मध्यप्रदेश की जनता ख़ुद को असहाय ना समझे , हम साथ खड़े थे , खड़े हैं और हमेशा खड़े रहेंगे , हर संकट में हम आपके साथ है – पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ
भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज जी , आज इस भीषण त्रासदी व संकट के दौर में मध्यप्रदेश की जनता अपने आप को असहाय महसूस कर रही है, एक समय करोना को डरोना कहकर खारिज कर देने वाले आज मध्यप्रदेश के नागरिकों को भी खारिज कर रहे हैं।बड़ा शर्मनाक है कि आज मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार लोगों की सुध तक नहीं ले रही है , आज प्रदेश लावारिस व भगवान भरोसे खड़ा है ? आज प्रदेश के हालात इस भीषण संकट काल में अत्यंत दुखदायी हो चुके हैं , जहाँ चारों और रुदन , दर्द और अपनो को खोने का ग़म है।अब जो स्थितियाँ बनती जा रही है ,वह हम सभी की रूह को कंपकपा देने वाली है , झकझोर कर देने वाली है , भयभीत कर देने वाली है परंतु इन स्थितियों से जिस तरह से निपटा जाना चाहिए , आज उसका पूर्ण अभाव है ?
आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न है कि कैसे हमारा मध्यप्रदेश इस स्थिति में पहुँच गया , क्यों आज हम रोज़ किसी अपने को खोते हुए देख रहे है , व्यवस्थाओं से हारते हुए देख रहे है , जीवन के लिये संघर्ष करते हुए देख रहे है , सिस्टम के आगे गिड़गड़ाते हुए देख रहे है , आख़िर कौन इन हालातों का दोषी है ?
आज दिन प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है , जान बचाने के लिये अस्पतालों में बेड तक नहीं है ,जीवन रक्षक प्राणवायु नहीं है , जीवनरक्षक दवाइयाँ व इंजेक्शन तक नहीं है , ऑक्सीजन के अभाव में अभी तक बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गँवा चुके है ,रोज़ लोग जीवन- मृत्यु से संघर्ष कर रहे है और तो और जान गवाने के बाद उन्हें शव वाहन तक भी नसीब नहीं हो पा रहा है , हो रहा है तो वो भी कई गुना क़ीमत पर , भ्रष्ट सिस्टम उन्हें यहाँ भी नहीं बख्श रहा है ? अब तो अंतिम क्रिया के लिये भी संघर्ष करना पड़ रहा है , मुक्तिधामो में भी वेटिंग है , अव्यवस्थाओं का अंबार है , लकड़ियों के लिए भी मनमानी वसूली हो रही है ?
“आज मानवता शर्मसार है और मौत के अंतिम ठिकाने पर भी जम गया कालाबाजार है “ ?
कोई देखने – सुनने वाला नहीं है ,ये कहाँ आ गए है हम ? आज कहाँ पहुँच गया हमारा प्रदेश , ये कैसी हमारी व्यवस्था , ये कैसा निष्ठुर सिस्टम , आज रोज़ मानवता , इंसानियत शर्मशार हो रही है ?
जबकि होना तो यह चाहिए कि जिन लोगों ने इस आपदा में अपने प्राण गंवा दिए हैं ,कम से कम उनके अंतिम समय में तो उनके परिजनों को अंतिम क्रिया के लिए लकड़ी आसानी से व निशुल्क मिले , शोक संतप्त परिवार को कम से कम उस अंतिम जद्दोजहद से तो सरकार बचाये ? लेकिन वहाँ भी सुकून नहीं , ना लकड़ी , ना इंतज़ाम , ना व्यवस्थाएँ , अस्पतालों में तो लूट खसोट चल ही रही है , अंतिम ठिकाने भी इससे अछूते नहीं ? थके ,हारे,लाचार,निराश लोग आज इस संकट काल में मुक्तिधाम में भी लूट का शिकार हो रहे है ?
अगर प्रदेश सरकार यह व्यवस्था करने में भी असमर्थ है तो वो हमें यह जवाबदारी दे दे ,हम अपने नागरिकों को इस दयनीय अवस्था में नहीं छोड़ सकते है , यह सच है कि सत्ता और व्यवस्था के सूत्र आज आपके हाथ में हैं परंतु हम इस व्यवस्था को सुधारने के
लिये सहयोग को तैयार है।आप नहीं कर सकते तो इस भीषण महामारी में अपनी जान गवाने वाले लोगों के लिये मुक्तिधामो में लकड़ी की व्यवस्था हम निशुल्क करने को तैयार हैं , आप पीछे हट जाइये , हमें जवाबदारी सौंप दीजिये।हमारा मक़सद सिर्फ़ जनता को इस अंतिम समय में परेशानी से बचाना है।जनता की परेशानी भरी तस्वीरें रोज़ सामने आ रही है ।बेबसी व लाचारी के इस माहौल में आज हमारी जनता कराह रही है ,त्राहि त्राहि कर रही है, रुदन कर रही है।
“आज तमाम स्वास्थ व्यवस्थाएं चौपट हैं , बदहाल है और अब तो मुक्तिधामों में भी लूट के बाजार हैं “ ?
हमारी विनती है , हम यह व्यवस्था करने को तैयार है , जनता के हित में हमें यह जवाबदारी भी दीजिये , हम इस संकट काल में जनता को अकेले नहीं छोड़ सकते है। भ्रष्ट सिस्टम व व्यवस्थाओं के आगे उन्हें मरने के लिये नहीं छोड़ सकते है। हम जीवन पर्यन्त उनके हर सुख- दुःख में उनके साथ खड़े है।हम अपने कर्तव्य व दायित्व को सदैव निभाएँगे।