( लेखक एक पूर्व अधिकारी हैं )
किसी कार्य में सफलता या लक्ष्य हासिल करने के लिए सबसे जरूरी क्या है… कोई कहेगा योग्यता, कोई साहस तो कोई भाग्य लेकिन इन सबसे भी अधिक जरूरी एक भाव है और वह है धैर्य। धैर्य वह गुण है जो विपरीत परिस्थितियों में भी आपको सफलता का मार्ग दिखाता है। धैर्य से विवेक मिलता है, विवेक से योजना और सही योजना हमें लक्ष्य की ओर ले जाती है। याद रखिए जीवन की गाड़ी में अगर धैर्य का गेयर डाल दिया तो सफलता भले थोड़ी देर से मिले लेकिन दुर्घटना कभी नहीं होगी।
कई बार जब हम लक्ष्य के काफी पास होते हैं तो भ्रम के बादल हमारा मार्ग भटका देते हैं। कभी हम भ्रम में फंस जाते हैं तो कभी भ्रम को ही लक्ष्य मान लेते हैं और वास्तविक लक्ष्य से दूर हो जाते हैं। जब हमें इस बात का अहसास होता है तो परिस्थिति या भाग्य को कोस कर अपनी भूमिका की इतिश्री कर लेते हैं लेकिन अगर ऐसी विपरीत परिस्थिति में धैर्य रखा जाए तो न हमारा मन अधीर होगा न ही हम हार मानेंगे। याद रखिए अगर धैर्य आपके साथ है तो जीवन में ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे सुधारा या बेहतर न किया जा सके।
लक्ष्य की ओर बढ़ने के दौरान अगर मन भटके तो रूकें और सोचें की क्या मैं सही दिशा में बढ़ रहा हूं, लक्ष्य से दूरी या प्रारंभिक असफलता के कारण क्रोध, अवसाद और निराशा की भावना को मन में न लाएं। धैर्य का सहारा लें, धैर्य हमारे मन की वह शक्ति है जो हमें एकाग्रचित करती है और हमारे मन को शांत करती है। शांत मन से लिया गया निर्णय हमें सही दिशा में ले जाता है और भ्रम को दूर करता है। अगर मन से भ्रम दूर हो जाएं तो लक्ष्य साफ हो जाता है।
मौजूदा समय में जब विश्व फिर महामारी की चपेट में है, तो यहां धैर्य और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। जब परिस्थितियां हमें रूकने के लिए अनिवार्य कर रही हैं तब सबसे जरूरी है कि हम इसे समझें। यह न कहें कि हमें रूकना पड़ रहा है क्योंकि जब आप कहते हैं पड़ रहा है तो आप फस्ट्रेशन में आ जाते हैं बल्कि यह कहें कि इस परिस्थिति में रूकना व धैर्य रखना मेरा निर्णय है, जब इस धैर्य को आप अपना निर्णय मान लेंगे तो आपका विवेक जागृत हो जाएगा और आपको अगली योजना बनाने में मदद करने लगेगा। बस याद रखें कि धैर्य अगर साथ है तो मंजिल का रास्ता साफ है, क्योंकि जो धैर्य को अपने साथ रख सकता है वह जीवन में सबकुछ कर सकता है।