पंडित रविशंकर विवि की स्थापना और 6 बार विभाजन का दौर भी, 2 बार लगातार बने डॉ पांडे कुलपति..

{किश्त 193}

पं.रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय की स्थापना एक मई,1964 को हुई थी।सिविललाइन बिल्डिंग से हुई थी शुरुआत।उस दौर में उच्च शिक्षा हेतु नागपुर, सागर विश्वविद्यालय की तरफ झांकने वालों के लिए वर्ष 1964 में सुनहरा मौका लेकर आया। तब शिक्षा देने रायपुर, सिविल लाइन की नथानी बिल्डिंग के 4 कमरों से विवि की शुरुआत हुई।कुछ दिनों बाद गांधी उद्यान के पास सिचाई विभाग का कार्यालय भी शरण स्थली बना। काफी प्रयासों के बाद विज्ञान महाविद्यालय में 2 जुलाई 1965 को केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी नेउद्घाटन किया, यह 300 एकड़ के विशाल भू- भाग में फैला है।समाज को नए आयाम,शोध शिक्षाऔर समाज को नए आयाम दे रहा है। अभी 30 अध्ययन शालाओं में हर साल 200 पीएचडी अवार्ड उस बात के साक्षी हैं। इतिहास में झांकें तो 30 कालेजों और 14 हजार छात्रों के साथ रविवि शुरूहुआ, रेवाप्रसाद द्विवेदी को संस्कृत विषय पर शोध के लिए पहली पी एचडी की दी गई थी।गौरव शाली इतिहास के साक्षी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी,पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी, बौद्धसंत दलाई लामा जैसी शख्सियत रहे हैं।छग के इतिहास में तक्षशिला की तरह रहा है। गुरु घासीदास विश्‍वविद्यालय भारत का एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्‍थापना 16 जून 1983 को तब के मप्र के समय बिलासपुर में हुई थी। रविवि का पहला विभाजन वर्ष 1984 में गुरुघासीदास विवि के रूप में हुआ। तो वर्ष 2004-05 में कुशा भाऊ ठाकरे पत्रकारिता विवि,स्वामी विवेकानंद तकनीकी विवि के रूप में बांटा गया।सिलसिला यूं ही नहीं थमा।वर्ष 2008 में बस्तर, आयुष विवि तो वर्ष 2015 में दुर्ग विवि के रूप में छह बार खंडित किया गया….! वैसे पंडित रवि शंकर विश्व विधालय में छत्तीसगढ़िया और बाहरी शिक्षाविद कुलपति बनते रहे हैं।पुलिस अफसर जगदीश चंद्र दीक्षित भी कुलपति रहे तो डॉ शिव कुमार पांडे का मार्च 2009 से मार्च 2018 यानि लगा तार दो बार कुलपति बनने का रिकार्ड स्थापित है। इनके अलावा किसी को दोबारा कुलपति बनने का मौका नहीं मिला….!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *