पंकज शर्मा / वरिष्ठ पत्रकार
सचिव, हिंदी विभाग, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
रायपुर में हुए कांग्रेस के 85 वें महाधिवेशन को पांच वज़हों से हमेशा याद रखा जाएगा। एक, राहुल गांधी की भाव-भीनी अभिव्यक्ति से देश में एक ऐसा दृढ़निश्चयी संदेश गया, जो राजनीतिक क्षितिज पर लंबे समय के लिए बेहद ठोस इबारत लिखेगा। दो, सोनिया गांधी की गरिमामयी उपस्थिति से कांग्रेसजन में आश्वस्ति का गहरा भाव उपजा और उनके भाषण की गहराई ने मौजूदा हुकूमत के खि़लाफ़ सियासी लड़ाई को नया पैनापन दिया। तीन, प्रियंका गांधी की कही बातों ने सकल विपक्ष की एकजुटता की राह की अड़चनों को किनारे करने का काम किया। चार, देश भर के कांग्रेसजन में यह भरोसा बना कि पार्टी-अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की उम्रदराज़ी उनके नेतृत्व में बाधा नहीं है। पांच, तीनों दिन महाधिवेशन में तैरते उछाह ने कांग्रेसी राजनीति के लिए देशव्यापी सकारात्मकता को जन्म दिया।
महाधिवेशन में पारित हुए छह प्रस्तावों में ऐसी बहुत-सी अहम बातें हैं, जिन पर ईमानदार अमल कांग्रेस की ज़मीन को 2024 के आम चुनाव के लिए बेहद ठोस बना सकता है। पार्टी के संविधान में किए गए संशोधनों की दिशा ‘तमसो मा ज्योर्तिगमय’ का संदेश देती है। अगर इन संशोधनों के ज़रिए मिलने वाले अवसरों का लाभ प्रतिबद्ध, कटिबद्ध और कर्तव्यबद्ध नवयुवाओ को मिला तो आने वाले दिनों में हम-आप कांग्रेस का एक सुघड़ चेहरा देखेंगे। मुझे लगता है कि उत्सवधर्मिता की हसीन औपचारिकतों से गुज़रने के बाद अगर कांग्रेस अब बदन झटक कर खड़ी हो गई तो उसके कायाकल्प में देर नहीं है।
कांग्रेस की स्थापना के बाद से अब तक उसके 96 अधिवेशन, विशेष सत्र और चिंतन शिविर आयोजित हुए हैं। 137 साल में यह पहला मौक़ा था, जब उनमें से कोई रायपुर में आयोजित हुआ हो। इस लिहाज़ से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पगड़ी में मैं इसे एक महत्वपूर्ण कलगी मानता हूं। उन्हें इस बात का श्रेय भी देना होगा कि बावजूद तमाम अड़चनों के वे पार्टी-महाधिवेशन को पूरा कामयाब बना ले गए, झंझावातों की कोई शिकन उनके माथे पर दिखाई नहीं दी। मैं मानता हूं कि भूपेश बघेल, त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव, चरणदास महंत, मोहन मरकाम और ताम्रध्वज साहू का पंचामृत इस साल के अंत में छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी सरकार की निस्संदेह वापसी करा रहा है।
महाधिवेशन से उपजी तरंगें 2024 की राह के कंटकों को तो साफ करेंगी ही, उसके पहले होने वाले 9 और राज्यों – कर्नाटक, मध्यप्रदेश, राजस्थान, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना – के चुनावों में भी अपना जलवा बिखेरेंगी। कर्नाटक और मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने और राजस्थान में कांग्रेस की वापसी के आसार अब नंगी आंखों से भी साफ़ नज़र आने लगे हैं। इस लिहाज़ से रायपुर महाधिवेशन कांग्रेस के पुनरुत्थान की नई गाथा रचने वाला साबित होगा।