रायपुर। प्रदेश बीजेपी संगठन के अध्यक्ष अरुण साव की लगातार सक्रियता और सड़क के आंदोलन कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भर रहे हैं। लेकिन इसके ठीक उलट राजधानी के बीजेपी संगठन में विरोध के स्वर लगातार बुलंद हो रहे हैं। एक वजह निष्क्रियता के साथ ही पार्टी प्रभावी निर्णय नहीं कर पाना है। अब इन सबके बाद ऐसे में अपना कार्यकाल पूरा कर चुके मंडल अध्यक्ष नहीं बदलने का मामला भी तूल पकड़ रहा। जो शहर जिला अध्यक्ष की जानकारी में लाने के बाद भी नहीं हो तय नहीं हो पाया । बीजेपी यूं तो बीजेपी संगठन को लेकर खासी संजीदा मानी जाती है। लेकिन राजधानी में संगठन की सारी गतिविधियां एक पूर्व मंत्री और सासंद के आगे बोनी सी जान पड़ती है। यही कारण है कि राजधानी में जो परफार्मेंस पार्टी संगठन को देना चाहिए वो नहीं मिल पा रहा है। इस बात को लेकर मुखर होने वाले पार्टी के प्रति ईमानदार कार्यकर्ता जैसे ही बोलते हैं बड़े नेता उन्हें निशाने पर ले लेते हैं। मंडल अध्यक्ष तीन साल के लिए बनाए जाते हैं लेकिन ये बीत जाने के बाद भी ना तो इन्हें बदला गया ना ही नए ऊर्जावान चेहरों को आगे किया गया। साल 2019 में मंडल अध्यक्ष बनाये गए थे। सबका कार्यकाल दिसंबर में ही पूरा हो चुका है। ऐसे में कई बार नए अध्यक्ष बनाए जाने के लिए शहर जिला अध्यक्ष को कुछ नेताओं ने बोला भी लेकिन मामला टाल दिया गया। इसकी एक वजह ये भी राजनीतिक गलियारों में चर्चा में है कि शहर जिला अध्यक्ष, निर्दलीय होने के बाद बीजेपी में शामिल हुए थे इसलिए उन्हें पार्टी के नियम और उसकी कार्यशैली भी अभी तक समझ नहीं आ पा रही है।
हर जगह अपना स्वार्थ देख रहे बड़े नेता
हालात ये है कि राजधानी में संगठन की निष्क्रियता पर इस कदर सवालों की झड़ी है कि सबने चुप्पी साध रखी है। जो कार्यकर्ता चुनाव में झंडे उठाते हैं उनकी नहीं सुनी जा रही है। राजधानी का संगठन दो नेताओं के इर्दगिर्द ही चक्कर लगा रहा है। चुनावी साल होने के बाद भी निष्क्रियता को लेकर सवाल उठ रहे हैं और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा लगातार जारी है। इस पूरे मामले की शिकायत की लगातार की जा रही है।