदी जी से बिहार के सवा लाख़ करोड़ के पैकेज का और नीतीश बाबू से बिहार के साथ हुए धोखे का हिसाब माँगेंगे ।  श्री  दुबे ने कहा कि अगर कंगना का भी यह सब सोचा समझा है तो वे राजनीति की दक्ष खिलाड़ी मानी जाएंगी, नहीं तो उनको किरदार से बाहर आकर ये समझ लेना चाहिये कि यह सब ‘रील लाइफ़’ में नहीं ,उन्हें मोहरा बनाकर ‘रीयल लाइफ़’ में इस्तेमाल करने के लिये किया जा रहा है । मैं कंगना जी का हमेशा से बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूँ ।उनके अभिनय का आज भी कायल हूँ। उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ।
इसमें संदेह नही कि सुशांत को हर हाल में न्याय मिलना ही चाहिये। एक छोटे शहर का होनहार कलाकर असमय सबको छोड़कर चला गया ,जिससे पूरा देश दुखी है , और फ़िल्म जगत को भी नशे की वृत्ति से निजात मिलनी चाहिए ।
हाँ, एक आखिरी बात, देश की जनता बेहद समझदार है। वो भाजपा के सिनेमा से बाहर आकर असली ज़िंदगी के ज़रूरी सवालों के जवाब ज़िम्मेदारों से ज़रूर माँगेगी ।

 

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