चंडीगढ़: विधायक नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाकर पार्टी हाईकमान ने राज्य इकाई में सेकेंड लाइनअप तैयार करने के संकेत दे दिए हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कैप्टन अमरिंदर सिंह के लगातार विरोध के बावजूद नवजोत सिद्धू को प्रधान बनाने का फैसला राहुल गांधी और प्रियंका गांधी द्वारा लिया गया है। इस तरह पंजाब कांग्रेस का विवाद खत्म करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने जो समीकरण पेश किया है, उससे साफ हो गया है कि पार्टी अब पुराने नेताओं से ज्यादा युवा और सक्रिय नेतृत्व को अहमियत देना चाहती है।
पिछले दिनों राहुल गांधी ने भी राय जाहिर की थी कि पार्टी में युवाओं को तरजीह दी जानी चाहिए। हालांकि पार्टी देश के किसी अन्य राज्य में तो यह प्रयोग नहीं कर सकी। मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव के बाद किया प्रयोग भी असफल रहा था। दोनों राज्यों में युवा नेताओं को नजरअंदाज कर अनुभवी और सीनियर नेताओं को मुख्यमंत्री पद सौंपे गए तो पार्टी को बगावत का मुंह देखना पड़ा था। अब पंजाब में चुनाव से पहले यह प्रयोग कितना कारगर होता है, यह देखने वाली बात होगी।
राहुल-प्रियंका ने लिया आखिरी फैसला…
इस बीच, पता चला है कि पार्टी हाईकमान के कई दिग्गज और सीनियर नेता भी सिद्धू को प्रधान बनाने के पक्ष में नहीं थे। यहां तक कि सोनिया गांधी और कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच हुई लंबी बातचीत के बाद भी अंतिम फैसला राहुल और प्रियंका द्वारा ही लिया गया। इससे यह भी साफ हो गया कि 2017 से कैप्टन से धुर विरोधी जैसा रुख अपनाए हुए सिद्धू को राहुल-प्रियंका का वरदहस्त मिला हुआ था। कैबिनेट विस्तार के दौरान जब कैप्टन ने सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग लेकर बिजली विभाग सौंपा, तब भी नाराज सिद्धू दिल्ली ही पहुंचे थे और राहुल गांधी के शिकायत की थी कि कैप्टन उनका कद घटा रहे हैं। उस समय राहुल के कहने पर ही सिद्धू करीब दो साल तक शांत रहे और मीडिया व राजनीति से दूरी बनाए रखी।
चारों कार्यकारी प्रधान भी युवा…
हाल के पूरे घटनाक्रम के बीच कैप्टन को नजरंदाज कर राहुल और प्रियंका ने सिद्धू और उनके साथ नियुक्त किए गए कार्यकारी प्रधानों के रूप में युवा चेहरों को भविष्य के नेताओं के तौर पर स्थापित करने का प्रयास किया है। फिलहाल इसका पहला असर तो यही दिखाई दिया है कि कुछ चुनिंदा युवा विधायक सीधे तौर पर सिद्धू को प्रधान बनाए जाने के समर्थन में आ गए हैं।
वरिष्ठ नेता अनदेखी से नाराज…
लेकिन पार्टी की सीनियर और दिग्गज नेताओं की भौहें तन गई हैं। वह खुद को पार्टी द्वारा नजरंदाज किए जाने से नाराज हो गए हैं। सीनियर नेताओं की तरफ से अब तक न तो सिद्धू के समर्थन में और न ही हाईकमान के फैसले के खिलाफ कोई बयान आया है। राहुल और प्रियंका ने युवाओं को महत्व देने का फैसला तो ले लिया, लेकिन मौजूदा सीनियर नेताओं को क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, इस बारे में अभी राहुल और प्रियंका भी साफ तौर पर कुछ नहीं तय कर पाए हैं।
युवाओं को ही मिले टिकट तो बदल जाएगा पार्टी का चेहरा
नवजोत सिद्धू को प्रदेश की प्रधानी सौंपे जाने और कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रति उनके रवैये को देखते हुए माना जा रहा है कि 2022 के चुनाव के लिए टिकट वितरण में भी सिद्धू का सीधा दखल रहेगा और राहुल-प्रियंका की सोच के अनुसार सिद्धू युवाओं को चुनाव में उतारने का प्रयास करेंगे। संभव है, सिद्धू आज अपने समर्थन में खड़े हुए युवा विधायकों पर खास मेहरबान रहें। ऐसी स्थिति में प्रदेश कांग्रेस के वह नेता जिन्होंने आज तक राज्य में पार्टी को मजबूत आधार प्रदान किया और पार्टी को सत्ता तक लाए, हाईकमान की नजर में कितने महत्वपूर्ण रह जाएंगे, यह प्रदेश इकाई के पुनर्गठन और अगले चुनाव के लिए टिकट वितरण के समय साफ होगा।