मोदी सरकार के 7 वर्ष पूर्ण होने पर जनता ख़ुद को ठगा महसूस कर रही है : कमलनाथ

जनता को इस सरकार को चुनने का पछतावा है इसलिये देश में 7 वर्ष पूर्ण होने का का जश्न-उत्सव कहीं नहीं मन रहा है ? – पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ
भोपाल । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने केंद्र की मोदी सरकार के 7 वर्ष पूरे होने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 7 वर्षों के बाद आमजनता ख़ुद को ठगा महसूस कर रही है और देश की वर्तमान हालत का दोषी मोदी सरकार को मान रही हैं और यह सच्चाई भी है।
नाथ ने कहा कि जनता को इस सरकार को चुनने का पछतावा है , इसलिये देश में 7 वर्ष का कही जश्न-उत्सव नहीं ? देशवासी इस सच्चाई को जान चुके है कि मोदी सरकार की प्राथमिकता में आमजन नहीं बल्कि चुनाव व जश्न है ? मोदी सरकार को भी यह अच्छे से पता है कि अब जनता को और बरगलाया नही जा सकता है ,इसलिए इस वर्ष जश्न व उत्सव नही ? नहीं तो हमने कोरोना की पहली लहर में 6 वर्ष का जश्न-उत्सव देखा है ?
पूरे देश ने देखा है कि कोरोना की इस दूसरी लहर में देश की जनता को भगवान भरोसे छोड़ ,पूरी सरकार पांच राज्यों के चुनाव में लगी रही , दूसरी लहर आने की सूचना होने के बाद भी सरकार ने कोई तैयारी नही की ? उसका परिणाम देशवासियों ने भुगता है। कोरोना के मेनेजमेंट को छोड़कर मोदी सरकार अपने ईमेज मेनेजमेंट और ब्रांडिग में लगी रही ।
देश में लाखों लोगों की जान इलाज-बेड-ऑक्सीजन-वेंटिलेटर-जीवन रक्षक दवाइयों व इंजेक्शन के अभाव के कारण गयी ? मोदी सरकार ने विश्व गुरु बनने के चक्कर में 84 देशों को 6 करोड़ 60 लाख वैक्सीन निर्यात कर दी और जिसका परिणाम है कि आज हमारे देशवासी ही वैक्सिंग के लिए दर-दर भटक रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि देश में वैक्सिनेशन का कार्यक्रम पंचवर्षीय योजना के तहत पूरा होगा ? शायद देशवासियों को समय पर वैक्सीन लग जाती तो आज देश में लाखो जाने बचाई जा सकती थी ?
पश्चिम बंगाल चुनाव के आखिरी चरण को देखते हुए 18 वर्ष से 44 वर्ष तक की आयु के लोगों को 1 मई से वैक्सीन लगाने की घोषणा मोदी सरकार ने वैक्सीन की उपलब्धता नही होने के बाद भी की ? आज भी यह वर्ग वैक्सीन के लिये भटक रहा है ,यह घोषणा भी चुनावी जुमला साबित हुई ?
देशवासी कोरोना की इस दूसरी लहर में तड़प-तड़प कर अपनी जान गवां रहे थे और भाजपा के नेता पांच राज्यों के चुनावों में भीड़ बड़ी रैलियां व सभाएं कर कर रहे थे ? धार्मिक व राजनैतिक आयोजन बेरोकटोक होते रहे ?आज पूरे विश्व व देश की मीडिया मोदी सरकार की इसको लेकर जमकर आलोचना कर रही है और देश की वर्तमान हालत के लिये मोदी सरकार की लापरवाही और नाकारापन को इसका जिम्मेदार मान रही है।
आज हम विश्व भर में शर्मसार हुए है।हमें संकट के समय ऑक्सीजन-इंजेक्शन-जीवन रक्षक दवाइयो -आवश्यक साधन ,संसाधनो के लिए विश्व के कई देशों से मदद लेना पड़ी और हम आख़री समय तक ऑक्सीजन व इंजेक्शनो का निर्यात करते रहे ? कितने अदूरदर्शी व विवेकहीन निर्णय मोदी सरकार ने लिये ?
हमने इस महामारी में गंगा नदी के किनारे हजारों शवों को दफन होते देखा ,नदी में बहते देखा ,हमने मुक्तिधाम-कब्रिस्तान के बाहर शवों की लंबी-लंबी कतारे देखी ,अंतिम संस्कार तक के लिए लोगों को परेशान होते देखा ,लकड़ियो तक की कमी देखी ,हमने लोगों को ऑक्सीजन के अभाव में तड़पते व दम तोड़ते देखा , हमने जीवन रक्षक इंजेक्शन , बेड व इलाज के अभाव में अस्पतालों की दहलीज के बाहर लोगों को तड़प-तड़प तड़प कर मौत के आगोश में जाते हुए देखा , इन सब की दोषी व ज़िम्मेदार मोदी सरकार है ,देश की जनता उसे कभी माफ नहीं करेगी।

नाथ ने कहा कि वर्ष 2014 में झूठे वादे ,झूठे नारे ,झूठे जुमले के साथ सत्ता में आई ख़ुद को 56 इंच बताने वाली मोदी सरकार के इन 7 वर्षों के बाद आमजन स्वयं को ठगा हुआ , बरगलाया सा महसूस कर रहा है ?

-मोदी सरकार ने 2014 में अच्छे दिन का वादा किया था ,आज जनता कह रही है कि अच्छे दिन तो छोड़ो हमें तो हमारे पिछले पुराने दिन ही लौटा दो ?

-हर खाते में 15 लाख डालने का चुनावी वादा किया गया था ,जनता पूछ रही है कि कहाँ है वो 15 लाख ? यह वादा भी चुनावी जुमला साबित हुआ ?

-देशवासियों पर नोट बंदी थोपी , देशवासी अपने ही पैसे के लिए परेशान होते रहे ,व्यापार-व्यवसाय तबाह हो गये और जो कारण इस नोट बंदी के लिए बताए गए थे ,चाहे काला धन ,चाहे हवाला का व्यापार ,चाहे डिजिटल पेमेंट , चाहे आतंकी घटनाएँ वह सब झूठे साबित हुए ?
जनता पूछ रही है कि इस नोटबंदी से हमारी और देश की हुई बर्बादी का ज़िम्मेदार कौन ?

-बगैर ठोस कार्ययोजना के लागू की गई जीएसटी की मार आज भी देशवासी भुगत रहे हैं ,इसमें कई संशोधन किए गए लेकिन आज भी जीएसटी के पेचीदगी भरे नियमो व अव्यवस्थाओं की मार व्यापारीगण भुगत रहे हैं ?

-चुनाव के समय किसानों की आय दोगुनी करने ,किसानो को लागत के अलावा 50% लाभ देने के तमाम झूठे वादे किए गए थे।आज स्थिति यह है कि किसानों की आय दोगुनी तो नहीं हुई लेकिन खेती की लागत ज़रूर दोगुनी हो चुकी है ? डीज़ल-खाद-बीज की बढ़ी कीमतों से किसान क़र्ज़ के दलदल में फँसकर आज आत्महत्या को मजबूर है और ऊपर से तीन काले कृषि कानूनों के माध्यम से किसानों को बर्बाद करने का काम मोदी सरकार ने किया है ? देश के इतिहास में पहली बार किसान अपने हक की लड़ाई पिछले 6 महीनों से सड़कों पर लड़ रहे हैं और अहंकारी सरकार ने अभी तक इन काले कानूनों को रद्द नहीं किया है ,500 से अधिक किसानों की इस आंदोलन के दौरान मौत हो चुकी है।इन काले कानूनों के माध्यम से किसानों को बड़े उद्योगपतियों का बंधुआ मजदूर बनाने का काम किया जा रहा है ,एमएसपी खत्म करने का ,जमाखोरी व कालाबाजारी को बढ़ावा देने का व मंडियो को ख़त्म करने का काम इन क़ानूनों के माध्यम से किया जा रहा है।
आज किसान पूछ रहा है कि चुनाव पूर्व उनसे किये गये वादों का क्या हुआ ? कब दुगनी होगी हमारी आय ?

-महंगाई को लेकर बड़े-बड़े वादे किए गए थे ,अब की बार महंगाई से राहत दिलाने वाली सरकार जैसे नारे दिए गए थे। मोदी सरकार के इन 7 वर्षों में खाद्य पदार्थों , खाद्य तेल , दालों , पेट्रोल , डीजल , रसोई गैस और घर परिवार के लिए जरूरी हर चीज़ की कीमतें आज आसमान छू रही है , आम जनता बढ़ती महंगाई से परेशान है लेकिन सरकार राहत देने की दिशा में कोई भी कदम नहीं उठा रही है ?
आज जनता महंगाई कम करने के चुनाव के समय किये वादे का हिसाब पूछ रही है ?

– इन 7 वर्षों में संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता भी खत्म होने की कगार पर है। इन संस्थाओं का जमकर दुरुपयोग, विभिन्न राजनीतिक दल के नेताओं और विरोधियों को निपटाने के लिये किया जा रहा है ? इन 7 वर्षों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी खत्म करने की पूरी कोशिश की गई है।सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर भी अभिव्यक्ति की आवाज को दबाया जा रहा है। जो भी व्यक्ति सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ मुखर होता है, उसे देशद्रोही व राष्ट्रद्रोही करार कर दिया जाता है ?
जनता पूछ रही है कि वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिये आख़िर कब तक उसे राष्ट्रवाद के नाम पर गुमराह किया जाता रहेगा ?

