राज परिवारों,जमींदारों से राजनीतिक दलों का मोह भंग….?

 {किश्त 33}

छत्तीसगढ़ की राजनीति में राजपरिवारों,जमींदारों का बड़ा असर आजादी के समय से रहा।छत्तीसगढ़ में खैरागढ़,कवर्धा,जशपुर,सरगुजा,कोरिया,सक्ती,सरायपाली से कांग्रेस-भाजपा के विधायक-सांसद बनते रहे हैं।सारंगढ़ के राजा नरेन्द्र चंद्र तो कुछ दिनों के सीएम म.प्र.भी रहे हैं तो जशपुर कुमार दिलीप सिंह जूदेव केंद्रीय मंत्रिमंडल(अटल सरकार में)शामिल रहे वहीं कुछ राजा-रानी मप्र,छ्ग मंत्रिमंडल में भी शामिल रहे हैं।चंडिकेश्वर शरण सिंहदेव सरगुजा(कांग्रेस) विजय भूषण सिंहदेव(रामराज्य) रायगढ़,पुष्पादेवी सिंह (रायगढ़),कुंवर दिलिप सिंह जूदेव जांजगीर (भाजपा), राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह (कांग्रेस),वीरेन्द्र बहादुर सिंह-रानी पद्मावती देवी , शिवेन्द्र बहादुर सिंह, देवव्रत सिंह राजनांदगाव (सभी कांग्रेस) सांसद भी चुने गये थे। इस बार 2023 के विस चुनाव में राज परिवार से कांग्रेस ने टी एस सिंहदेव बाबा को अम्बिका पुर,देवेन्द्र बहादुर सिंह को बसना और श्रीमती अम्बिका सिंहदेव बैकुंठपुर तो भाजपा ने प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को कोटा और संयोगिता सिंह को चंद्रपुर से टिकट दिया है तो सौरभ सिंह,राघवेंद्र सिंह भी अकलतरा से प्रत्याशी बने हैँ।छग की राजनीति में राज परिवारों,जमींदारों का बड़ा प्रभाव था।संविद सरकार में तो सारंगढ़ के राजा नरेश चंद सिंह कुछ दिनों तक सीएम रहे वही रानी पद्मावती सिंह,वीरेन्द्र बहादुर सिंह,महेन्द्र बहादुर सिंह ,सुरेन्द्र बहादुर सिंह, देवेन्द्र बहादुर सिंह,गीता देवी सिंह आदि तो मंत्रि मंडल में भी शामिल रहे।
पुष्पा देवी सिंह से पहले उनकी सबसे बड़ी बहन रजनी गंधा देवी रायगढ़ से सांसद बनी थीं,(67-71) राज नरेश चन्द्र सिंह 1948 में विलय होने वाली रियासतों के प्रतिनिधि के रूप में 1949 में सीपी एन्ड बरार विधानसभा में मनोनीत हुए।जनवरी 1950 में मध्यप्रदेश अस्तित्व में आया (पं. रविशंकर शुक्ल सीएम बने। इससे पहले वे प्रीमियर कहे जाते थे) तो राजा नरेशचन्द्र सिंह मंत्री बनाये गए (1950-56 में पुराने और 1956-68 नये मप्र में मंत्री रहे) सीएम प्रकाश चंद सेठी मंत्रिमंडल में 1972 में कमला देवी समेत तीन लोगों को उपमंत्री बनाया गया था। अन्य थे भंवरसिंह पोर्ते (डॉक्टरी की परीक्षा उपमंत्री के रूप में पास की थी)और चन्द्र प्रभाष शेखर।हालांकि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में राज परिवार के सदस्य शामिल है।’सीपी एण्ड बरार’ राज्य के विघटन के बाद एक नवम्बर 1956 को मप्र के पहले मंत्रिमंडल में सारंगढ़ के राजा नरेशचंद,वीरेन्द्र बहादुर सिंह और उनकी पत्नी रानी पदमावती शामिल थे। सीएम रवि शंकर शुक्ल थे। वही सीएम डॉ. कैलाशनाथ काटजू मंत्रिमंडल में भी राजा नरेशचंद,रानी पदमावती देवी शामिल थी। पं.द्वारिका प्रसाद के मंत्रिमंडल में राजा नरेशचंद,रानी पद्मावती देवी सिंह और सीएम गोविंद नारायण सिंह मंत्रिमंडल में राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह,दृगपाल शाह शामिल थे। वही पं. श्यामा चरण शुक्ल के पहले मंत्रिमंडल में जरूर राज परिवार से किसी को शामिल नहीं किया गया था।वही पुनर्गठन में देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव को राज्यमंत्री बनाया था।श्यामा चरण शुक्ल जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने तो कोरिया कुमार रामचंद सिंहदेव को सिंचाई मंत्री बनाया था। सीएम वीरेन्द्र कुमार सकलेचा,कैलाश जोशी और सुंदरलाल पटवा ने राज परिवार को तवज्जो नहीं दिया।अर्जुन सिंह ज़ब सीएम बने तो श्रीमती कमलादेवी सिंह को मंत्री बनाया,सीएम मोतीलाल वोरा मंत्रिमंडल में भी कमलादेवी सिंह ने स्थान बनाया था ।1988 में जब अर्जुन सिंह दूसरी बार सीएम बने तो कमलादेवी सिंह के साथ ही सुरेन्द्र बहादुर सिंह,महेन्द्र बहादुर सिंह को मंत्री बनाया। फिर मोतीलाल वोरा सीएम बने तो महेन्द्र बहादुर सिंह मंत्री बने बाद में श्यामा चरण शुक्ल ने अपने मंत्रिमंडल में महेन्द्र बहादुर सिंह कमलादेवी सिंह को शामिल किया,सुंदरलाल पटवा के मंत्रिमंडल के राज परिवार से किसी को शामिल नहीं किया गया हो सकता है कि कोई राजा उनकी पार्टी से विजयी नहीं रहा होगा? सीएम दिग्विजय सिंह ने 1998 को गठित मंत्रिमंडल में कोरिया कुमार रामचंद सिंहदेव को शामिल किया वही छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद पहले सीएम अजीत जोगी ने रामचंद सिंहदेव को वित्त मंत्री गीतादेवी सिंह को कबीना मंत्री बनाया।डॉ. रमन सिंह के मंत्रिमंडल में युद्धवीर सिंह जूदेव संसदीय सचिव रहे।2023के चुनाव में टिकट वितरण में कांग्रेस और भाजपा ने राजपरिवार की एक तरह से उपेक्षा ही की है। राजपरिवार से पूर्व विधायक योगीराज सिंह (कवर्धा) टिकट नहीं मिलने पर अपने भाई तथा बसपा प्रत्याशी को मदद करने के कारण हाल ही में कांग्रेस से निष्कासित कर दिये गये हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *