प्रवीण कक्कड़ ( लेखक एक पूर्व अधिकारी के साथ ही राजनीतिक विश्लेषक व समाजसेवी हैं )
मानसून ने पूरे देश में दस्तक दे दी है। ईश्वर ने उसका काम कर दिया। अब हमारी बारी है। ईश्वर की नेमत को सहेजने और खूबूसरत बनाने की। यही सही वक्त है, बारिश के पानी को बचाने का, पौधरोपण का। आज हम पौधे रौपेंगे, यही पौधे ईश्वर तक हमारे अच्छे कर्मों का सन्देश पहुंचाएंगे। ये सन्देश वापस रिटर्न गिफ्ट की तरह वापस आएगा, अच्छी बारिश और आबोहवा के साथ। पौधरोपण से हमें हासिल होगी अच्छी हवा, पानी और ऑक्सीजन। हर बार गर्मियों में बोरवेल सूख जाते हैं। नदियों बावड़ियों के किनारे सूखे दिखते हैं। ये सब पूरे बारह महीने हरे भरे रहेंगे। बस एक पौधा आप लगाइये। यदि हवा, पानी सही रहेगा तो ये धरती हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक खुशनुमा ज़िंदगी देगी।
हरियाली के बिना हमारा क्या हाल होगा इसका अंदाजा ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ते हिस्से से देख, समझ ही रहे हैं।। हमारे जीवन के दो महत्वपूर्ण तत्व हैं जल और ऑक्सिजन। ऐसे में इस समय का सदुपयोग यही हो सकता है कि हम पर्यावरण संरक्षण को लेकर इन दोनों क्षेत्रों में सार्थक प्रयास करें।
आप सब जानते ही हैं कि जल है तो कल है। हमारी सभ्यता और संस्कृति नदियों के किनारे यानी जल के किनारे ही विकसित हुई है। और हमारी कई राजधानियां इसीलिए उजड़ी गई कि वहां पर पानी उपलब्ध नहीं था। हम अपने इतिहास से सबक सीखें और पानी को बचाकर अपने जीवन को भी बचाएं। जल बिन हमारा जनजीवन बेहाल है। कुछ दिन नियमित जल प्रदाय नहीं होने से ही हम जल संकट की स्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के आकलन के मुताबिक पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा करीब 1400 मिलियन क्यूबिक मीटर है। पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पूर्ण जल का केवल 2.7 प्रतिशत भाग स्वच्छ जल है, जिसका 75.2 प्रतिशत ध्रुव प्रदेशों में जमा है तथा 22.6 प्रतिशत भूजल के रूप में उपस्थित है। आज भी 2.17 लाख ग्रामीण घरों में शुद्ध जल नहीं पहुँच पाता। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश में केवल 31 प्रतिशत म्युनिसिपल सीवेज का शोधन होता है। बाकि अशोधित सीवेज नदियों, तालाबों में डाल दिया जाता है।
वर्षा जल संचयन या रेन वाटर हारवेस्टिंग से ज्यादा से ज्यादा पानी को अलग-अलग जगहों में इकट्ठा किया जाता है जैसे बांधों में, कुओं में और तालाबों में। प्राकृतिक आपदा को रोकने में भी इससे मदद मिलती है। वर्षा जल संचयन किसानों के लिए सबसे कारगर साबित हुआ है क्योंकि वर्षा के पानी को बचाकर आज ज्यादातर किसान गर्मियों के महीने में बहुत ही आसानी से पानी की कमी को दूर कर पाए हैं।
इस समय जल संरक्षण के प्रयास सामूहिक पहल से ही लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। इस काम के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सबसे लोकप्रिय और कारगर तरीका है। हमारी यह छोटी सी पहल भविष्य की पीढ़ी को जल संकट की भयावह स्थिति से बचा सकती है।
वर्षाजल संरक्षण (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) का इतिहास काफी पुराना है। विश्व विरासत में सम्मिलित जार्डन के पेट्रा में की गई पुरातात्विक खुदाई में ईसा पूर्व सातवीं सदी में बनाए गए ऐसे हौज निकले जिनका इस्तेमाल वर्षाजल को एकत्र करने में किया जाता था। इसी प्रकार श्रीलंका स्थित सिजिरिया में बारिश के पानी को एकत्र करने के लिये राॅक कैचमेंट सिस्टम बना हुआ था। यह सिस्टम ईसा पूर्व 425 में बनाया गया था। इसे भी विश्व विरासत में सम्मिलित किया गया है। भारत में राजस्थान प्रदेश के थार क्षेत्र में 4500 वर्ष पूर्व बारिश के पानी को एकत्र करने के प्रमाण हड़प्पा में की गई खुदाई के दौरान पाए गए।
वर्षा जल संचयन या रेन वाटर हारवेस्टिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम वर्षा के पानी को जरूरत की चीजों में उपयोग कर सकते हैं। वर्षा के पानी को एक निर्धारित किए हुए स्थान पर जमा करके हम वर्षा जल संचयन कर सकते हैं।
अन्तरराष्ट्रीय जल संस्थान ने छत से प्राप्त होने वाले वर्षाजल को अन्य स्रोतों से प्राप्त होने वाले जल की तुलना में श्रेष्ठ बताया है। केमिकल लैब की रिपोर्ट के अनुसार यह जल हर तरह के घातक लवणों से मुक्त होता है। इसमें हानिकारक बैक्टीरिया भी नहीं होते हैं और इसका पी.एच. मान भी आदर्श 6.95 होता है। पी. एच. मान से यह पता चलता है कि पानी कितना प्राकृतिक व सामान्य है। 6.5 से 8.5 के बीच के पी. एच. मान वाले पानी को सामान्य उपयोग के लायक माना जाता है। मैं आशा करता हूं कि हम लोग मानसून के आने के पहले इन सब चीजों पर अच्छी तरह विचार करेंगे। और इनमें से जो तरीके हम अपना सकते होंगे उन्हें अपनाएंगे।
ऐसे करें जल संरक्षण
– सतह जल संग्रह सिस्टम
सतह जल वह पानी होता है जो वर्षा के बाद ज़मीन पर गिर कर धरती के निचले भागों में बहकर जाने लगता है।
– छत प्रणाली
इस तरीके में आप छत पर गिरने वाले बारिश के पानी को संचय करके रख सकते हैं। ऐसे में ऊंचाई पर खुले टंकियों का उपयोग किया जाता है।
– भूमिगत टैंक
यह भी एक बेहतरीन तरीका है जिसके माध्यम से हम भूमि के अंदर पानी को संरक्षित रख सकते हैं। वर्षा जल को संचय करके इस्तमाल में लाना जल को सुरक्षित करने का एक बेहतरीन उपाय है।
इंदौर में पौधारोपण अभियान
इंदौर शहर को हरा-भरा बनाने के लिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पौधारोपण अभियान शुरू किया है। जो शहर सहित पर्यावरण संरक्षण के लिए सार्थक कदम है। हम सभी को इस अभियान से जुड़कर शहर को हरा-भरा करने की जिम्मेदारी लेना चाहिए। पर्यावरण प्रेमी और जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं स्वयं भी अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाने के प्रयास कर रहा हूं, वहीं आप सभी से भी निवेदन करता हूं कि आप इस ओर पहल करें। यह हमारे शहर को हरा भरा करने का अभियान है इसमें गैर राजनीतिक भावना के साथ सभी को सहयोग करना चाहिए। इसमें शहर को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।