– वहीं चुनाव के पूर्व युवाओं को रोजगार देने के बड़े-बड़े वादे किए गए थे ? कहा गया था कि प्रतिवर्ष 2 करोड़ युवाओं को रोज़गार देंगे , आज देश में बेरोजगारी की दर चरम पर है , युवा डिग्री हाथों में लेकर दर-दर भटक रहा है , उसे रोजगार नहीं मिल रहा है और वह खुद को ठगा महसूस कर रहा है ? युवा पूछ रहा है कि मोदी सरकार ने रोज़गार तो दिया नहीं उलटा जिन्हें रोज़गार मिले हुए थे उनको छिन और लिया, अब रोज़गार के वादों से बचने व ध्यान मोड़ने के लिये के “आत्मनिर्भर भारत” का नारा देकर गुमराह करने का व अपनी विफलता छुपाने का काम किया जा रहा है ?आज बेरोज़गार युवा पूछ रहा है कि मोदी सरकार के मेक इन इंडिया , स्टार्ट उप इंडिया , स्किल इंडिया , जैसे नारों का क्या हुआ, आख़िर 2 करोड़ रोज़गार कब से मिलेंगे ?

– मोदी सरकार में जितने उद्योग लगते नहीं, उससे ज़्यादा बंद हो जाते है, रोज़गार के नये अवसरों के तो पते ही नहीं ? कोरोना की पहली लहर में 20 लाख करोड़ के पैकेज की बात की गयी थी, आज जनता पूछ रही है कि वो पैकेज कहाँ है, कितनो को आज तक एक रुपया भी दिया या मिला ?

– चुनाव के पूर्व मोदी सरकार ने नारी सम्मान व सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कही थी लेकिन आज बहन-बेटियां सबसे ज़्यादा असुरक्षित है। उनके साथ प्रतिदिन दुराचार व दुष्कर्म की घटनाएं घट रही है लेकिन कोई भी ठोस कानून अभी तक मोदी सरकार ने 7 वर्षों में महिलाओं की सुरक्षा व सम्मान को लेकर नहीं बनाया है ? आज हमारी बहनें मोदी सरकार से उनके वादों का पूछ रही है ?

– इन 7 वर्षों में व्यापार-व्यवसाय, उद्योग-धंधे सब चौपट हो चुके हैं, अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। इसकी चिंता यह सरकार आख़िर कब करेगी ? यह प्रश्न आज सामने है ।

– आज देश की सरकारी संपत्ति को बेचा जा रहा है। विमानतल , रेलवे स्टेशन, बंदरगाह बेचे जा रहे हैं, कई राष्ट्रीय धरोहरों को लीज पर दे दिया गया है, जो कभी नारा देते थे कि देश नहीं बिकने दूंगा, वह खुद ही आज देश का सब कुछ बेचने निकल पड़े हैं ?

– इन 7 वर्षों में देश में जमकर सामाजिक वैमनस्य,नफरत फैलाने का घृणित काम किया गया ,देश का सामाजिक सद्भाव व गंगा जमुना तहजीब वाली नीति को ठेस पहुंचाने का काम इन 7 वर्षों में जमकर किया गया ?

– इन 7 वर्षों में मोदी सरकार ने अपनी जनविरोधी नीतियों , लापरवाही व नाकारापन से देश को विश्व भर में भी शर्मसार किया है। 7 वर्षों में लोकतांत्रिक मूल्यों व संवैधानिक मूल्यों का जमकर दमन हुआ है।संवैधानिक संस्थाओं का जमकर दुरुपयोग किया गया है और सिर्फ अपनी सत्ता की भूख के लिए कई प्रदेशों की चुनी हुई सरकारों को अनैतिक तरीकों से गिराकर लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या करने का काम भी सरकार ने किया है। मोदी सरकार ने बता दिया है कि उसकी प्राथमिकता सिर्फ सत्ता की भूख और चुनावी जीत है , उसके लिए वह हर हथकंडे अपनाने व ख़रीद-फ़रोख़्त को तैयार हैं। देश में पहली बार इन 7 वर्षों में लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या कर सरकारों को गिराने व दलबदल कराने का काम इतनी बड़ी संख्या में हुआ है ?
जनता पूछ रही है कि कब तक देश की राजनीति को यूँ ही कलंकित किया जाता रहेगा ?

-इन 7 वर्षों में देश के  करोड़ों-अरबों रुपए  विदेश यात्राओं पर खर्च कर दिये गए , प्रतिमाओं के निर्माण ,सेंट्रल विस्टा जैसे महँगे प्रोजेक्ट पर , स्टेडियम के निर्माण पर करोड़ों खर्च किये गये ,जिसका परिणाम देशवासियों ने इस कोरोना काल में भुगता ? आज इन पैसों से अस्पताल बनाये जाते , स्वास्थ्य के क्षेत्र में आवश्यक साधन व संसाधन जुटाए जाते तो आज बड़ी संख्या में देशवासियों की जान बचाई जा सकती थी ?
आज जनता पूछ रही है कि इन 7 वर्षों में देश में मोदी सरकार ने देश में कितने अस्पताल बनाये ?

कुल मिलाकर मोदी सरकार के 7 वर्ष असफलताओं से भरे पड़े हैं , इन 7 वर्षों में  मोदी सरकार के केवल इमेज मैनेजमेंट, ब्रांड मैनेजमेंट को देशवासियों ने देखा है ? देश की जनता तो आज ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है ?
मोदी सरकार के 7 वर्ष “देश को बदहाल” बनाने के लिये याद किये जाएँगे।

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