फिरोजाबाद : फिरोजाबाद जिले में बेकाबू डेंगू और वायरल फीवर से लोगों में दहशत है। स्थिति यह हो गई है कि लोग अब अपना घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। पलायन का दौर शुरू हो गया। यहां के लोग अपने बच्चों को दूसरे जिलों में रिश्तेदारों के घर छोड़ने जा रहे हैं। लगातार मौतों और प्रशासनिक लापरवाही के चलते सुहागनगरी के लोग बेबस है। स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। साफ-सफाई की स्थिति भी बिगड़ी हुई है।
पिछले तीन हफ्तों के दौरान जिले में 79 मरीज अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें 60 से अधिक बच्चे हैं। हालांकि सरकारी आंकड़ा अभी भी 50 से कम है। बच्चों की मौत से आहत लोगों ने अब जिले से पलायन का मन बना लिया है। अपने बच्चों को बीमारी से बचाए रखने के लिए वे आगरा, मथुरा, एटा, मैनपुरी व अन्य जिलों की ओर रुख कर रहे हैं। पत्नी व बच्चों को ननिहाल छोड़ने जा रहे हैं। फिरोजाबाद के देहात क्षेत्र जैसे नगला अमान, कपावली, दरिगपुर, सिरमई के घर-घर में चारपाई बिछी हुई है। इन गांवों से ही बच्चों को रिश्तेदारों के यहां भेजा जा रहा है।
नगला अमान की गलियां सूनी पड़ी हैं। चौपाल पर इक्का-दुक्का लोग बैठे हैं। जिस नीम के पेड़ के नीचे ठहाके लगते थे, आज मातम पसरा हुआ है। घरों के आंगन सूने पड़े हैं। घरों में बच्चों की किलकारियां नहीं, उनकी दर्द भरी आहें सुनाई दे रही हैं। उन्हें ग्लूकोज की बोतलें चढ़ रही हैं। नन्हीं सी जानों के जिस्म को सुइयों ने घायल कर दिया है। यह वही गांव है, जहां डेंगू से पहली मौत हुई थी। इसके बाद इस जानलेवा बीमारी ने पूरे जिले को अपनी चपेट में ले लिया।
कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के लिए मारामारी रही। अब डेंगू और वायरल के मरीजों की जान बचाने के लिए प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है। मेडिकल कॉलेज की ब्लड बैंक में तीन दिन में 400 से ज्यादा यूनिट मरीजों के लिए दी गई हैं। आगरा से भी प्लेट्लेट्स आवयकतानुसार मंगाई जा रही हैं। ब्लड कैंपों में दान किए रक्त से भी मरीजों की जान बचाई जा रही है। इधर, तीमारदार अपने बच्चों की जान बचाने के लिए प्राइवेट ब्लड बैंक से भी प्लेटलेट्स का इंतजाम करके ला रहे हैं।