रायपुर की पहली और अभी तक आख़री महिला विधायक “ताई”

{किश्त 18}

8 मई 1935 को अमरावती महाराष्ट्र में जन्मीँ,छ्ग में ब्याही रायपुर की पहली और अभी तक एकमात्र महिला विधायक बनने का रिकार्ड रजनी ताई उपासने के नाम दर्ज है। यह ठीक है कि वे जनता पार्टी की सरकार में करीब ढाई साल से अधिक समय तक ही विधायक रहीं और उन्हें बाद में टिकट भी नहीं मिला पर, छ्ग में भाजपा के वरिष्ठ सांसद,पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन राज्यों में राज्यपाल बनने वाले रमेश बैस को राजनीति में लाने में ताई की बड़ी भूमिका रही है….?पीएम नरेंद्र मोदी एक बार फोन पर ताई का हालचाल जाना फिर रायपुर प्रवास पर उनके बेटे सच्चिदानंद से मिलने पर प्रणाम भी भेजा। हालांकि पूर्व की भाजपा सरकार के एक मंत्री सड़क चौड़ी कारण के नाम पर उनका घर ही ढहाना चाहते थे…? खैर 1977 में रायपुर से 42 वर्ष की आयु में विधायक बनीं थी रजनी ताई उपासने।उनके पहले और बाद में कोई भी महिला यहां से विधायक नहीं बन सकी.. आरएसएस,जनसंघ, जनता पार्टी और अब भाजपा में “ताई” कहने से ही दो ही महिलाओं की तस्वीर सामने आती है। एक रजनी ताई और दूसरी इंदौर की सुमित्रा ताई महाजन (पूर्व लोकसभा अध्यक्ष)।वहीं जबलपुर की एक भाभीजी भी हैं जयश्री बैनर्जी (भाजपा अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा की सास) हाल ही में नब्बे साल पूरे करने वाली रजनी ताई ने एक ही चुनाव लड़ा,लेकिन लोगों से इस तरह जुड़कर सेवा की कि चार दशकों बाद भी वे शहर के लोगों के दिलों और जेहन में आज भी हैं।ताई इन दिनों शारीरिक अस्वस्थता से चलते घर पर ही आराम कर रहीं हैं।ताई का विवाह दत्तात्रेय उपासने से हुआ था।वे आर्डिनेंस फैक्ट्री में कार्यरत थे।1967 में यह परिवार बालोद से रायपुर आ गया। यह परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा।1975-77 में आपातकाल के दौरान रायपुर के तत्कालीन कलेक्टर रविंद्र शर्मा ने ताई को तात्यापारा वाला घर सील करने की धमकी दे दी थी। उन्होंने कहा था कि आप देशद्रोही हैं।दरअसल उस घर में संघ के कई नेता कुशाभाऊ ठाकरे,शांता राम सराफ,कमलाकर डोन गांवकर,केशव दवे जैसे नेता फरारी काटते और बैठकें करते थे। भूमिगत संघ नेताओं का सेंटर उनका घर होता था।ज़ब संघ से जुड़े अप्पा खरे जेल भेज दिए गये तो ताई ने उनके दो महीने के बच्चे और पत्नी को अपने घर में ही बेटी की तरह रखा था।ताई,गुप्त साहित्य जेल ले जाती और बेटों द्वारा रात-रात भर साइक्लो स्टाइल कर निकाले पर्चे घर-घर बंटवातीं थीं।आपात काल के बाद लोस चुनाव हुए तो ताई ने पुरुषोत्तम कौशिक व बृजलाल वर्मा के लिए खूब काम किया। ये दोनों नेता जीते और केंद्रीय मंत्री भी बने थे।आपातकाल में बंद संघ नेताओं और ताई के बेटों की रिहाई हो गई। विधान सभा चुनाव घोषित हुए। 1977 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने टिकट मांगा ही नहीं था।उनको रायपुर शहर विधानसभा से टिकट दे दी गई उस समय रायपुर,शहर और ग्रामीण विधानसभाओं में बंटा था। शहर विधानसभा से कांग्रेस के शारदाचरण तिवारी को ताई ने 4860 मतों से पराजित किया था।ताई की विधायकी को केवल ढाई साल ही हुआ था कि 1980 में जनता पार्टी की सरकार भंग कर दी गई। पुन: जब चुनाव हुए तो वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के कहने के बावजूद ताई को टिकट नहीं दिया गया।काफी कम लोगों को यह पता है कि सात बार के रायपुर के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश बैस को ताई ही राजनीति में लाईं।1978 में जब नगर निगम के चुनाव हो रहे थे।बृजलाल वर्मा जनता पार्टी के अध्यक्ष थे। ब्राह्मणपारा वार्ड से पार्षद के लिए डॉ. रामजी बैस को टिकट देना तय हुआ था। उनका वहां अच्छा जनाधार था। डॉ बैस ने मना कर कहा कि सिर्फ संघ का काम करेंगे। उन्होंने कहा छोटे भाई रमेश को लड़ा दो।समाजवादी लोग उनके विरोध में उतर आये थे।लेकिन ताई अड़ गईं।लोग नहीं माने तो उन्होंने इस्तीफे देने की धमकी तक दे डाली। उन्होंने कहा कि मैं विधायक हूं,मेरे विधानसभा क्षेत्र का मामला है….टिकट तो देना ही पड़ेगा रमेश बैस को…? वर्मा ने सबको मनाया,टिकट मिली और रमेश बैस जीते भी।उनका राजनीतिक सफर शुरू हो गया जो वार्ड मेंबर, विधायक,सांसद, केंद्रीय मंत्री होकर महाराष्ट्र के राज्यपाल तक जारी है।वे छ्ग के पहले व्यक्ति हैँ जो तीन राज्यों के राज्यपाल बन चुके हैं।

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